– धर्मशाला चम्बा इन्द्राहार पास 14520 फिट ट्रेकिंग कार्यक्रम 1986
बीकानेर (ओम एक्सप्रेस )20 मई 1986 को पायोनियर्स का 13 सदस्यीय दल हिमाचल प्रदेश स्थित इन्द्राहार पास अभियान हेतु पायोनियर आर के श्रीमाली के नेतृत्व में रवाना हुआ । दल में पायोनियर अशोक श्रीमाली, अमृत लाल सोनी, ललित शर्मा, अरविन्द बोड़ा, भानु प्रकाश सोनी, अवनीश मक्कड़, सूर्य प्रकाश सुथार, वीरेन्द्र सिंह शेखावत, अजय अग्रवाल, संजीव गुप्ता, राजेन्द्र पुरोहित एवं राजकुमार गुप्ता शामिल थे । दल 21 मई को ज्वालामुखी व 22 मई को धर्मशाला पहंचा । यहां से मेक्लोडगंज जहां तिब्बत धर्मगुरू दलाईलामा का निवास है, पहुंच कर आवश्यक तैयारियों पूरी की ।
यहां के क्षेत्रीय पर्वतारोहण केन्द्र के प्रभारी श्री एस आर सैनी से भेंट की । केन्द्र भी सभी सदस्य विशेष अतिथी के रूप से शामिल हुए । 25 मई को ट्रियुण्ड के लिये यात्रा प्रारंभ की । थोड़ा विश्राम कर अगले पड़ाव लकागोट के लिये रवाना हुए । लकागोट इन्द्राहार पास का आधार है । यहां से बर्फ का रास्ता शुरू हो जाता है । क्लेमेेटाइज अभ्यास बाद ल्हासा गुफा व टेंट में रात्रि विश्राम किया । दल 26 मई को सुबह 6 बजे इन्द्राहार पास के लिये रवाना हुआ, इस दल के साथ दो ग्रामवासी भी रवाना हुए । अग्रिम दल पीछे आने वाले सदस्यों के लिये बर्फ में स्टेप बनाकर चल रहा था । टीम के सदस्य पास के नीचे लगभग 500 फिट नीचे तक पहुंचे गये तथा विश्राम करने लगे । पीछे वाले दल के कुछ सदस्यों की तबीयत खराब होने लगी व सिरदर्द के साथ उल्टियां होने लगी । दल के तीन सदस्य अरविन्द बोड़ा, भानू सोनी व सूर्य सुथार लगभग 12.30 बजे इन्द्राहार पास पर पहुंच गये तथा जय घोष किया व आगे बढ़ने की आवाज देकर आगे बढ़ गये । तीनो सदस्यों ंके साथ चिन्होता क्वारसी गांव के दो ग्रामवासी भी साथ थे अतः किसी भी प्रकार की चिंता नहीं ंथी । इसी दौरान मौसम खराब होना शुरू होगा तथा हल्की बर्फ गिरनी प्रारंभ हो गई व बाद में ओले गिरने लगे जिससे पीछे वाली टीम का आगे जाना संभव नहीं हुआ । शाम 6 बजे पीछे वाली टीम नीचे उतरनी शुरू हुई । इन्हे उम्मीद थी कि तीनों सदस्य 28-29 मई को मच्छेतर खड़ामुख पहुंच जाएगें । 27 मई को खराब मौसम के कारण गाईड ने इन्द्राहार पास पार करने असमर्थता बताई जिसके कारण ललित शर्मा व संजीव गुप्ता को धर्मशाला, पठानकोट के रास्त चम्बा भेजा गया जिससे वे तीनों सदस्यों की टीम की अगुवाई कर सके । दोनों 28 मई को मच्छेतर व 29 मई को पैदल यात्रा कर चिन्होता पहुंचे । वहां पर तीनों सदस्यों के बारे में जानकारी ली तो मालूम हुआ कि पास पर तीनों सदस्यों ने ग्रामीणों से सामान ले लिया था तथा उन्हे कहा कि वे चले जाए पीछे पीछे वे तीनों भी आ जाएगें । ललित शर्मा व संजीव गुप्ता को जब यह जानकारी मिली तो उन्हे चिंता हुई तथा चम्बा लौटे तथा 30 मई को घटना की जानकारी मेक्लोडगंज, मनाली पर्वतारोहण संस्थान को सूचित किया ।
यह सूचना पाते ही मेक्लोडगंज से एक खोजी दल रवाना हो गया वहीं चम्बा साइड से भरमौर से एक खोजी दल रवाना हुआ । कर्नल प्रेमचंद भी मेक्लोडगंज पहुंच गये । 31 मई को बीकानेर भी टेलीफोन द्वारा यह सूचना मिली । 1 जून को आर के शर्मा व मुकेश यादव चंबा के लिये रवाना हुए । राजेन्द्र पुरोहित व राज कुमार खड़ामुख में, अमृत सोनी व अशोक श्रीमाली क्वारसी में, राजेन्द्र श्रीमाली व ललित शर्मा ट्रियुण्ड में खोजी दल के सहयोग कर रहे थे । 2 जून को आर के शर्मा व मुकेश यादव मेक्लोडगंज पहुंचे व वहां से रवाना होकर 3 जून को चंबा पहुंच गये । गोर्ज में खोज करने के लिये उपायुक्त मित्तल स्वयं, अमृत सोनी, आर के शर्मा व ललित शर्मा भरमोर के लिये रवाना होगये । 4 जून को श्री मित्तल के नेतृत्व में बीडीओ भरमौर, अन्य प्रशिक्षक, पुलिस व तीनों पायोनियर ग्रामवासियों के साथ रवाना हुए । चारों तरफ खोज के बाद दल 6 जून को चंबा लौट आया । इसी दिन श्री मगन बिस्सा को इस हादसे की खबर लगी क्योंकि वे पर्वतारोहण अभियान में गये हुए थे तथा वहां संचार का कोई साधन नहीं था । 