जयपुर,(दिनेश शर्मा अधिकारी”)। राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति अकिल कुरेषी ने कहा की ‘‘लोक अदालत राजीनाम से विवादों के निस्तारण का महत्वपूर्ण जरिया है। किसी भी कार्य की सफलता का आंकलन आंकडांे की अपेक्षा , उनके द्वारा किए गए प्रयासों से किया जाना चाहिए। लोक अदालत में भाग लेना, हम सब का कार्य है। यह एक लोक सेवा का कार्य है। प्रकरणों को लोक अदालत के माध्यम से सुलह समझौते से समय पर निपटा लें पक्षकारों के बीच अपील का प्रश्न ही नहीं आएगा। न्यायालय के निर्णय के खिलाफ तो अपील हो सकती है और अपील के खिलाफ भी अपील हो सकती है, न्यायालय के क्रियान्वयन की प्रक्रिया का सवाल आता है। यह भी न्यायालय में ही आना पड़ता है,लेकिन लोक अदालत के निर्णय में अपील की कोई गुंजाइश ही नहीं रहती। मैं इस वर्ष की अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत की सफलता की कामना करता हूं।’’ यह उद्गार मुख्य न्यायाधीश पति महोदय ने शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत वर्ष_2021 “ के शुभारम्भ अवसर पर प्रकट किए।

“ ना कोई जीता…ना कोई हारा,…….. ना वो जीते, ….ना हम हारे “ : कार्यकारी अध्यक्ष, न्यायाधिपति श्रीवास्तव,
इस अवसर पर राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, कार्यकारी अध्यक्ष, न्यायाधिपति मनिन्द्र मोहन श्रीवास्तव, ने अपने उद्बोधन में कहा कि लोक अदालत का मुख्य नारा है “ ना कोई जीता, ना कोई हारा, ना वो जीते, ना हम हारे “ किसी भी मुकदमे को न्यायालय में लाने से पहले लोक अदालत के माध्यम से एक बार पक्षकारों को अवश्य बुलाया जाना चाहिए इसके लिए हम सभी का सामूहिक प्रयास आवश्यक है लोक अदालत में राजीनामे से होने वाले निस्तारण में सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि दोनों पक्षकारों के बीच चल रहे एक से अधिक प्रकरणों में भी बहुत तेजी से निस्तारण स्वत ही हो जाता है इससे दो पक्षकारों के बीच चल रहे कई मुकदमों की संख्या घट जाती है और लोक अदालत के माध्यम से 16 के रास्ते से जब दोनों पक्ष कार न्यायालय के बाहर निकलते हैं तो उनके बीच द्वेष दुश्मनी रंजीत जैसी भावना नहीं रहती और परिवारों में आपस में प्रेम भाव और भाईचारा बना रहता है। 16 समझौतों से मिलने वाले न्याय में दोनों पक्ष कारों के साथ न्यायालय के प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत की भी जीत होती है। आने वाले समय में सुलह के कारण उन पक्षकारों के बीच अपील की गुंजाइश नहीं रहती है। समझौता नहीं होने पर भी न्यायालय में तो निर्णय हो विधिक प्रक्रिया से होगा ही।

प्रदेश में कुल 1,29,560 प्रकरण जिनमे प्रि-लिटिगेशन स्टेज के 34,298 ,न्यायालयों में लंबित 94,777 मे राजीनामा से निस्तारण कर 6,30,35,30,895 रुपये की आर्थिक सहायता : सदस्य सचिव न्यायधीश गुप्ता
इस अवसर पर राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण सदस्य सचिव, न्यायाधीश दिनेष कुमार गुप्ता, ने बताया कि वर्ष 2021 में क्रमषः जुलाई व सितम्बर माह में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। 10 जुलाई 2021 को आयोजित लोक अदालत में 706 बैंच का गठन किया जाकर 2,79,979 प्रकरण रैफर किए गए और 76,138 प्रकरणों का निस्तारण किया गया वहीं 11 सितम्बर, 2021 को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में 739 बैंच का गठन किया जाकर 3,61,796 प्रकरणों को रैफर किया गया एवं 81,136 प्रकरणों का निस्तारण किया गया। वर्ष की इस अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत में पूर्व के सभी रिकाॅर्ड तोड़ते हुए प्रदेश में कुल 1,29,560 जिनमें से प्रि-लिटिगेशन की स्टेज के 34,298 प्रकरणों व न्यायालयों में लंबित 94,777 प्रकरणों का राजीनामा की भावना से निस्तारण कराया गया, जिसमे आमजन को 6,30,35,30,895 रुपये की आर्थिक सहायता प्राप्त हुई। इस बार कुल 59101 राजीनामा योग्य फौजदारी प्रकरण, 13903 एन आई एक्ट प्रकरण, 4517 एम.ए.सी.टी. प्रकरण, 3774 पानी-बिजली विवाद, 6493 पारिवारिक विवाद व 6237 अन्य दिवानी प्रकृति के विवादों को राजीनामे के माध्यम से निस्तारित किया।

