बच्चों ने किया कदंब रो दरखत पुस्तक का लोकार्पण

बीकानेर, 31 जुलाई। साहित्यिक-सांस्कृतिक प्रस्तुति देते हुए बच्चे व उन्हें पूर्ण मनोयोग से सुनते व दाद देते बच्चे, अतिथि के रूप में मंच पर उपस्थित बच्चे। अवसर था रविवार को बीकानेर शहर के गांधी पार्क में, पहली बार आयोजित राजस्थानी बाल महोत्सव का।
राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी एवं शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान के तत्वावधान में आयोजित राजस्थानी बाल महोत्सव में वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र जोशी के बाल कथा संग्रह कदंब रो दरखत का लोकार्पण संभागीय आयुक्त डॉ नीरज के पवन के सानिध्य में बाल संस्कृतिकर्मियों ने किया ।
इस अवसर पर संभागीय आयुक्त व अकादमी अध्यक्ष डॉ नीरज के पवन ने कहा कि राजस्थानी बाल महोत्सव के माध्यम से राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति का प्रचार-प्रसार होगा। उन्होंने कहा कि अकादमी की मुखपत्रिका जागती जोत का नवंबर अंक बाल विशेषांक होगा। उन्होंने कहा कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। हमें अपने अंदर की जिज्ञासा व उत्सुकता को जिंदा रखना चाहिए। कदंब रो दरखत बच्चों के लिए लिखी गई बेहतरीन पुस्तक है।
लोकार्पित पुस्तक के लेखक राजेन्द्र जोशी ने कहा कि हमें अपनी मातृभूमि व मातृभाषा राजस्थानी पर गर्व करना चाहिए। हमें राजस्थानी भाषा में अध्ययन की स्वतंत्रता मिलनी ही चाहिए क्योंकि हम राजस्थानी में बहुत से विषयों को अधिक आसानी से समझ सकते हैं। राजस्थानी भाषा में स्तरीय लेखकों की किताबें स्कूलों में उपलब्ध होनी चाहिए।
साहित्य अकादेमी नई दिल्ली में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य ने कहा कि बच्चों के लिए लिखी गई पुस्तक का लोकार्पण स्वयं बच्चों द्वारा किया जाना साहित्य के इतिहास की बड़ी घटना है। उन्होंने कहा कि कदंब रो दरखत की कहानियाँ बच्चों के परिवेश और उनके विषयों की होने के कारण बच्चों में लोकप्रिय रहेगी।
कार्यक्रम में राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सचिव शरद केवलिया ने कहा कि राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के विकास की दिशा में राजस्थानी बाल महोत्सव मील का पत्थर साबित होगा। राजस्थानी बाल कथा संग्रह कदंब रो दरखत से बच्चों में राजस्थानी साहित्य के प्रति लगाव और जिज्ञासा बढ़ेगी।
लोकार्पित पुस्तक पर बाल रचनाकार भावना आचार्य ने पत्रवाचन किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए बाल गायिका आरती छंगाणी ने लेखक राजेन्द्र जोशी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला ।इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मंच पर विभिन्न सम्प्रदायों के बालकों राघव सोनी, गीता सोनी, चैतन्य सहल, शौर्य जनागल, माधव राजपुरोहित, जुनैद खान, जैद खान, सतीश मूंड, अरमान नदीम, ध्रुवशेखर जोशी, उपस्थित थे।
बाल महोत्सव में बाल प्रस्तुतियां
बीकानेर शहर में पहली बार आयोजित राजस्थानी बाल महोत्सव में बच्चों ने खूब धमाल मचाया । कार्यक्रम का आगाज बाल कलाकार गीता सोनी की सरस्वती वंदना से हुआ तो राघव के गिटार की संगत पर गीता सोनी ने शानदार प्रस्तुति दी। चंग की थाप पर स्वरूप राजवी, प्रगति गौड़, स्नेहा राजपुरोहित, सीमा भाटी ने राजस्थानी लोक संस्कृति के गीतों की प्रस्तुति से सभी झूमने को मजबूर कर दिया ।
कार्यक्रम संयोजक राजाराम स्वर्णकार ने बताया कि संवित शिक्षण संस्थान के बाल कलाकारों निर्मला कंवर, कविता नायक,आँचल गौड़, हिमांशी राजपुरोहित, प्रतीक्षा जोहरवाल, रितिका कंवर, मिनिष्का बीका एवं स्वरूप राठौड़ ने जै-जै राजस्थान जैसे लोकप्रिय गीत पर शानदार तरीके से लोक नृत्य की प्रस्तुति दी।
स्वर्णकार ने बताया कि राजस्थानी बाल कवियों ने राजस्थानी कविताएँ पढ़ी, स्वरूप राजवी ने तितली, प्रगति गौड़ ने दायजो, स्नेहा राजपुरोहित ने लुगाई री पीड़, भावेश राजपुरोहित ने गोल गोल जलेबी एवं सीमा भाटी ने माँ शीर्षक से कविताओं की प्रस्तुति देते हुए बाल श्रोताओं की तालियां बटोरी। कार्यक्रम में बाल गीतकार चैतन्य सहल ने शानदार गीत की प्रस्तुति दी।
संभागीय आयुक्त डॉ नीरज के पवन ने बाल कलाकारों को पुरस्कार प्रदान किये। राजस्थानी बाल महोत्सव के संयोजक राजाराम स्वर्णकार ने सभी संस्थाओं, प्रतिभागियों एवं सहयोगियों का आभार व्यक्त किया । इस अवसर पर बड़ी संख्या में साहित्यकार, युवा व बाल कलाकार, सामाजिक न्याय और अधिकारिता छात्रावास के बच्चे उपस्थित थे।