जयपुर ।राजस्थान में कांग्रेस के अंदर मचे घमासान की वजह से कौतुहल का दौर शुरू हो गया है। अभी विधायकों की बैठक होनी थी, जिसे सोमवार सुबह तक के लिए टाल दिया गया है। सुबह साढ़े दस बजे विधायकों को बुलाया गया है। इससे पहले मंत्रिपरिषद की बैठक में बड़े फैसले लिये गए हैं। इधर-उधर हो रहे विधायकों में से तीन की वापसी की जानकारी मिल रही है। सचिन पायलट कुछ बड़ा करे, इससे पहले कांग्रेस कुछ बड़ा करने का मन बना चुकी है। मध्यप्रदेश जितना समय दिया नहीं जाएगा। कांग्रेस का मानना है कि इसके बाद बहुत कुछ संभल जाएगा। नहीं भी सुधरे तो यह अशोक गहलोत की हैडेक है कि वे बहुमत जितनी संख्या कैसे जुटाते हैं। निन्यानबे के फेर में पड़ी कांग्रेस को सत्ता तक लाने वाले अशोक गहलोत के लिए यह चुनौती बड़ी है, लेकिन यही तो राजनीति है। आज दिनभर इसी गणित पर चर्चा होती रही। इधर, सचिन पायलट का गुस्सा सातवें आसमान पर है। वजह एसओजी का नोटिस बताया जा रहा है। सुबह से उनके दिल्ली होने की जानकारी थी, शात तक वे ललकारने के अंदाज में आ गये हैं। हालांकि सोनिया गांधी को सचिन पायलट क्या बताना चाहते थे, यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन अहमद पटेल से मुलाकात हुई बताते हैं। अपने सखा ज्योतिरादित्य से उनकी बात की सुगबुगाहट सामने आती है, लेकिन मित्र राहुल गांधी कहीं पिक्चर में नजर नहीं आते। पूरा दिन सत्ता के लिए साजिश, संशय और

इन सभी के बीच किसी को लग रहा है गहलोत सरकार जाएगी तो किसी का कहना है कि प्रदेशाध्यक्ष पद से सचिन पायलट का इस्तीफा होगा। इस बीच सचिन पायलट के भाजपा में जाने की अटकलें भी विश्वसनीय तरीके से सामने आ रही हैं तो गहलोत सरकार के मंत्री अशोक चांदना यह कहते हुए सामने आते हैं कि भाजपा में जाने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाल क्या हुए हैं, देख लेना चाहिए।

बात यहीं पर खत्म नहीं होती। अशोक गहलोत के घर में दिनभर जहां विधायक-मंत्रियों की आवाजाही दिखती है तो आक्रामक रुख अपनाए कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट के तेवर तीखे होते जा रहे हैं। सचिन की पत्नी सारा ने भी ट्विटर पर मोर्चा खोल लिया है। उनके ट्विट देखकर कहा जा सकता है कि सचिन आर-पार की लड़ाई के मूड में आ चुक हैं। सारा कश्मीर के कद्दावर नेता फारुक अब्दुला की बेटी हैं तो सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट का नाम कांग्रेस में बहुत ही श्रद्धा से लिया जाता है।
ऐसे परिवार से से आई सारा अगर इस तरह के ट्विट करती हैं तो इसका साफ मतलब है कि सचिन पायलट खुद को काफी मजबूत मान चुके हैं। इधर, अशोक गहलोत राजनीति के चाणक्य हैं। वे हर बार पार्टी लाइन का उल्लेख करना नहीं भूलते। वे हर बार यह जताते हैं कि जैसा आलाकमान करेंगे, वैसा होगा। आज भी ऐसा ही हुआ है। लिहाजा, विधायक दल की बैठक में होने वाले निर्णयों को लेकर संस्पेंस बरकरार है। कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अजय माकन, रणदीप सुरजेवाला और अविनाश पांडे को जयपुर जाने के लिए कहा है।

इन सब के बीच भाजपा सारी परिस्थितियों पर नजर बनाए हुए है, लेकिन डर सिर्फ वसुंधरा फैक्टर से है। अगर ऐन मौके पर वसुंधराराजे आ गईं तो भाजपा के वर्तमान क्षत्रपों का क्या होगा, यह किसी से नहीं छिपा है। ऐसे में कोई भी कुछ कहते हुए डर रहा है। सूत्रों का कहना है कि राजस्थान की राजनीति में जो भी होगा, वह दिल्ली से होगा। राजस्थान भाजपा का इसमें सीधा दखल नहीं होगा। उन्हें सिर्फ निर्देश मिलेंगे, जिसकी अनुपालना उन्हें अपने विधायकों से करवानी होगी। इस बात में बहुत कुछ निहित है।