

नई दिल्ली ,(दिनेश शर्मा “अधिकारी”)। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की विशिष्ट सचिव शालिनी महर्षि ने बताया कि “ राष्ट्रीय लोक अदालते “ विवादों के समाधान में विशेष प्रभावशाली साबित हो रही है। वर्ष 2021 में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालतों में देष भर में रिकाॅर्ड तोड़ प्रकरणों के निस्तारण के फलस्वरूप गणतंत्र दिवस पर विधिक सेवा प्राधिकरणों का नेतृत्व करते हुए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) की ओर से लोक अदालत के प्रोत्साहन व प्रचार-प्रसार हेतु एवं आमजन में लोक अदालत को वैकल्पिक विवाद निस्तारण तंत्र के रूप में कानूनी विवादों के प्रभावी निस्तारण की ओर जन मानस के झुकाव को बढ़ाने एवं जन मानस में लोक अदालत के प्रति विष्वास बढ़ाने के उद्देष्य से इस बार गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर आयोजित परेड में अपनी झांकी प्रस्तुत करेगी, जिसमें यह संदेष दिया जाएगा कि लोक अदालत वैकल्पिक विवाद निस्तारण का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसमंे दोनों पक्षकारों के बीच सुलह वार्ता करवाई जाकर न्यायालय की लम्बी और खर्चीली प्रक्रियाओं से बनाते हुए विवादों का निस्तारण किया जाता है।
यह उद्गार रालसा की विशिष्ट सचिव ने अधिक स्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार दिनेश शर्मा अधिकारी को विशेष भेंटवार्ता में प्रकट किए। इस दौरान उन्होंने बताया कि
सभी आधारभूत उपायों के उपयोग से ही वर्ष 2021 के दौरान निस्तारण के असाधारण आंकडे प्राप्त हुए। पूरे भारत में चार राष्ट्रीय लोक अदालतों में करीब 1.25 करोड़ (कुल 1,27,87,329 )मामलों का निपटारा किया गया, जिसमें लंबित मामलों की एक रिकाॅर्ड संख्या यानि 55,81,117 और प्री-लिटिगेषन के 72,06,212 शामिल हैं। जिसमें राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण का लोक अदालतों के माध्यम से करीब 3 लाख (कुल 2.86,890) प्रकरणों का योगदान रहा है जो गत कई वर्षों की तुलना में काफी अच्छा रहा है। विधिक सेवा प्राधिकरण इतनी बड़ी संख्या में मामलों को निपटाते हुए कानूनी लड़ाईयों को समाप्त कर या रोककर आम नागरिकों को राहत देने में सक्षम हुए। सस्ता ,सुलभ और त्वरित न्याय देने की प्रक्रिया को पूरा करने के अपने लक्ष्य में राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य संरक्षक और भारत के माननीय मुख्य न्यायाधिपति माननीय न्यायमूर्ति एन. वी. रमना के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने वैकल्पिक विवाद निस्तारण के लिए लोक अदालत के माध्यम से लंबित मामलों की संख्या में प्रभावी ढंग से कम करने हेतु अदालतों पर जोर दिया है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) ने माननीय न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित, कार्यकारी अध्यक्ष, के नेतृत्व में लोक अदालतों में मामलों के निस्तारण को अधिकतम करने के लिए सभी राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों के साथ परामर्ष और समीक्षा बैठकें की जा रही हैं। प्रत्येक राष्ट्रीय लोक अदालत के आयोजन से पहले, नालसा ने तैयारियों का जायजा लेने और सभी हितधारको के मनोबल को बढ़ाने के लिए सभी राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों के कार्यकारी अध्यक्षगण और सदस्यगण के साथ कई बार बातचीत की। इस प्रकार नालसा के तत्वावधान में विधिक सेवा प्राधिकरणों ने लोक अदालतों के आयोजन के लिए अपनी रणनीतियों को बदला है। तकनीकी प्रगति और वर्चुअल प्लेटफार्म के बढ़ते उपयोग से विधिक सेवा प्राधिकरण घर-घर पहुंच बना रहा हैं। जिससे पक्षकार अपने घरों या कार्यस्थलों से सुलह वार्ताओं एवं लोक अदालत की कार्यवाहियों में शामिल होने में सक्षम हो पाये, जिससे पक्षकार को महंगी यात्रा से मुक्ति मिली। पक्षकारों को धन और समय दोनों की बचत मिली। प्राधिकरणों ने पाया कि बड़ी संख्या में सैकडों किलोमीटर दूर बैठे व्यक्ति वर्चुअल बैठकों में शामिल हो सके। इस प्रकार नालसा द्वारा लोक अदालतों के पर्यवेक्षण और निगरानी के प्रभावी तरीके विकसित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया। एन.आई. एक्ट के मामले, बैंक के वसूली योग्य मामले व अन्य वित्तीय मामलों में राजीनामे से निस्तारण के तत्व अधिक होते हैं। प्राधिकरणों द्वारा ऐसे मामलों पर विषेष ध्यान देकर राजीनामे की प्रत्येक संभावना को टटोला गया और निस्तारण के हर संभव प्रयास किए।वर्तमान महामारी के दौरान लंबित मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिसमें व्यवस्था पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। फिर भी, लोक अदालतों के माध्यम से बड़ी संख्या में निस्तारण के साथ, न्यायिक प्रषासन पर इस तरह के बोझ को कम करने में विधिक सेवा प्राधिकरणों द्वारा एक महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि लोक अदालतों ने किसी भी अन्य विवाद समाधान तंत्र की तुलना में अधिक संख्या में मामलों का निपटारा किया है और वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र के सबसे प्रभावषाली उपकरण के रूप में उभरी है। इन अभूतपूर्व आंकडों को प्राप्त करना कोई आसान काम नहीं था और यह मुख्य रूप से निर्णायक रणनीतियों के निर्माण और सभी स्तरों पर हितधारकों के महत्व, योगदान और प्रयासों के कारण संभव हुआ। महाराष्ट्र राज्य के संबंध में विष्व बैंक समूह की डवलपमेंट इम्पेक्ट इवेल्यूषन टीम की एक इकाई द्वारा की गई सैम्पल स्टडी से भी इन प्रयासों एवं परिणाम की पुष्टि होती है। आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए और साथ ही देष में विधिक सेवाओं के पच्चीस साल पूरे होने पर, नालसा की झांकी में लोक अदालतों के माध्यम से विवादों के समाधान पर जोर दिया गया है और विवादों को सुलह के माध्यम से समाप्त करने और उसके जरिए शांति और सामन्जस्य बनाने के लिए संदेष दिया है।

