बीकानेर /13 दिसम्बर/ सादूल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट बीकानेर के तत्वावधान में इटली मूल के राजस्थानी भाषा के विद्वान डॉ एल पी तैस्सितोरी की 132 वीं जयंती के अवसर पर दो दिवसीय कार्यक्रम के तहत शुक्रवार को म्यूजियम परिसर स्थित तैस्सितोरी की प्रतिमा पर पुष्पांजली एवं उनके द्वारा किये गये सृजनात्मक अवदान पर चर्चा का कार्यक्रम आयोजित किया गया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान सरकार के कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ बी डी कल्ला थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता शहर जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष हीरालाल हर्ष ने की।
इस अवसर पर बोलते हुए डॉ बी डी कल्ला ने कहा कि डॉ एल पी तैस्सितोरी की जयंती पर उन्हें याद करते हुए हम उनके द्वारा राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में किये गये कार्यों पर गर्व कर सकते हैं, डाॅ कल्ला ने कहा कि डॉ तैस्सितोरी के अथक प्रयासों से ही सरस्वती जी की दो मूर्तियों की खोज हुई , उन्होंने कहा कि तैस्सितोरी द्वारा राजस्थानी भाषा के लिए किए गए काम को विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त हुई । डॉ कल्ला ने कहा कि वर्तमान समय में हमारी संस्कृति पर हमला करने का प्रयास हो रहा जिसका हमको विरोध करना चाहिए । उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने सन् 2003 में राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को भेजा था परंतु बड़े खेद का विषय है कि भारत सरकार उसे स्वीकार करने की बजाय कमेटियां बनाकर टालमटोल कर रही है ।
उन्होंने सादूल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट बीकानेर के तत्वावधान में किये जा रहे उल्लेखनीय कार्यों की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए इसे निरन्तरता रखने का आह्वान किया । उन्होंने कहा कि दस करोड़ से अधिक लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए तुरंत राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करना चाहिए । उन्होंने कहा कि विषम परिस्थितियों में भी डॉ एल पी तैस्सितोरी ने राजस्थानी साहित्य को समृद्ध करने के लिए काम करतेहुएअनेक यात्राएं भी की उनको अनेक भाषाओं का ज्ञान था,हम उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं ।
सादूल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट बीकानेर के मानद सचिव, कवि – कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि डॉ तैस्सितोरी कल्पनाशक्ति के भाषा विद्वान थें उन्होंने असीम श्रद्धा व लगन के कारण ही यहां के अनेक ग्रंथो का भलीभांति सम्पादन किया । जोशी ने कहा कि तैस्सितोरी एक लेखक, भाषावैज्ञानिक व विद्वान होने के साथ-साथ एक इतिहासकार भी थे, डाॅ तैस्सितोरी ने अपनी मातृभाषा, अंग्रेजी, संस्कृत, गुजराती, प्राकृत व राजस्थानी भाषा के गहन अनुशीलन के साथ- साथ ऐतिहासिक तथ्यों प्रागैतिहासिक व पुरातात्विक तथ्यों का भी शोध व अन्वेषण कार्य करके हमें एक और प्राचीन सभ्यता और संस्कृति से अवगत कराया ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष हीरालाल हर्ष ने कहा कि डॉ तैस्सितोरी के अथक प्रयासों का ही सुपरिणाम है कि जिसके कारण अनेक प्राचीन लेख प्रकाश में आ सके है । उन्होंने कहा कि भारत के जिन भागों में उन्हें शोध की संभावनाएं लगी वहां उन्होंने बहुत सजगता व उद्यमपूर्वक कार्य किया ।
कार्यक्रम में शिक्षाविद् और राज्य शिक्षा नीति के सदस्य ओमप्रकाश सारस्वत ने कहा कि तैस्सितोरी का मन राजस्थानी भाषा में ही रमण करता था तभी प्रारंभिक काल में ही अपने देश में रहते हुए ही फ्लोरेंस विश्वविद्यालय में राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथों का अध्ययन किया । संगीतज्ञ डॉ कल्पना शर्मा ने कहा कि तैस्सितोरी प्रखर बुद्धि व जिज्ञासु प्रवृत्ति होने के कारण राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति का ज्ञान प्राप्त करने में अग्रणी भूमिका निभा सकें ।
इस अवसर पर चन्द्रशेखर जोशी, सखा संगम के अध्यक्ष एन डी रंगा, डाॅ फारूक़ चौहान, योगेन्द्र पुरोहित, विमल शर्मा, निरंजन पुरोहित ने भी डॉ एल पी तैस्सितोरी को राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति का विद्वान बताते हुए विचार रखे । कार्यक्रम में अर्चना सक्सेना, शकुर मोहम्मद, जनमेजय व्यास, शंशाक शेखर जोशी, पूर्व पार्षद हजारी देवड़ा, राजाराम स्वर्णकार रमेश महर्षि, सहित अनेक लोग उपस्थित थे ।
सादूल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट बीकानेर के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन शनिवार 14 दिसम्बर को प्रातः 11:15 बजे स्थानीय बीकानेर व्यापार उद्योग मण्डल, मार्डन मार्केट, सीटी स्कूल के सामने के सभाकक्ष में आयोजित होगा । कार्यक्रम में राजस्थानी भाषा के विद्वान साहित्यकार लक्ष्मी नारायण रंगा को डॉ तैस्सितोरी अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वेटनरी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो ए के गहलोत होगे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ लोककला मर्मज्ञ डॉ श्री लाल मोहता करेंगे ।