8 जून को मगन बिस्सा दिल्ली से अनेक उपकरणें के साथ चंबा पहुंचे । इसी दिन बीकानेर से अरविन्द बोड़ा के दो रिश्तेदार भी चंबा पहुंच गये । 9 जून को मेक्लोडगंज पहुंचे । 10 जून को पायोनियर अशोक कुवेरा व मनोहर लाल वर्मा भी मेक्लोंडगंज पहुंच गये । 10 जून को मगन बिस्सा व आर के शर्मा पर्वतारोहण केन्द्र के जगतराम, अमरचंद, गाईड उत्तम व कुली के साथ ट्रियुण्ड होकर लकागोट पहुंचे । 11 जून के मगन बिस्सा व आर के शर्मा के दल ने 14 जून तक चाटा में केम्प लगाकर गहन खोज की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला । खोज में केवल सामान ही मिला । 14 जून को आखिरी प्रयास किया गया तथा हेलीकॉप्टर से भी पूरी खोजबीन की गई । मेक्लोडगंज व चंबा के रूके हुए सभी पायोनियर्स ने 15 को वापसी या़त्रा शुरू की । तय यह हुआ कि अब बर्फ पिघलने के बाद एक खोजी दल अगस्त सितम्बर में भेजा जाएगा ।
लापता हुए पायोनियर्स की खोज में दूसरा प्रयास मुकेश यादव के नेतृत्व में किया गया । इस दल में हनुमान दास सुथार, एम डी पारीक, अमृत लाल सोनी, रामेश्वर सुथार, सुनील बोड़ा, शिव कुमार किराडू व एस पी रंगा शामिल थे । 26 अगस्त को तैयारियां की गई इस दौरान गाइड उत्तम मिलने आया और बताया कि उसे एक रिफाइंड तेल की बोतल मिली थी, अमृत सोनी ने उसे पहचाना और बताया कि वह बोतल तीनों सदस्यों के पास थी । 28 अगस्त को दल तीन अन्य पोर्टर के साथ ट्रियुण्ड पहंुचा । 29 अगस्त का ल्हासा केव के लिये गये तथा 30 अगस्त को इन्द्राहार दर्रे पर पहुंच गये । केंप स्थापित कर खोज प्रारंभ की । 2 सितम्बर को मंदारा व 3 सितम्बर को क्वारसी गांव पहंुचे । 4 सितम्बर को चोली पहंुच कर चंबा के लिये रवाना हो रहे थे तभी वहां गडरिया श्रवण पहुंचा और बताया कि इन्द्राहार दर्रे की रिज के पास एक मृत शरीर देखा है । वहां से रवाना होकर चंबा पहंुचे और धर्मशाला व बीकानेर इस आशय की सूचना दी गई । बताये गये स्थान के लिये पुलिस दल के साथ हनुमान दास सुथार, एम डी पारीक तथा अमृत सोनी भरमौर की तरफ से रवाना हुए । 7 सितम्बर को बीकानेर से पायोनियर आर के शर्मा, नरेश अग्रवाल, ललित शर्मा व भूदेव शर्मा रवाना होकर चंबा पहुंचे । इस दल ने धर्मशाला की ओर से आगे बढ़ने का निर्णय लिया तथा धर्मशाला पहुंच कर दो पुलिस कर्मियों को दल के साथ रवाना किया । 10 सितम्बर को दूसरा दल लकागोट पहुंच गया । 11 सितम्बर को पुलिसवालों के साथ एम डी पारीक, हनुमान दास सुथार, गाइड उत्तम, श्रवण व अमरसिह दुर्धटना स्थल की ओर बढ़े । इस दिन मौसम खराब हो गया तो एक गुफा में रात्रि विश्राम करना पड़ा । 12 सितम्बर को बिना कुछ खाये पीए सवेरे से ही खोजी कार्य प्रारंभ कर दिया गया । 10.30 बजे दल उस स्थान पर पहुंच गया जहां क्षत विक्षत शव दिखाई दिया था । शरीर पर लाल काली रंग की धारीदार बनियान, लॉअर तथा पैरों में हंटरबूट थे । इसी के पास सूर्य सुथार से संबंधित डायरी भी मिली । रोप फिक्स कर एम डी पारीक, श्रवण तथा उत्तम मृत शरीर के पास पहुंचे । शरीर के ढांचे को एक बोरी में डाला गया तथा बिखरा सामान समेटा गया व वापस लौटे । लकागोट में शेष सदस्य मिल गये और उसी दिन ट्रियुण्ड लौट आए । 13 सितम्बर को बयान आदि दर्ज करवाकर फोरिसिंक जांच हेतु शरीर ढांचा पुलिस के सुपुर्द कर वापस बीकानेर लौट आए । इस दुःखद घटना ने सभी को हिलाकर रख दिया था । खोजी कार्यक्रम में बीकानेर से टेलीफोन विभाग, डा. बी डी कल्ला, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, कर्नल प्रेम चंद, एस आर सैनी, सांसद मनफूलसिंह भादू, आईएमएफ के प्रेसिडेंट एच सी सरीन, धर्मशाला व चंबा के उपायुक्त, बीडीओ और पर्वतारोहण केन्द्र के प्रशिक्षकों का भी अथक सहयोग रहा । इस घटना के चार वर्ष बाद मेमोरियल कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया तथा ट्रियुण्ड व इन्द्राहार पास पर मेमोरियल स्टोन लगाया गया जो आज भी पर्वतारोहियों को घटना की याद दिलाता है ।