प्रदेश में गहलोत सरकार पर आये संकट के दौर में सोमवार को राजधानी जयपुर देशभर के सियासी हल्कों में सुर्खियों का केन्द्र रही। उप मुख्यमंत्री सचिन पायलेट के आत्मघाती सियासी दाव से प्रदेश में सत्ता का घमासान रविवार रातभर चलता रहा और सुबह होते ही माहौल की सरगर्मियां दुगुनी रफ्तार पकड़ गई। प्रस्तुत है राजस्थान की सत्ता के संघर्ष की दिलचस्प झलकियां
राजस्थान की सत्ता पर आये संकट के ताजा हालातों पर खुफिया विभाग की नजर जयपुर से लेकर दिल्ली कायम रही। इस दौरान सीरियर आईएएस अफसर पल पल की जानकारी सीएम को दे रहे हैंं। बताया जा रहा है कि कुछ अफसरों ने दिल्ली में भी डेरा डाला हुआ है और वहां की अपडेट भी लगातार जयपुर भेजी जा रही है। सीएम भी अपने रणनीतिकारों ओर सलाहकारों के बजाये खुफिया विभाग से जुड़े सिनियर अफसरों की रिपोर्ट को ज्यादा गंभीरता से ले रहे है।
-भरोसा नहीं है तो बांध कर रख लो
सत्ता के संघर्ष में प्यादा बने कांग्रेस विधायकों के लिये आज का दिन काफी चुनौतिपूर्ण रहा और उन्हे सीएम के अलावा कांग्रेस के सिनियर नेताओं और मीडिया के सामने अपनी विश्वनियता का दावा पेश करना पड़ा,ऐसे में एक बुजुर्ग विधायक तो मीडिया के सामने बुरी तरह झल्ला कर यहां तक बोल गये कि भरोसा नहीं तो हमें बांध कर रख लो।
सियासी बवंडर के बीच सोमवार को आग में घी डालने के काम में जुटी सोशल मीडिया के रिपोर्टरों ने सचिन पायलेट की नई पार्टी का नाम भी घोषित कर दिया। सोशल मीडिया पर वायरल हुई खबरों के मुताबिक सचिन ने राजस्थान में तीसरी राजनैतिक ताकत के रूप में अपनी नई पार्टी प्रगतिशील कांग्रेस का गठन की तैयारी पूरी कर ली है। इतना ही नहीं कई रिपोर्टरों ने तो पार्टी में शामिल होने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के नाम तक चला दिये,ऐसे में कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को खण्डन तक करना पड़ा।
राजस्थान की सत्ता पर आये संकट में विचलित हुए कांग्रेस के कई नेताओं की जुंबा फिसलनी शुरू हो गई। ऐसे में छत्तीसगढ कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया तो सचिन पायलेट से जुड़े एक सवाल को लेकर मीडिया के सामने ज्योर्तिरादित्य सिंधिया का नाम ले गये और बार बार उन्हे कांग्रेस का निष्ठावान बताया, बाद में ट्वीट किया कि मुझसे सचिन को लेकर सवाल किया गया था। सचिन की जगह सिधिंया का नाम निकल गया। गलती से ऐसा हो गया,इसके अलावा भी सोमवार को कांग्रेस के कई नेताओं की जुंबा लगातार फिसलती रही।
सीएम अशोक गहलोत का तख्त बचाने के लिये कांग्रेसी रणनीतिकार लगातार दावा कर रहे थे कि 116 विधायक उनके साथ मौजूद है,लेकिन सुबह सीएम हाउस में बैठक के लिये बुलाये गये विधायकों की सूचि चैक की गई तो मामला 102 पर ही अटक गया। इनमें से 92 कांग्रेसी और 10 निर्दलीय विधायकों के नाम शामिल थे। ऐसे में गैर मौजूद विधायकों के नाम गूंजने लगे तो सीएम के रणनीतिकारों की चिंता दुगुनी हो गई। ऐसे में एकबार फिर व्हिप जारी किया गया,इसके मुताबिक, यदि कोई विधायक बिना किसी विशेष कारण के गैरहाजिर रहेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रदेश