बीकानेर।राजस्थानी मोट्यार परिषद् बीकानेर के सदस्यों ने आज लगातार दूसरे दिन मास्क बना कर वितरित किए। परिषद् सलाहकार अजय कंवर ने मास्क (200) सिलाई की व बीकानेर संभाग महामंत्री सरजीत सिंह ‘राजस्थानी’ एवं बीकानेर उपाध्यक्ष मुकेश रामावत ने मिलकर मुक्ता प्रसाद नगर, रामपुरा सहित बाबूलाल फाटक के पास जाकर पुलिस विभाग के कर्मचारियों को मास्क बांटे व इस कोविड-19 जैसी महामारी के समय दिन रात पुलिस व्यवस्था में लगे कार्मिकों का धन्यवाद तालीया बजाकर किया। आज प्रशासन की चाक चौबन्ध व्यवस्था से ही कोविड -19 महामारी का फैलाव ना के बराबर हुआ है।
आज प्रशासन और सरकार कोरोना को जितना गम्भीर मान कर आमजनता को इसकी चपेट में आने से बचाने में लगी हैं, यह बहुत ही सराहनीय कदम है। लेकिन क्या आमजन इस गम्भीरता को समझ रहे हैं? जी बिल्कुल नहीं समझ रहे है। आज भी लोग लोकडाउन की धज्जियाँ उडा़ने में लगे हैं, सरकार ने आम जन की जरूरतो को ध्यान में रखते हुए आवश्यक वस्तुओं की सेवा को लोकडाउन से मुक्त रखा है और इसका फायदा उठाकर लोग घरों से बाहर निकल रहे है और अनावश्यक भीड़ लगाकर लोकडाउन की धज्जियो उडा़ रहे हैं। वहीं बातो की शौकीन महिलाएँ भी गलियों व पार्को में झुण्ड बनाकर बातों में मग्न हैं। जब इनको कोई समझाता है कि सरकार के आदेश का पालन करो तो कहते है हमें कुछ नहीं होगा और फिर लग जाती है लोकडाउन के उल्लघण में इन की नादानी सरकार और.प्रशासन के प्रयासो पर पानी ना फेर दे। इससे पहले सब को सम्भलना होगा, क्योंकी इनकी वजह से लोकडाउन का समय तो और बढेगा ही साथ ही साथ इनकी ला परवाहीं समझदार लोगो को भी कोरोना की माहामारी की चपेट में ले लेगी।
चिकित्सा विभाग व पुलिस विभाग पर इस देश को हमेशा ही गर्व था और रहेगा। लेकिन इस समय इस महामारी के फैलाव को रोकने का एक मात्र साधन अपने अपने घरों में रहना है। सरकार सख्त है लेकिन आमजनता इसे बहुत हल्के में ले रही है लगातार देखने में आ रहा है कि दोपहर ढलते ढलते सभी अपने अपने घरों के बाहर या फिर पार्क में घूमना-फिरना शुरू कर देते हैं ओर तो ओर सड़कों पर सन्नाटा देखने भी ऐसे निकल रहे हैं मानों बाहर कोई नोटकी चल रही है।
11चौराहा मुक्ता प्रसाद नगर, आदर्श वाटिका(पार्क) 14 नंबर मुक्ता प्रसाद नगर, तनेजा जनरल स्टोर, सर्वोदया बस्ती-मुक्ता प्रसाद रोड़, रामपुरा-मुक्ता प्रसाद रोड पर लोग बिना किसी कारण के घमते रहते हैं जो इस महामारी के समय एक बड़े खतरों को आमंत्रित कर रहे हैं। प्रशासन की गाड़ियों की आवाज के साथ ही घरों में ऐसे बैठते हैं कि वर्षों से बैठे हैं मगर अगले ही क्षण ऐसे जमावड़ा चौक या गल्ली में लगा लेते हैं कि कोई अमृत बांटते हुए निकला है। जब पुछा गया तो सब के बहाने घर का सामान ला रहे हैं, दुध ला रहे हैं, सब्जी ला रहे हैं। लेकिन 50 में से समान लाने वाले मात्र 5/7 लोग। कब समझेंगे ये कि यही समय है सम्भल जाओ नहीं तो इस महामारी को हर घर में घुसते हुए समय नहीं लगेगा।