-दो दिवसीय दौरे पर माउण्ट आबू पहुंची राष्ट्पति, सम्मेलन का किया उदघाटन


आबू रोड (राजस्थान) -सुधांशु कुमार सतीश
। ब्रह्माकुमारीज संस्थान के विभिन्न सेवाकेन्द्रों पर जो अध्यात्म शक्ति प्राप्त होती है उसका ज्वलंत उदाहरण यह है कि एक समय में मैं स्वयं अंधकारमय जीवन की ओर अग्रसर हो गयी थी। मेडिटेशन और ध्यान योग के माध्यम से मुख्य धारा में लौटी। उक्त उदगार देश की राष्ट्रपति श्रीमति द्रोपदी मुर्मू ने ब्रह्माकुमारीज संस्थान के शांतिवन में आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर थीम के तहत आध्यात्मिक सशक्तिकरण से स्वर्णिम भारत का उदय सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि विश्व में अनेको संस्थान कार्यरत है लेकिन ब्रह्माकुमारीज एक ऐसा संस्थान है जो बहनों द्वारा संचालित की जाती है। संस्थान में वरिष्ठ भाईयों द्वारा पीछे से सहयोग किया जाता है। ब्रह्माकुमारीज संस्थान की सफलता यह सिद्ध करती है कि अवसर मिलने पर महिलायें पुरूषों से बेहतर कार्य कर सकती है। उन्होंने कहा कि एक आध्यात्मिक संस्था के रूप में केवल ब्रह्माकुमारीज ही नहीं ऐसी कई संस्थाएं इस दिशा में आगे बढ़ रही हैं। आज यहां संस्थान विश्व के 137 देशों में पांच हजार सेवाकेंद्रों का संचालन कर रही है। इसके संचालन में महिलाओं की अग्रणी भूमिका होती है। भाई इस कार्य में सहायता करते हैं। यह संस्थान महिलाओं द्वारा संचालित विश्व का सबसे बड़ा संस्थान है।
इस अवसर पर बालिका शिक्षा एवं महिला अत्याचार पर भी अपना संक्षिप्त उदबोधन दिया। भारत को सुपर पावर बनाने के लिए अध्यात्म और विज्ञान का सहयोग जरूरी है। आज हमारा देश अपनी रक्षा के साथ पूरे विश्व में शांति के लिए प्रयास कर रहा है। मै तो पिछले साल सितम्बर में आने वाली थी परन्तु नही आयी। अभी बाबा ने मुझे बुलाया और मैं आयी हूॅं। मैं ब्रह्मा बाबा को नमन करती हूं और धन्यवाद देती हूं कि महिलाओं को पूरे विश्व में शांति और शक्ति प्रदान करने के लिए उनके सिर पर कलश रखा है।
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि युद्ध और कलह के वातावरण में विश्व समुदाय समाधान के लिए भारत की ओर देख रहा है। हमें कलियुग की मानसिकता को खत्म करना होगा और सतयुग की मानसिकता का आह्नान करना होगा। इसके लिए हम सबको मन में सत्वगुण को अपनाने का प्रयास करना होगा। दया और करुणा की भावना भारतवासियों के जीवन मूल्यों में है। माउंट आबू से शुरू हुआ ये अभियान समस्त भारतवासियों को सशक्त बनाने और समाज को सशक्त बनाने में संबल प्रदान करे।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस धरती पर प्रत्येक मनुष्य मानसिक शांति के लिए प्रयास कर रहे हैं चाहे वो किसी देश, जाति, संप्रदाय के हों। शांति भी भोजन की तरह आवश्यक है। ब्रम्हाकुमारीज शांति और आनंद के लिए मार्ग प्रशस्त कर रही है। आध्यात्म ही वो प्रकाश पुंज है जो पूरी मानवता को सही राह दिखा सकता है। मेरा मानना है कि अमृत काल में 2047 के स्वर्णिम भारत के लिए आगे बढ़ते हुए हमारे देश को विश्व शांति के लिए विज्ञान और आध्यात्म दोनों का उपयोग करना होगा। हमारा लक्ष्य है कि भारत एक नॉलेज सुपर पावर बने। हमारी आकांशा है कि इस नॉलेज का उपयोग सस्टेनेबल डवलवमेंट के लिए हो। सौहाद्र्र, महिलाओं और वंचित वर्ग के उत्थान के लिए हो, युवाओं के विकास, विश्व में स्थाई शांति की स्थापना के लिए हो।
उन्होंने कहा कि भारत इस समय जी -21 की अध्यक्षता कर रहा है, जिसका थीम है वसुधैव कुटुम्बकम यानी वन अर्थ वन फैमिली, वन फ्यूचर। अपनी संस्कृति के आधार पर हमारा देश आध्यात्मिक और नैतिकता के निर्माण के लिए सक्रिय है। भगवान बुद्ध, भगवान महावीर, आदि शंकराचार्य और संत कबीर, महात्मा गांधीजी की शिक्षाओं ने पूरे विश्व को प्रभावित किया है। ब्रह्मा बाबा ने जिस सोच के साथ महिलाओं को अग्रणी भूमिका दी इसी तरह विश्व समुदाय को आवश्यकता है कि महिलाओं को आगे बढ़ाने की जरूरत है। अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के साथ-साथ भारत शांति के अग्रदूत की भी भूमिका निभा रहा है। माउंट आबू से शुरू यह क्रांति देश के लोगों को आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाएगा। माउंट आबू से जाकर बहनों ने पूरे विश्व में लोगों के अंदर विराजित शक्ति को पहचानने, सशक्त बनाने, ज्ञान देने और जागरूक करने का कार्य कर रही हैं।
इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज संस्थान की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी, अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन, बीके करूणा, बीके मृत्युंजय, बीक सुषमा ने भी संबोधित किया। मानपुर एअर स्ट्रिप पर पहुंचने पर सांसद देवजी पटेल, राज्य सरकार के प्रतिनिधि शिक्षा, साहित्य, पुरातत्व एवं कला मंत्री डॉ बीडी कल्ला, विधायक संयम लोढ़ा, जगसीराम कोली, समाराम गरासिया समेत कई लोगों ने स्वागत किया।