जयपुर। एक मुख्यमंत्री के मुंह से कुछ दिन पहले तक उनके प्रदेश अध्यक्ष के लिए ये भाषा शोभा नहीं देती। पायलट नाकारा,निकम्मे थे,तो पहले ही हटवा देते। पीठ में छुरा घोंपना तो राजनीति का चरित्र है। जो नेता दूसरों पर इसका आरोप लगाते हैं,उन्हें खुद के गिरेबान में भी झांकना चाहिए कि वो खुद ऐसी छुरेबाजी कितनी बार कर चुके हैं। सत्ता बचाने का दबाव गहलोत जैसे शालीन नेता को भी बदजुबान बना दें,तो समझा जा सकता है,सत्ता जाने का डर कितना सताता है।
और पायलट कह रहे हैं,उनकी छवि खराब करने को ऐसी बयानबाजी की जा रही है। तो,वो अब बची ही कहां हैं। सरकार गिराने की साजिश तो भाजपा के साथ रचने की बात तो सामने आ चुकी है। अगर सच्चे थे,तो दस दिन में एक बार भी सामने क्यों नहीं आए।