

लेडी लाइन हॉस्पिटल कर रहा है मरीजों की जान से खिलवाड़
आगरा।जहां प्रशाशन और सरकार गरीबों की मदद के वादे, और विकास का दावा करती है वहीं ये सारे वादे फेल होते नजर आ रहे हैं।
पूरे प्रदेश में तो काफी मौतें हो ही चुकी हैं अगर हम बात करें केवल शहर आगरा की तो यहां जितनी मौतें कोरोना वायरस से हुई हैं उससे कई गुना ज्यादा मौतें स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से हुई हैं।
जहां प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुखिया की तरफ से साफ साफ आदेश हैं कि मेडिकल ट्रीटमेंट में कोई लापरवाही ना बरती जाए, ठीक उसके विपरीत स्वास्थ्य विभाग आदेशों की धज्जियां उड़ाते देर नहीं लगा रहे हैं लेडी लाइन हॉस्पिटल कर रहा है मरीजों की जान से खिलवाड़, जिसकी वजह है आगरा शहर के सरकारी अस्पताल लेडी लाइन में ऐस ऐन के स्टाफ को भी बैठाना ,जिसकी वजह से एक ही जगह दो डिपार्टमेंट काम कर रहे हैं और गेंद की तरह एक दूसरे पर फेंकते रहते हैं।


लेकिन जब परेशानी और दर्द असहनीय होने लगा तब आपरेशन की बात कही गयी और फिर उस समय covid 19 का खयाल आया हमारे स्वास्थ्य विभाग और भगवान रूपी डॉक्टर्स को 17 मई को सुबह से शाम तक बैठा कर रखा और कोविद 19 की जांच आने तक इंतजार करने को कहा गया।
कोविद 19 की जांच आने में कितना समय लगता है ये हर आम आदमी जानता है तो डॉक्टर्स तो अच्छे से वाकिफ होंगे तो covid 19 की जांच जब 12 मई को शबाना आयी थी तभी करा सकते थे लेकिन पता नहीं परेशानी बढ़ने पर ही कोविद 19 याद क्यों आया?
खैर जांच आने से पहले दिनाक 19 मई मंगलवार को असहनीय दर्द होने लगा तो डॉक्टर्स शबाना का चेक अप किया और बताया कि बच्चे की हार्टबीट नहीं है, बच्चे ने पेट में ही दम तोड़ दिया है, एक बार अल्ट्रासाउंड कराओ,अल्ट्रासाउंड कराने पर साफ हो गया कि बच्चे की जान जा चुकी है।
जब डॉक्टर ने शबाना को चेक कर ही लिया था तो आपरेशन से या जिस तरीके से बेहतर था मृत बच्चे को शरीर से तुरंत निकालना चाहिए था, क्योंकि 2 घंटे बीतने पर पीड़ित के शरीर में इन्फेक्शन बढ़ने का खतरा और बढ़ गया था लेकिन थे तो डॉक्टर्स सरकारी कर्मचारी तो काम से अपनी मर्जी से ही करेंगे।


खैर शबाना का आपरेशन हुआ और मृत बच्चे को निकाला गया।
लेकिन वो अपने पहले बच्चे को जिससे उसने व उसके दोनों परिवारों ने क्या क्या आस लगाई थी सब पर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ने पानी फेर दिया।
बताते चलें शबाना एक अकेली शिकार नहीं हुई हैं इस लापरवाही की, सैंकड़ो लोग हैं जो इस लापरवाही का शिकार होते रहे हैं।
क्या प्रशाशन की नजर में होते हुए ये सब घट रहा है या डॉक्टर ज्यादा चतुर हैं जो आदेशों की धज्जियां बखूभी उड़ाना जानते हैं अगर ऐसा है तो कैसे न्याय मिलेगा ,इन गरीब लाचार असहाय लोगों को ।जब तक इन डॉक्टर्स पर कार्यवाई नहीं कि जाएगी ऐसे ही जान जाती रहेंगी।


