– राज्य सरकार का सीबीआई जांच को लेकर किया गया फैसला
दाल में कुछ काला है

– सरकार को ढूंढ रही है जनता, होटल में कैरम, फुटबाॅल खेलकर और फिल्में देखकर की जा रही मौज मस्ती

– मुख्यमंत्री को अपने विधायकों पर विश्वास है,
तो फिर क्यों होटल में कैद कर रखा है

जयपुर,। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में पत्रकारों ने बातचीत में कहा कि प्रदेश के पाॅलिटिकल थियेटर ड्रामा में सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का प्रवचन सुना तो अफसोस हुआ कि जिस तरीके की भाषा का इस्तेमाल उन्होंने किया, उससे मुख्यमंत्री पद की गरिमा तार-तार हुई है।

डाॅ. सतीश पूनियां ने कहा कि राजस्थान के इस पाॅलिटिकल ड्रामे में नायक और खलनायक कांग्रेस है, लेकिन तोहमत भाजपा पर लगाते हैं। उन्होंने कहा कि सुभाष चंद्र बोस के कालखंड से शुरुआत करें लंबी फेहरिस्त है चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, चैधरी चरण सिंह, मोरारजी देसाई, ममता बनर्जी, शरद पवार, जगनमोहन रेड्डी अनेकों ऐसे नेता हैं जो कांग्रेस पार्टी को छोड़कर गए, जिसका एक ही कारण ही इन सभी की उपेक्षा की गई और गांधी-नेहरू परिवार की चापलूसी करने वालों को सत्ता में भागीदारी मिलती रही।
मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा सचिन पायलट के खिलाफ दिये गये बयान को लेकर पूछे गये सवाल का जवाब देते हुये डाॅ. पूनियां ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष अपनी पार्टी छोड़ता है तो इसमें भाजपा का हाथ कैसे हो सकता है, यह कांग्रेस पार्टी का अंदरूनी झगड़ा है जो अब प्रदेश के सामने आ चुका है, मुख्यमंत्री के अहंकार के कारण प्रदेश में कांग्रेस का बिखराब हुआ है।

उन्होंने कहा कि सरकार, मंत्री और विधायक कितने दिन तक बाड़े में बंद रहेंगे, प्रदेश की जनता उन्हें ढूंढ रही है, जनता के काम नहीं हो रहे हैं, इसको लेकर मुख्यमंत्री जवाब दें। कोरोना के आंकड़े प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे हैं, आमजन परेशान हैं तो वहीं सरकार, उनके मंत्री एवं विधायक होटल में कैरम, फुटबाॅल खेल रहे हैं, मुगल-ए-आजम, शोले जैसी फिल्में देखी जा रही हैं, और सोनिया गांधी को खुश करने के लिए इटालियन डिश भी बनाई जा रही है।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दर बढ़ती जा रही है, 500 से ज्यादा मौतें हो चुकी हंै, बिजली की दरें बढ़ाने से लोग परेशान हैं और तीन महीने के बिजली बिल माफी पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है, प्रदेश के जनहित के मुद्दों का समाधान निकालने पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है, सिर्फ होटल में कैद होकर मौज मस्ती की जा रही है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान में अप्रत्यक्ष रूप से आपातकाल नहीं है तो क्या है, अंग्रेजों ने 124ए दुरुपयोग कर महात्मा गांधी और लोकमान्य तिलक पर लगाया था, अब प्रदेश में मुख्यमंत्री गहलोत एसओजी और एसीबी का निर्दलीय एवं छोटे दलों के विधायकों को डराने-धमकाने के लिए दुरुपयोग कर रहे हैं।
राज्य सरकार द्वारा सीबीआई जांच को लेकर जारी किये गये नोटिफिकेशन पर डाॅ. पूनियां ने कहा कि इसको लेकर राज्य सरकार के नोटिफिकेशन के मुताबिक राज्य सरकार की सहमति के बाद ही सीबीआई किसी भी मामले की जांच कर सकेगी, पहले विशेष मामलों की राज्य सरकार की अनुमति के बिना भी सीबीआई सीधे तौर पर भी जांच कर सकती थी, लेकिन 19 जुलाई को राज्य सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर अब सभी मामलों में राज्य सरकार की अनुमति जरूरी कर दी है, तो इससे साफ है कि दाल में कुछ काला, मुख्यमंत्री ने कुछ छिपाने के लिये ऐसा फैसला लिया है।

मुख्मयंत्री ने अमर्यादित एवं अंसुतिलित भाषा का इस्तेमाल किया है, जिससे साफ है कि वे नैतिक तौर पर कमजोर हो चुके हैं और नैतिक तौर पर हार भी मान चुके हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान जैसे बड़े प्रदेश का मुख्यमंत्री अपने ही लोगों के खिलाफ संसदीय आचरण की गरिमा के खिलाफ जाकर अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, ऐसी भाषा के लिये कोई स्थान नहीं है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
मुख्यमंत्री द्वारा सतीश पूनियां के मानसेर जाने को लेकर कही बात को लेकर डाॅ. पूनियां ने कहा कि ना तो मैं मानेसर गया और ना ही सचिन पायलट गुट के किसी विधायक से मिला, मुख्यमंत्री का यह बयान तथ्यहीन और आधारहीन है, चाहे तो किसी भी सरकारी एजेंसी से जांच करा लें। उन्होंने कहा कि पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष होने के नाते संगठन के काम से दिल्ली जाना होता है, संगठन के कार्यों को लेकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं अन्य केन्द्रीय पदाधिकारियों से मिलकर चर्चा करनी होती है, मेरे दिल्ली जाने से मुख्यमंत्री एतराज क्यों है, मैं कोई अशोक गहलोत की सरकार गिराने दिल्ली जाता हूं क्या, इसका जवाब मुख्यमंत्री दें।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि, आप (अशोक गहलोत) कांग्रेस की अन्दरूनी लड़ाई में भाजपा को क्यों घसीट रहे हैं, मुख्यमंत्री ने खुद कहा कि पिछले 18 महीने से उनका डिप्टी सीएम से संवाद नहीं है, तो इसमें हमें क्या कहने की जरूरत है, यह तो स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री की तानाशाही कार्यशैली की वजह से अंतर्कलह एवं विग्रह के हालात कांग्रेस के अंदर बने हैं, इस बारे में पूरा प्रदेश जान चुका है। उन्होंने गहलोत पर निशाना साधते हुये कहा कि आपकी सरकार बचाने की कोई हमारी नैतिक जिम्मेदारी थोड़े ही है, अपने कर्मों से ही यह सरकार जाएगी।
मुख्यमंत्री पद की गरिमा के खिलाफ मुख्यमंत्री अमर्यादित भाषा बोल रहे हैं, राजस्थान को तमाशा बना रखा है, त्रिस्तरीय सुरक्षा में विधायकों को कैद कर रखा है, जब मुख्यमंत्री को विधायकों पर विश्वास है, तो फिर क्यों होटल में कैद कर रखा है। बीटीपी के विधायकों के साथ कैसा आचरण किया गया, किस तरह डराया धमकाया गया, सब जानते हैं।