– मजदूरों, गरीब लोगों व सरकारी विभाग के कच्चे कर्मचारियों ने लिया भाग
हर्षित सैनी
रोहतक, । आज रोहतक शहर में हजारों मजदूरों, गरीब लोगों व सरकारी विभाग के कच्चे कर्मचारियों ने राशन व आर्थिक मदद की मांग के लिए खाली बर्तन बजाकर अपने गुस्से का इजहार किया।
मजदूर संगठन सीआईटीयू के देशव्यापी आह्वान पर हुई इस कार्यवाही में निर्माण श्रमिकों, फैक्ट्री मजदूरों, सफाई कर्मचारियों, आशाओं, आंगनवाड़ी, मिड डे मील कर्मियों, रेहड़ी-पटरी मजदूरों, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, बड़ी संख्या में भाग लिया। इसमें महिलाओं की बड़ी संख्या थी।
उन्होंने कहा कि फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों की हालात भी खराब है। रोहतक शहर में प्रशासन द्वारा तय संस्थाओं द्वारा पहुंचाया जा रहा पका हुआ खाना भी अब अनियमित होता जा रहा है। कई कालोनियों में बार-बार फोन करने के बावजूद भी दो समय की बजाय एक समय ही खाना मिल रहा है, जोकि पूरे परिवार के लिए पर्याप्त मात्रा में नहीं होता है।
उनका कहना था कि प्रशासन के दावों के विपरीत गरीब लोगों तक विशेषकर प्रवासी मजदूरों एक हिस्से तक खाना ही नहीं पहुंच रहा है जबकि पूरे परिवार के भरण-पोषण के लिए अन्य जरूरी सामान (चायपत्ती, दूध) बच्चों के लिए खाद्य सामग्री पर बांटने पर कोई भी कदम नहीं उठाया जा रहा है। शहर में प्रवासी मजदूरों का राहत आपदा पहुंचाने के लिए होने वाला पंजीकरण बड़ी संख्या में नहीं हुआ है और इस बारे में प्रशासन की ओर से प्रयास भी लगभग नदारद है।
उन्होंने कहा कि अब केवल भाषण से काम चलने वाला नहीं है बल्कि राशन मिले, आर्थिक मदद मिले व जो मजदूर फैक्ट्रियों में काम करते हैं उनको पूरा वेतन मिले व किसी की नौकरी न हटे। सरकार काम के घंटे 8 से 12 करने के प्रयास बंद करे। इसलिए आज जरूरतमंद मजदूरों व गरीब लोगों ने अपने घरों की छतों, बालकोनियों, कार्यस्थलों, जहां भी ठहरे हुए हैं, वहां उचित दूरी रखते हुए, लाॅकडाऊन का पालन करते हुए इस आयोजन को सफल बनाया है।
सीटू नेताओं ने मांग कि है कि सभी मजदूर व जरूरतमंद परिवारों को 3 महीने का सुखा राशन फ्री में दिया जाए व घर तक पंहुचाया जाए। प्रत्येक मजदूर व जरूरतमंद परिवार को जो टैक्सदाता नहीं है उन्हें 7500 रूपये नगद राषि का भुगतान किया जाए। इसमें किसी भी प्रकार की कंडीषन न लगाई जाए।
उनका कहना था कि इस महामारी के दौरान जरूरी सेवाओं में लगे कच्चे कर्मचारियों जैसे आषा, स्वास्थ्य ठेका कर्मचारी, ग्रामीण सफाई कर्मचारी, आंगनवाड़ी, ग्रामीण चैकीदारोंमिड डे मील आदि को पूरे सुरक्षा उपकरण उपलब्ध हों। 50 लाख बीमा कवरेज दिया जाए। महामारी के दौरान समान काम समान वेतन या कम से कम डबल वेतन दिया जाए। स्कीम वर्कर्स व कच्चे कर्मचारियों का बकाया वेतन तुरंत जारी हो।
साथ ही भट्ठा मजदूरों सहित तमाम प्रवासी मजदूरों, निर्माण कल्याण बोर्ड में जो निर्माण मजदूर पंजीकृत नहीं हैं व तमाम असंगठित क्षेत्र के मजदूरों तक राशन व नगद रूपये देना सुनिष्चित किया जाए। फैक्ट्री मजदूरों को पूरा वेतन मिले व किसी को नौकरी से न हटाया जाए। मनरेगा के तहत काम मिले व खेती के कुछ कामों को भी इसके दायरे में लाया जाए व दिहाड़ी 600 रुपए हो। सरकार से मांग की गई कि 8 घंटे प्रतिदिन की डयूटी को 12 घंटे करने के केन्द्र सरकार के प्रयास तुरत बंद हो।