कविता मुखर ने बताया कि सोमवार को झूम एप पर शानदार काव्य गोष्ठी की मुख्य अतिथि वरिष्ठ राजस्थानी रचनाकार सीकर निवासी डॉ शारदा कृष्ण थी तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता हिन्दी-राजस्थानी के वरिष्ठ कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने की ।
मुखर ने बताया कि गोष्ठी में राजस्थानी भाषा के युवा कवि नगेन्द्र किराड़ू, बीकानेर ,जोधपुर की वरिष्ठ कवियत्री डॉ सुमन बिस्सा , कोटा के वरिष्ठ गीतकार मुकुट मणिराज एवं कोलकाता की वरिष्ठ कवियत्री सुंदर पारख राजस्थानी भाषा में काव्य पाठ करेंगी ।
कार्यक्रम समन्वयक साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने बताया कि आन-लाइन राजस्थानी काव्य-गोष्ठी के प्रारंभ में संयोजक जयपुर की युवा साहित्यकार कविता मुखर ने अतिथियों के साथ सभी कवियों का परिचय प्रस्तुत किया ।
काव्य-गोष्ठी की मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ शारदा कृष्ण ने कहा कि कविता में इन दिनों केवल सपाटबयानी की जा रही है परन्तु राजस्थानी कविताएं इससे बची हुई है उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा प्रेम एवं अपनत्व की भाषा होने के कारण राजस्थानी कविता बिम्ब खड़ा करती है । डॉ कृष्ण ने कहा कि बिम्बों के कारण राजस्थानी कविताओं में लय मौजूद है उन्होंने कहा कि वर्तमान पीढ़ी राजस्थानी भाषा में बेहतरीन सृजनात्मक लेखन हो रहा है, उन्होंने मुक्ति संस्था को बधाई देते हुए कहा कि राजस्थानी भाषा की मान्यता की माँग को आगे बढ़ाने में यह आयोजन प्रोत्साहित करेंगा ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार कवि – कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि राजस्थानी भाषा में वर्तमान पीढ़ी सर्वाधिक संभावनाशील नज़र आती है, जो पौराणिक कथाओं के साथ साथ वर्तमान और भविष्य के सन्दर्भों को अपनी कविताओं में उपस्थित करते हैं । जोशी ने कहा कि आज पढ़ी गयी तीन पीढ़ी की रचनाएँ पाठकों को आश्वस्त करती है । उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए भारत सरकार को आगाह करने के लिए ऐसे आयोजन प्रारंभ करने की जरुरत हमेशा रहेगी ।
काव्य-गोष्ठी में बीकानेर के युवा कवि नगेन्द्र किराड़ू ने राजस्थानी कविताओं के साथ राजस्थानी गीत भी सुनाकर वाहवाही लूटी उन्होंने गिरगिट एवं चैन शीर्षक से कविताओं के साथ ही बादळी और पगफैरो गीतों की शानदार तरीके से भाव विभोर करने वाली प्रस्तुति दी। किराड़ू की कविता में ” गिरगिट सूं म्हैं करी बातड़ली म्हैं बीना पूछयो देख्यो है तने इकरंगो-दुरंगो रंगबिरंगो कांई बात है?
आनलाइन राजस्थानी काव्य-गोष्ठी में जोधपुर की वरिष्ठ कवियत्री डॉ सुमन बिस्सा ने अपने गीतों के माध्यम से मन में आज बसन्त शीर्षक गीत में बात करते हुए कहा कि “प्रेम राग गावै है मौसम , अंग अंग हरियाळी” डॉ बिस्सा ने “की तो व्हैला ” “एक अरूप निरवाळौ संसार ” एवं स्रिस्टी में या समझ में शीर्षक से गीतों के साथ कविताओं की शानदार प्रस्तुति दी।
राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ गीतकार कोटा से मुकुट मणिराज ने श्रृंगार रस के गीत सुनायें, मुकुट मणिराज ने काव्यपाठ के उपरांत गज़ल – लड़्या कोईनै , राम धणी छै थारो अबतो। एवं राजस्थानी गीत-धरती पै बादळा छाग्या घनघोर सा तथा रामल्यो- “उगती सूं ले ढळती रातां दौड़ै म्हारो रामल्यो एवं पैलां की पोळ्यां पै गोडा तोड़ै म्हारो रामल्यो” की पंक्तियां सुनाकर वाहवाही लूटी ।
कोलकाता की वरिष्ठ कवियत्री सुमन पारख ने अपनी चिर परिचित आवाज़ में लोक को सर्मपित गीत एवं कविताओं के माध्यम से सांगोपांग प्रस्तुति दी पारख ने देश भक्ति गीत आज़ादी के साथ माँ और प्रकृति पर शानदार तरीके से प्रस्तुत करते हुए श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया, उन्होंने राजस्थानी भाषा में क्षणिकाएं भी सुनाकर वाहवाही लूटी, पारख ने “ई मुजब है सा ” शीर्षक रचना से पढ़ना प्रारंभ किया । आनलाइन काव्य-गोष्ठी में अनेक लोगों ने देश के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़कर कवियों का उत्साह वर्धन किया तथा अन्त में कार्यक्रम के समन्वयक साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया ।