पटना , अनमोल कुमार ।

राष्ट्रपति के साथ राज्यपाल और मुख्यमंत्री हैं। इसके पहले राष्ट्रपति ने विधानसभा परिसर में शताब्दी वर्ष स्तंभ का शिलान्यास किया और परिसर में बोधि वृक्ष भी लगाए। फिर राष्ट्रपति ने विधानसभा अध्यक्ष के सामाजिक अभियान की शुरूआत की और स्मारिका का विमोचन किया। अब सदन में विमर्श ही संसदीय प्रणाली का मूल है” विषय पर व्याख्यान चल रहा है। विधानसभा अध्यक्ष ने सामाजिक अभियान हमारा परिवार 5 सामाजिक वरदानों से युक्त,5 कुरीति मुक्त होगा इसका शपथ भी लिया। राष्ट्रपति की मौजूदगी में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज बिहार विधानसभा भवन के 100 साल पूरा होने के उपलक्ष्य में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने समय दिया इसके लिए उन्हें हृदय से धन्यवाद देता हूं।

महामहिम का रिश्ता यहां से काफी पुराना रहा है। राष्ट्रपति हमारे यहां बिहार में करीब 2 साल के लिए राज्यपाल रहे थे। यहीं से इन्हें राष्ट्रपति बनने का मौका मिला । हम तो कहते हैं कि ये बिहारी राष्ट्रपति हैं। ये तो सीधे बिहार के राज्यपाल से राष्ट्रपति बने। हमलोगों को बेहद खुशी होती है। राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार आता हूं तो अच्‍छा लगता है.बिहार से अलग नाता लगता है. लगता है घस आया हूं.बिहार हमेशा इतिहास रचता है.आज भी इतिहास रचाा गया है.आज देश ने भी इतिहास रचाा है.देश ने सौ करोड़ कोरोना वैक्‍सीनेशन पूरा किया है.बिहार लोकतंत्र की धरती है.यहां वैशाली में लोकतंत्र फला-फूला.इस धरती पर नालंदा, विक्रमशिला जैसे शिक्षण संस्‍थान थे तो यहां आर्यभट्ट व चाणक्‍य हुए.इस परंपरा को आगे बढ़ाने की जिम्‍मेदारी अब बिहार के लोगों की है.यह संयोग नहीं था कि संविधान सभा के अंतरिम अध्‍यक्ष डा. सच्चिदानंद सिन्‍हा और स्‍थाई अध्‍यक्ष डा. राजेंद्र प्रसाद बिहार के थे.बिहार से ही जयप्रकाश नारायण ने लोकतंत्र को दिशा दी.बिहार की धरती ने समतामूलक समाज की परंपरा स्‍थापित की है.बिहार में नीतीश कुमार ने सबसे लंबे समय तक मुख्‍यमंत्री रहने का कीर्तिमान स्‍थापित किया है.बिहार विधानसभा ने शराबबंदी लागू किया.इस अधिनियम को कानून का दर्जा देने का गौरव मुझे भी मिला . .बिहार का छठ पर्व अब पूरे देश में मनाया जा रहा है.छठ पर्व अब ग्‍लोबल हो गया है.आज दुनियाभर के लोग छठ पर्व मना रहे हैं.आगामी त्‍योहरों के लिए बधाई देता हूं.विधानसभा अध्‍यक्ष विजय सिन्हा ने भाषण में विधासभा भवन को सौ वर्षों की विधायी यात्रा का प्रतीक बताया.और कहा कि यह कई ऐतिहासिक निर्णयों के साक्षी रहा है.हमें जाति-धर्म और लिंग भेद को भुलाकर अपनी विरासत को आगे बढ़ाना है।समारोह को संबांधित करते हुए मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्‍ट्रपति का स्‍वागत किया।

मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इनसे पहले जाकिर हुसैन बिहार के राज्‍यपाल से राष्‍ट्रपति बने थे.लेकिन, यहां से जाने के बाद पहले वे उप राष्‍ट्रपति बने, उसके बाद राष्‍ट्रपति हुए. इतिहास के पन्‍नों को उलटते हुए नीतीश ने कहा कि 1952 की पहली विधानसभा में 331 सदस्‍य थे.स्‍मारिका में आजादी की लड़ाई से लेकर अब तक विधानसभा की सारी जानकारी नई पीढ़ी के लिए उपलब्‍ध है.शताब्‍दी वर्ष पर बोधि वृक्ष भी लगाया गया.उन्‍होंने बुद्ध स्‍मृति पार्क में लगे वृक्ष के बारे में भी जानकारी दी.राज्‍यपाल ने कहा कि शताब्‍दी समारोह में राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद की उपस्थिति पर हर्ष व्‍य‍क्‍त किया.उन्‍होंने बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग होने के बाद बिहार विधानसभा के इतिहास पर प्रकाश डाला.राज्‍यपाल फागू चौहान ने कहा कि बिहार विधानसभा बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग होने से पहले बिहार-ओडिशा विधान परिषद भवन था.विधानसभा ने इतिहास के कई दौर देखे हैं.तब लॉर्ड सत्‍येंद्र प्रसन्‍न सिन्‍हा ने गवर्नर के रूप में संबोधन किया था ।