-अशोक गहलोत ने सौंपा पत्र, विधायकों के हस्ताक्षर युक्त पत्र गर्वनर को दिया

-100 से अधिक विधायकों के पत्र पर हस्ताक्षर

– परेड और पत्र साथ साथ

जयपुर।कैबिनेट के फैसले के बाद में हमने माननीय राज्यपाल महोदय को कल पत्र भेजकर रिक्वेस्ट की कि हम चाहते हैं कि असेंबली का सेशन बुलाएं और उसके अंदर डिस्कशन करें सारी पॉलिटिकल सिचुएशन को भी और कोरोना को भी और लॉकडाउन के बाद में जो स्थितियां बनी हैं आर्थिक रूप से उसको भी। हमें उम्मीद थी कि वो रात को ही आदेश जारी कर देंगे असेंबली बुलाने के लिए, रातभर इंतज़ार किया, पर अभी तक कोई जवाब नहीं आया है उनका। ये हमारी समझ के परे है, सिंपल प्रोसेस जो अपनाया जाता है, गवर्नर साहब को आदेश देना ही पड़ता है, उसको रोकने का कोई कारण नहीं है। हमारा मानना है कि ऊपर से दबाव के कारण से मजबूरी में वो अभी असेंबली बुलाने के लिए निर्देश नहीं दे रहे हैं, इस बात का हमें बहुत दुःख है। जब हम फ्लोर पर जाना चाहते हैं, एक तरफ तो मांग की जा रही थी विपक्षी पार्टियों द्वारा भी, ज्यूडीशियरी के अंदर भी चर्चा हो रही थी कि, भई आप असेंबली में फ्लोर टैस्ट क्यों नहीं करवाते हो? असेंबली में हम क्यों नहीं आते हैं, असेंबली बुलाते क्यों नहीं है और आज जब हम लोग असेंबली बुलाने के लिए तैयार हैं, पूरे प्रदेश की जनता देख रही है कि क्या हो रहा है राजस्थान के अंदर, सब व्यथित हैं, दुःखी हैं, परेशान हैं, क्योंकि राजस्थान की ऐसी कभी परंपरा रही नहीं है इस प्रकार से तोड़-फोड़ करके सरकार गिराने की, जैसा कि मैंने पहले भी आपको कहा, दो मौके आए थे, भैरोंसिंह शेखावत जी के वक्त में जब उनके ही साथी सरकार गिरा रहे थे, तब मैं खुद गया तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव जी के पास में, बलिराम भगत साहब जो राज्यपाल महोदय थे उनको मैंने कहा कि ये परंपरा राजस्थान में है नहीं, हम साथ नहीं देंगे। उस वक्त में प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष भी था, ये तमाम बातें आपके डोमेन के अंदर हैं।

दुःख इस बात का है कि आज जो फैसला नहीं किया गया कल रात से, अभी गवर्नर साहब से टेलीफोन पर बातचीत भी हुई, मैंने फिर रिक्वेस्ट किया है, कृपा करके आपका संवैधानिक पद है, जिसकी अपनी एक बहुत बड़ी गरिमा होती है, उसके आधार पर आप अविलंब फैसला करें, वरना सब हमारे विधायकगण आकर के रिक्वेस्ट करेंगे आपसे एकसाथ, सामूहिक रिक्वेस्ट करेंगे हम लोग कि कृपा करके आप इमिजेटली अपना फैसला दें और असेंबली हम लोग मंडे से शुरु करना चाहते हैं, वहां दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। पूरा देश देखेगा-प्रदेश देखेगा, फ्लोर पर डिस्कशन होंगे, पब्लिक और मीडिया के डोमेन में आएगा। तो समझ के परे है कि इस प्रकार की, ये किस प्रकार का दबाव उनके ऊपर पड़ रहा है, वो चाहते हुए भी या नहीं चाहते हुए भी, ये तो वो जानें, पर किन कारण से ये रोका गया ये हमारी समझ के परे है।

जब मैं बार-बार कह रहा हूं हमारे पास स्पष्ट बहुमत है, हमें कोई दिक्कत नहीं है, चिंता हमें होनी चाहिए, सरकार हम चला रहे हैं उसके बावजूद भी परेशान वो हो रहे हैं। हमारे कुछ साथी जिनको बंधक बना रखा है हरियाणा के अंदर, उनको पूरा बीजेपी की देखरेख के अंदर ही बंधक बनाया हुआ है, सबको मालूम है, इतने दिन हो गए, वो साथी भी हो सकता है कि वहां से छूटना चाहते हों, वो हमारे अपने साथी हैं, हो सकता है कि बाउंसर लगा रहे हैं वहां पर, पुलिस लगा रखी है, टेलीफोन सीज कर दिए हैं उन सबके, परेशान है, कोई बीमार भी है वहां पर, उनकी आंखों में आंसू भी आ रहे हैं, टेलीफोन कर रहे हैं हम लोगों को, छुड़ाओ हमें यहां से , ये स्थिति बन गई है। उसकी परवाह केंद्र सरकार को नहीं है क्या? हरियाणा में सरकार किसकी है, भाजपा की है। ये पूरा खेल भारतीय जनता पार्टी, उनके नेताओं का षड्यंत्र है जैसे उन्होंने कर्नाटक में किए थे, जैसे उन्होंने मध्य प्रदेश में किए थे, और राज्यों में किए आप सबको मालूम है। राजस्थान में भी यही करना चाहते हैं, राजस्थान में पूरे प्रदेश की जनता हमारे साथ है, विधायकगण हमारे साथ हैं और कोई आश्चर्य की बात नहीं, इस बार जो मैनेजमेंट हुआ कोरोना का, जहां जीवन बचाने की बात है, जीवन बचाने की चुनौती हमारे सामने है, ये भयंकर महामारी है कोरोना की, लड़ने का वक्त है, हमने मैनेजमेंट किया, पूरे देश में वाहवाही हो रही है, हमने विपक्ष को भी साथ लिया, धर्मगुरुओं को साथ लिया, एक्टिविस्ट्स को साथ लिया, आमजन ने साथ दिया, कैश-काइंड हमने खूब डिस्ट्रीब्यूट किए, शांति बनी रही, पब्लिक ने साथ दिया हमारा, ऐसे माहौल में सरकार टॉपल करने का षड्यंत्र करने में बीजेपी की भूमिका जो है, आप समझ सकते हैं कितने नीचे स्तर पर जाकर राजनीति देश में हो रही है। डेमोक्रेसी खतरे में डाल रखी है, इनकम टैक्स के ईडी के सीबीआई के छापे, ऐसा नंगा नाच कभी देखा नहीं है देश के अंदर जो आज देखने को मिल रहा है। मैं कहना चाहूंगा महामहिम राज्यपाल महोदय को हम सब आ रहे हैं अभी राज्यपाल राजभवन के अंदर, उनसे सामूहिक रिक्वेस्ट करेंगे कि आप दबाव में किसी के नहीं आएं, आपका संवैधानिक पद है, शपथ ली हुई है, अपनी अंतरआत्मा के आधार पर, शपथ की जो भावना होती है उसको आधार बनाकर फैसला करें, वरना फिर हो सकता है कि पूरे प्रदेश की जनता अगर राजभवन को घेरने के लिए आ गई तो हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी ।