बीकानेर।पुष्करणा सावे के अवसर पर रमक झमक के प्रहलाद ओझा ‘भैरुं’ द्वारा संकलित व सम्पादित पुस्तक ‘रमक झमक विवाह गीत’ का आज रमक झमक मंच पर पूर्व मंत्री डॉ बी डी कल्ला,राजस्थानी भाषा साहित्य अकादमी अध्यक्ष शिवराज छंगाणी,पुजारी बाबा,श्रीमती रामकँवरी ओझा,लक्ष्मी ओझा,प्रेम छंगाणी, एवं अविनाश आचार्य ने किया। इस अवसर पर डॉ बी डी कल्ला ने कहा कि पुष्करणा ब्याव पर गाए । जाने वाले गीत हमारी सास्कृतिक धरोहर है। कल्ला ने कहा कि यहां हर रस्म व परम्पराओं पर गीत गाए जाते है और उन गीतों की स्वर लहरियां सुनकर दूर से अनुमान भी लगाया जा सकता है कि ब्याव की किस परम्परा का निर्वहन हो रहा है। उन्होंने कहा कि ‘म्हारे मगरे रा मूंग मंगाओ ए म्हारी पीठी सुगन मनाओ ए’ इसे सुनने मात्र से पता चल जाता है ब्याव में हल्दी पीठी की रस्म चल रही है।शिवराज छंगाणी ने कहा कि ‘ रमक झमक विवाह गीत’ एक महताऊ पुस्तक है जिसमें जिसकी स्वयं मैंने परख लिखी है इसमें शामिल कई गीत जैसे ‘सोबेला’ व सुता सेण’ आदि ऐसे है जो अब लगभग लुप्त हो रहे है ऐसे इसमें शामिल होना यह दर्शाता है कि इसके लेखक प्रहलाद ओझा ‘भैरुं’ ने खूब मेहनत की है।यह ऐतिहासिक पुस्तक होगी।
पुजारी बाबा ने कहा कि छोटुलालजी ओझा ने सावा पर जो काम किया उनके पुत्र इसको कई गुना आगे बढ़ा रहे है। विवाह गीत की यह पुस्तक वर्तमान और आगे की पीढ़ियों के लिये खूब उपयोगी होगी। इस अवसर पर पुस्तक के संकलनकर्ता व सम्पादक प्रहलाद ओझा ‘भैरुं’ ने कहा कि पुस्तक में गीतों का संग्रह विगत कई सालों से किया जा रहा है ।कई गीत मेरी 80 वर्षीय माताजी व गीत गायिका भली बाई आदि ने गाकर सुनाए उनको हू बहु वैसे ही लिखा गया है। रमक झमक के राधे ओझा ने बताया कि पुस्तक एमेजॉन पर भी उपलब्ध हो सकेगी।
समारोह की अध्यक्षता वयोवृद्ध श्रीमती रामकंवरी ओझा ने। अतिथियों का तिलक श्रीमती गायत्री व रिंकु ओझा ने किया। नवीन बोड़ा ने साफा बाधा।