जयपुर ,।एसडीजी 12 जो कि ‘सतत् उपभोग और उत्पादन के रूप में जाना जाता है के लक्ष्य को हासिल करने के लिए जागरूकता समन्वयन और डेटा की कमी एक प्रमुख चिंता का विषय है। विभागों में बजट और तकनीकी कर्मचारियों की कमी के साथ-साथ अपर्याप्त निगरानी और रिपोर्टिंग एसडीजी क्रियान्वयन में राज्य स्तर की सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियां प्रतीत होती हैं। ये विचार जार्ज चेरियन निदेषक ‘कट्स इंटरनेषनल ने आज जयपुर में एसडीजी परामर्ष के उद्घाटन भाषण में व्यक्त की जिसका आयोजन नीति आयोग और स्वीडिष सोसायटी फार नेचर कंजरवेषन (एसएसएनसी की साझेदारी में ‘कट्स इंटरनेषनल द्वारा किया गया। अध्ययन के निष्कर्षों का जिक्र करते हुए उल्लेख किया कि महामारी के हानिकारक प्रभाव और अन्य कारकों के कारण 2015 की तुलना में 2030 तक कई संकेतकों की स्थिति और खराब हो सकती है। उन्होंने आगे कहा कि राजस्थान एसडीजी 12 लक्ष्यों को हासिल करने में पिछड़ रहा है।

यह ‘कट्स इंटरनेषनल द्वारा एसडीजी 12 पर ‘सतत् उपभोग और उत्पादनः एक उपभोक्ता परिप्रेक्ष्य षीर्षक से किए गए अध्ययन के प्रमुख निष्कर्षों में से एक था। अध्ययन ने मुख्य रूप से उपभोक्ता संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र दिषानिर्देषों के आधार पर उपभोक्ता परिप्रेक्ष्य से एसडीजी 12 को देखा। किसी भी अन्य लक्ष्य की तुलना में एसडीजी 12 के तहत देष की प्रगति की उपलब्धी का अध्ययन और विष्लेषण करने के महत्व इसलिए दिया गया क्योंकि इस लक्ष्य का अन्य लक्ष्यों के साथ अन्तर-सम्बन्ध महसूस किया गया था। लगभग सभी अन्य लक्ष्य एसडीजी 12 से जुड़े हुए हैं, जिससे यह रेखांकित होता है कि किसी देष द्वारा एजेंडा 2030 को पूरा करने के लिए एसडीजी 12 के तहत चिंताओं को ध्यान से देखे और सम्बोधित किए बिना कोई भी प्रगति हासिल नहीं की जा सकती।

उद्घाटन सत्र के दौरान बोलते हुए सुंदर नारायण मिश्रा वरिष्ठ सलाहकार एसडीजी नीति आयोग भारत सरकार ने ‘कट्स अध्ययन के निष्कर्षों का जिक्र करते हुए कहा कि राजस्थान एसडीजी 12 के लक्ष्यों को प्राप्त करने में पिछड़ रहा है। हालांकि राज्य स्तर पर कई प्रकार से नवाचार किये जा रहे हैं लेकिन उनकी मात्रा को बढ़ाना आवष्यक है। जिससे मात्रा के आधार पर एसडीजी 12 के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकें। उन्होंने जलवायु स्मार्ट कृषि हरित भवन महामारी और एसडीजी और स्थायी खपत से सम्बन्धित सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने आगे कहा कि एसडीजी 12 के लिए प्रभावी निगरानी और डेटा संग्रह की आवष्यकता है। उन्होंने साझा किया कि इस चिंता को दूर करने के लिए वर्तमान में नीति आयोग के तहत प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने एसडीजी 12 हासिल करने के लिए आयोग की रणनीति पर प्रकाष डाला।

आनन्द मोहन सदस्य सचिव राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने विभिन्न सरकारी योजनाओं पर प्रकाष डाला। उन्होंने वायु प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण अधिनियम जल प्रदूषण की रोकथान और नियंत्रण अधिनियम पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के बारे में बताया कि ये तीनों राजस्थान में कैसे काम कर रहे हैं। आसानी से पुनप्र्राप्त करने योग्य पुनः प्रयोज्य और कम हानिकारक सामग्री का उपयोग जिसका उपयोग डिस्सेप्लर नवीनीकरण पुनः उपयोग और पुनः निर्माण के लिए किया जा सकता है प्राथमिकता होनी चाहिए। सामग्रियों का पुनर्चक्रण और पुनः उपयोग ई-कचरे को कम करने के संभावित समाधान है। एसडीजी 12 लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समाज में स्थायी उपभोग व्यवहार की आवष्यकता है।

डा पुनीता सिंह संयुक्त निदेषक पर्यटन विभाग राजस्थान सरकार ने राजस्थान में स्थायी पर्यटन पर विभिन्न पारम्परिक प्रथाओं और सरकार की पहल पर प्रकाष डाला। राजस्थान इको टूरिज्म पालिसी 2021 के अनुसार इको टूरिज्म को एक प्रकार के स्थायी पर्यटन के रूप में परिभाषित किया गया है जिसमें प्राकृतिक या सांस्कृतिक विरासत क्षेत्र हैं। जिसमें सामुदायिक जुड़ाव प्राकृतिक संसाधन संरक्षण और प्रबन्धन संस्कृति स्वदेषी ज्ञान और रीति-रिवाज पर्यावरण षिक्षा और नैतिकता षामिल है।

हितबल्लभ षर्मा उप सचिव ग्रामीण विकास विभाग राजस्थान ने एसडीजी 12 के कार्यान्वयन की चुनौती के बारे में चर्चा की। उन्होंने राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद् की विभिन्न पहलों पर भी प्रकाष डाला। उन्होंने एसडीजी 12 को प्राप्त करने में स्वयं सहायता समूहों की भूमिका का उल्लेख किया। स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देने और स्वयं सेवी संस्थाओं के साथ सहयोग करने की जरूरत है।

पर्यावरण ग्रामीण विकास पर्यटन यूनिसेफ और अन्य सहित सात विभागों के प्रतिनिधियों ने अमर दीप सिंह वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी ‘कट्स द्वारा संचालित चर्चा में एसडीजी 12 से सम्बनिधत अपने विभाग की विषिष्ट प्रगति और कार्यक्रमों को साझा किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाष डाला कि राजस्थान में सतत् खपत के संबंध में सर्वोत्तम प्रथाओं और पहल का दस्तावेजीकरण करने की आवष्यकता है। परामर्ष में ‘कोविड प्रोटोकाल दिषानिर्देषों का पालन किया गया जिसमें राजस्थान के विभिन्न सरकारी विभागों स्थायी खपत और उपभोक्ता संरक्षण पर काम करने वाले 50 से अधिक संगठनों की भागीदारी थी।