– हेम शर्मा –

कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में हुए निर्णयों से राजस्थान कांग्रेस में निराशा हुई है। पिछले वर्ष पर से संगठनों का पद पाने के प्रयासों में लगे कांग्रेस के नेताओं की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। साथ ही पूरे प्रदेश में कांग्रेस नेताओं की सक्रियता पर भी विराम लग जाएगा। संगठन में नियुक्तियों से कांग्रेस के बड़े नेतृत्व समूह को मिलने वाली सन्तुष्टि निराश में बदल गईं है। इससे राजस्थान कांग्रेस को धक्का ही लगेगा। यह मनोवैज्ञानिक असर कांग्रेस के लिए नुकसानदेह साबित होगा। संगठन में नियुक्तियों की उम्मीदें इतनी परवान चढ़ा दी कि प्रयासरत हर नेता खुद नियुक्ति के करीब मान रहे थे। आश्वासन औऱ उम्मीदे बढ़ाकर फिर निराश कर दिया। इस निराशा का प्रभाव निष्क्रियता औऱ नाराजगी के रूप में होना अवश्य संभावी है। संगठन में नियुक्ति से सन्तुष्ट होने वाले नेता अब असंतुष्टों की कतार में नजर आएंगे।। कांग्रेस कार्य समिति का प्रदेश व जिला स्तर पर अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक के चुनाव का निर्णय नीतिगत रूप से तो ठीक हो सकता, परन्तु सत्ता संघर्ष के चलते राजस्थान में बने हालातों में उचित नहीं है। राजस्थान में एकबारगी संगठन में नियुक्तियों की कार्रवाई हो जानी चाहिए। फिर चुवाव की प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। कांग्रेस कार्य समिति का निर्णय राजस्थान में तत्कालीन राजनीतिक हालातों में उचित नहीं है। हालातों के अनुरूप निर्णय होने से ही प्रदेश कांग्रेस को लाभ होगा। कांग्रेस कार्य समिति का निचले स्तर से राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव, सदस्यता अभियान, पोलिंग बूथ तक पदयात्रा औऱ छोटी छोटी बैठकें, केंद्र की नीतियों का विरोधी कितना हो पाएगा। सीडब्ल्यूसी के निर्णय कितने उत्साहवर्धन है यह कमजोर होती कांग्रेस के लिए एक सवाल ही है।