– हेम शर्मा –
वैसे राजनीति करना खांडे की धार है। जनता के तीखे व्यंग्य
बाण सहने पड़ते हैं। व्यक्तिगत जीवन की सुख सुविधाओं को छोड़ना पड़ता है। जनता के बीच रहना पड़ता है। बीकानेर की जनता देखती है कि केबिनेट मंत्री डॉ. बी डी कल्ला जब बीकानेर होते तो सुबह 9 बजे लोगों को सुनने के लिए तैयार मिलते हैं। लोग तरह तरह की समस्याएं लेकर आते हैं जो कुछ हो सकता है करते ही है। लोगों के ताने सुनते हैं और आक्रोश झेलते हैं। जनता ने उन्हें चुना है। जनता माई बाप है। कभी उकताते नहीं है। कल्ला पूरे दिन औऱ देर रात तक या तो सार्वजनिक कार्यक्रमों अथवा लोगों के बीच ही रहते हैं। सबके लिए सर्व सुलभ भी हैं। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम के घर तो सुबह 6 बजे ही लोग आने शुरू हो जाते हैं। उनके आंगन तक लोग रहते हैं। मेघवाल भी सुबह 9 बजे तक जन सुनवाई करते है। सांसद सेवा केंद्र में लोगों के साथ इत्मीनान से जन समस्याओं को सुनते हैं। पूरे दिन कार्यक्रमों में या जनता के बीच ही रहते हैं। विरोधी पार्टी और अपनी ही पार्टी में विरोध करने वालों को सहन करते हैं। कल्ला औऱ मेघवाल 60 के ऊपर की उम्र के हैं और युवाओं से ज्यादा काम करते हैं। दोनों हर विषय में अपडेट रहते हैं।। भाजपा के दो युवा विधायक सुमित गोदारा औऱ बिहारी लाल विश्नोई अपने अपने क्षेत्र में लगे ही रहते हैं। उनकी सक्रियता मिडिया कवरेज से भी समझी जा सकती है। गोविंद मेघवाल औऱ गिरधारी महिया की भी राजनीतिक सक्रियता कम नहीं है।। सिद्धि कुमारी बाई सा आप भी विधायक हो कहाँ रहती हो ? केवल विधायक कोटे से घोषणा करना ही राजनीति में जनता का भला सोचना नहीं है। सच्ची बात तो यह है कि जनता के बीच आपकी निष्क्रियता की बहुत आलोचना होती है। राजघराने की साख के कारण भले ही आप विधायक हो, परन्तु विधायक के रूप में आपकी कोई साख नहीं है जनता मुँह पर नहीं पीछे से आपको कोसती है। यह कड़वा सच है। बहुत बुरा लगता है। कोई समझदार आदमी कड़वा सच नहीं कहता पर जनहित में कहना धर्म है। आप राजनीति छोड़ क्यों नहीं देती। आप ऐसा करके राजघराने की छवि को बनाए रख पाएगी। अव्वल तो आप मिलती नहीं। सार्वजनिक हित के मुद्दे पर आपको कोई आमन्त्रण देने आपके घर जाए तो दोपहर 2 बजे बताया जाता है आप स्नान घर में है। सार्वजनिक आमन्त्रण का आप जवाब देना ही उचित नहीं समझती। क्यों करती हो राजनीति। राजनीति को छोड़ना ही आपके लिए श्रेयस्कर है। इसमें आपका भी भला जनता का भी भला ही तो है।