

जयपुर, 11 मई। मुक्त मंच की 69वीं संगोष्ठी ‘बढ़ती आबाद: संभावनाएं एवं चुनौतियां‘ विषय पर परमहंस योगिनी डाॅ. पुष्पलता गर्ग के सान्निध्य में हुई राजीव गांधी पोपुलेशन मिशन राजस्थान के निदेशक देवेन्द्र कोठारी मुख्य अतिथि थे। वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. नरेन्द्र शर्मा कुसुम ने अध्यक्षता की। शब्द संसार के अध्यक्ष श्री श्रीकृष्ण शर्मा ने संगोष्ठी का संयोजन किया।
अन्तर्राष्ट्रीय जनसंख्याविद् श्री कोठारी ने कहाकि 2026 के परिसीमन से राजनीतिक और आर्थिक असंतुलन पैदा हो जाएगा। इससे जहां उत्तर प्रदेश में लोकसभा सीटों में बेहतहाशा बढ़ोतरी हो जाएगी वहीं दक्षिण भारत के राज्यों में सीटें घटने से भाजपा को लाभ पहुंचेगा। उन्होंने कहाकि वित्त आयोग जनसंख्या के आधार पर वित्तीय सुविधाएं प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि यह मिथ्या और कुप्रचार है कि मुसलिम आबादी बढ़ रही है।
संगोष्ठी के अध्यक्ष डॉ. कुसुम ने कहा कि सिद्धांत ही राजनीति अपनी वोट कैचिंग मानसिकता वाली नीति अपनाती है जो समस्या के समाधान में बाधक है।
पूर्व बैंकर इन्द्र भंसाली ने कहा कि नीति निर्धारकों ने बढ़ती जनसंख्या के बारे में कभी सोचा ही नहीं। इंजीनियर दामोदर चिरानिया ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य के निजीकरण से जनसांख्यिकी लाभांश संसाधनों पर जनसंख्या बहुत बढ़ती चली गई है।
राज्य डांग क्षेत्र विकास समिति के पूर्व चेयरमैन डॉ. एस.एन. सिंह ने कहा कि यदि युवा श्रम शक्ति को निर्यातोन्मुखी बनाया जाए तो जनसंख्या बोझ की बजाय संपदा में तब्दील की जा सकती है।
चिंतक एवं आईएएस (रि.) अरुण ओझा ने कहा कि विश्व जनसंख्या प्रतिवेदन के अनुसार देश में 25 वर्ष से कम आबादी 50 प्रतिशत है। चीन बुजुर्गों का देश बनता जा रहा है। भारत युवा देश है जिससे यहां लाभांश की संभावनाएं अधिक है। इसलिए सशक्त युवा नीति बननी चाहिए। आईएएस (रि.) डॉ. आर एस जाखड़ ने कहा कि नैतिकता के अभाव में कार्यशील कौशल युक्त बेहतर शिक्षा, पोषाहार उपलब्ध नहीं है, जिससे जनसंख्या बोझ बन गई है।
सुपरिचित स्तंभकार ललित अकिंचन ने कहा कि आदर्श जनसंख्या के लिए संसद में नीति बननी चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार सुधांशु मिश्र ने कहा कि कोई भी नीति बनाई जाए, उसमें लोक कल्याण और राष्ट्रहित के तत्व मौजूद होने चाहिए। दुर्भाग्य से हमारी नीतियां मल्टीनेशनल कंपनियां तय करती है। शासन को इसकी जिम्मेदारी संभालनी चाहिए।