जयपुर-: प्रदेश भर के शहरी निकायों में आमजन के प्रकरण का समय पर निस्तारण नहीं हो रहा है. राज्य सरकार की सख्त माॅनिटरिंग का भी निकाय अधिकारियों पर असर नहीं हो रहा है. जी हां पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से ली गई जिला कलक्टर्स की वीसी में निकाय अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है. एक रिपोर्ट:

कलक्टर्स की वीसी में सामने आए आंकड़े:

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से पिछले दिनों जिला कलक्टर्स की वीसी ली गई थी. इस दौरान राजस्थान सरकार के संपर्क पोर्टल में लंबित प्रकरणों की भी समीक्षा की गई. इस समीक्षा में सामने आया कि संपर्क पोर्टल पर प्रदेश भर के शहरी निकायों से जुड़े 638 प्रकरण लम्बे समय से लंबित हैं. कई प्रकरणों में आमजन एक साल से भी अधिक समय से अपने प्रकरण के निस्तारण का इंतजार कर रहे हैं. यह तो तब है जब सरकार के इस संपर्क पोर्टल की समीक्षा मुख्यमंत्री कार्यालय और मुख्य सचिव स्तर पर की जाती है.

किस संभाग में कितने प्रकरण लंबित:

—सबसे अधिक जयपुर संभाग के निकायों के 225 प्रकरण लंबित हैं
—उदयपुर संभाग के 107 प्रकरण लंबित चल रहे हैं
—बीकानेर संभाग के 104 प्रकरण निस्तारण की बाट जोह रहे हैं
—भरतपुर संभाग के 96 प्रकरण संपर्क पोर्टल पर अटके हुए हैं
—कोटा संभाग के निकायों 61 प्रकरण लंबित हैं
—अजमेर संभाग के निकायों के 34 प्रकरण लंबित हैं
—सबसे कम 11 प्रकरण जोधपुर संभाग के निकायों के लंबित हैं

निकाय अधिकारी लापरवाह:

संपर्क पोर्टल पर प्रकरणों के निस्तारण को लेकर निकाय अधिकारी लापरवाह है, लेकिन लापरवाही का आलम इस कदर है कि पोर्टल पर प्रकरण के निस्तारण किए बिना ही निकाय अधिकारी उसे निस्तारित दर्ज करवा रहे हैं. ऐसे ही मामले पिछले दिनों सामने आए हैं. कांमा नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी ने खुले शौचालयों को बंद कराए बिना ही संपर्क पोर्टल पर दर्ज कर दिया कि शौचालय बंद कराने की कार्रवाई करा दी जाएगी. इसी तरह चुरू के नगर परिषद के आयुक्त ने सीवर लाइन की सफाई कराए बिना ही पोर्टल पर दर्ज कर दिया कि सफाई करा दी जाएगी. ऐसे में स्थिति में सुधार के लिए जरूरी है कि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.