सत्ता को लेकर कायम हुए संस्पेश के माहौल को देखते हुए सियासी सट्टेबाजों ने भाव लगाने शुरू कर दिये। कांग्रेस की सत्ता कायम रहेगी या नहीं ? इसे लेकर सट्टेबाजी का दौर एक ही रात करोड़ो तक पहुंच गया। सौदेबाजी के इस दौर में बीकानेर के सियासी सट्टेबाज सबसे ज्यादा सक्रिय रहे। सियासी उठापटक को लेकर सट्टेबाजी के इस खेल में कांग्रेस-बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने भी खुलकर दाव लगाये।
कांग्रेस हल्कों में यह खबर खूब सुर्खियों में रही कि आगे बढ चुके सचिन अब अपने कदम पीछे नहीं खीचेंगे,ऐसे में कांग्रेस के एक दिग्गज नेता ने तो ट्विट कर दिया कि सचिन अब भाजपा के हो चुके है। इस बीच जयपुर में कांग्रेस मुख्यालय में पायलट के पोस्टर हटा दिए गए। इस हरकत को सीएम अशोक गहलोत लॉबी के कुछ फितरती नेताओं ने अंजाम दिया। बाद में प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने इन नेताओं को फटकार लगाने के बाद वापस पोस्टर लगवायें।
सरकार पर आये सियासी संकट के दौर में केबिनेट मंत्री डॉ.बीडी कल्ला,उच्च शिक्षामंत्री भंवर सिंह भाटी और खाजूवाला विधायक गोविन्द मेघवाल ना सिर्फ साथ साथ रहे,बल्कि मीडिया वालों से भी दूरिया बनाये रखी। वहीं सोशल मीडिया पर किसी ने फेक न्यूज जारी कर दी कि सत्ता का संकट टालने के लिये सीएम अशोक गहलोत अब डॉ.बीडी कल्ला को सत्ता की कमान सौंपने को तैयार हो गये है। इस खबर से डॉ.कल्ला का मिजाज खासा गरम रहा और उन्होने अपने पीएस को इस तरह की खबरें फैलाने वालों का पता लगाने के लिये कहा।
गहलोत सरकार को अल्पमत में लाने की साजिश वॉट्सएप कॉलिंग के जरिए की गई। ऐसा इसलिए भी क्योंकि विधायकों के फोन टेप हो रहे थे। जैसे ही पायलट गुट की वर्किंग पूरी हुई, सभी पायलट समर्थक विधायकों के फोन ऑफ हो गए। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट समर्थक विधायकों के मोबाइल शनिवार से ही ऑफ होना शुरू हो गए थे। इसके बाद शेष विधायकों ने रविवार को फोन ऑफ किए या कराए गए। उधर देर रात तक मुकेश भाकर, रामनिवास गावडिय़ा, जीआर खटाना, पीआर मीना, हरीश मीणा समेत कई विधायकों के फोन ऑफ मिले। पायलट गुट को पता था कि उनके फोन सर्विलांस पर हैं। ऐसे वॉट्सएप कॉलिंग के साथ-साथ मैसेंजर का भी उपयोग किया गया। विधायकों अपने वफादार कार्यकर्ता को इस काम में उपयोग लिया है।
सत्ता के सियासी महासंग्राम के दौर में सोमवार को कांग्रेस के दो महारथियों के नाम तो खूब सुर्खियों में रहे,लेकिन दोनों ही महारथी ज्यादा सक्रिय नहीं दिखे। इनमें एक महारथी रामेश्वर डूडी को लेकर रविवार दोपहर खबर आई थी कि वह जयपुर में मौजूद है,लेकिन बाद में उनके बारे में कोई खबर मीडिया पर नहीं आई। जानकारी में रहे कि दिग्गज जाट नेता रामेश्वर डूडी को सचिन पायलेट लॉबी मजबूत महारथी माना जाता है, लेकिन ताजा माहौल में डूडी ज्यादा सक्रियता नहीं दिखा रहे है,वहीं दूसरे महारथी सरदारशहर विधायक भंवरलाल शर्मा भी सत्ता के इस महासंग्राम में ज्यादा सक्रिय नहीं दिखे। जबकि राज्यसभा चुनावों के दौर भंवरलाल शर्मा,सीएम अशोक गहलोत के खास सिपहासालार के तौर पर सामने आये थे।