इस बार लोक अदालत के सफलता के कुछ नए अभिनव प्रयास भी :

राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर व जयपुर सहित राजस्थान प्रदेष के समस्त अधीनस्थ न्यायालयों में किया जा रहा है। इस बार राष्ट्रीय लोक अदालत के सफल आयोजन के लिए कुछ नए प्रयास भी किए गए हैं, जैसे- विषेष प्रकृति के प्रकरण- सिविल सैकण्ड अपील, अवमानना के प्रकरण, राजस्थान प्रषासनिक अधिकरण के यहां लम्बित प्रकरण, गैर सरकारी शैक्षणिक संस्थान के विवाद, काॅमर्षियल कोर्ट के विवाद, काॅ-आॅपरेटिव ट्रिब्यूनल के यहाँ लम्बित मामलों को भी राष्ट्रीय लोक अदालत में रैफर किया गया है।
इस बार प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में विशेष काउंसिलिंग अभियान शुरू :_
इस बार बैंक एवं वित्तीय संस्थानों के साथ मिलकर विषेष प्री-काउंसलिंग अभियान का संचालन भी किया गया है। पहली बार सम्पूर्ण राजस्थान के ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में क्ववत.ैजमच काउंसलिंग हेतु विषेष अभियान चलाया गया है, जिसके अन्तर्गत ग्राम स्तर पर स्थानीय जन-प्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिष्चित कर प्री-काउंसलिंग की बैंच का गठन कर समझाईष के विषेष प्रयास किये गए।
जन सामान्य तक प्रचार-प्रसार में सोशल मीडिया की विशेष मदद
इसके साथ ही जन सामान्य तक लोक अदालत के प्रचार-प्रसार हेतु राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रिंट एवं इलेक्ट्राॅनिक मीडिया, सोषल मीडिया, रिंग ट्यून, काॅलर ट्यून, मास मैसेज, फोन काॅल्स, एल-बैंड प्रसारण, मुख्य चैराहों पर वीडियो प्रसारण, साईकल/ऊंट रैली, प्रभात फेरी एवं मोबाईल वेन, इत्यादि के विषेष माध्यमों का उपयोग किये जाने के विषेष प्रयास किये गये हैं, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को लोक अदालत के बारे में जानकारी हो सके और उनके विवादों का राजीनामे के माध्यम से निस्तारण हो सके। दिनांक 08.12.2021 को प्रत्येक जिला मुख्यालय एवं पंचायत स्तर पर साईकिल/पैदल रैलियां आयोजित कर राष्ट्रीय लोक अदालत के प्रति जागरूकता पैदा करने के विषेष प्रयास किए गए हैं। इस वर्ष की अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 902 बैंचों का गठन किया गया है एवं 4,57,493 प्रकरणों को रैफर किया गया है। राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर व जयपुर पीठ, जयपुर में भी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर में 05 बैंच का गठन किया गया है एवं 1527 प्रकरणों को रैफर किया गया है व पीठ जयपुर में 07 बैंच का गठन किया गया है एवं 2811 प्रकरणों को रैफर किया गया है। इस राष्ट्रीय लोक अदालत में प्रि-लिटिगेशन मामलों के तहत धन वसूली के प्रकरण, टेलीफोन, बिजली व पानी के बिल से संबंधित प्रकरणों को भी रखा गया है। इसी प्रकार विभिन्न न्यायालयों में पहले से लंबित चले आ रहे प्रकरणों में धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम (छप् ।बज) के मामले, धन वसूली के मामले, मोटर वाहन दुर्घटना के मामले, वैवाहिक एवं भरण-पोषण के मामले (तलाक को छोड़कर), घरेलू हिंसा अधिनियम के मामले, श्रम एवं नियोजन संबंधित मामले, किरायेदार-मकान मालिक के मध्य लम्बित मामले एवं अन्य सिविल मामलों के अलावा दाण्डिक प्रकृति के राजीनामा योग्य मामलों, फौजदारी के अन्य कम गम्भीर मामलों को रखा गया राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर मुख्य पीठ में कुल 304 प्रकरणों का निस्तारण कर 4,39,93,975 रुपये का अवार्ड पारित किया गया व राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर पीठ में कुल 466 प्रकरणों का निस्तारण कर 2,28,26,615 रुपये का अवार्ड पारित किया गया। इस शुभारम्भ कार्यक्रम में माननीय न्यायाधिपतिगण, सेवानिवृत्त माननीय न्यायाधिपतिगण, राजस्थान उच्च न्यायालय, अतिरिक्त महाधिवक्तागण, राजस्थान उच्च न्यायालय बार के पदाधिकारीगण, रजिस्ट्री, राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर पीठ, जयपुर के अधिकारीगण एवं राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिकारीगण एवं स्टाफ मेम्बर्स, विद्वान अधिवक्तागण के साथ-साथ पक्षकारान एवं विधि के विद्यार्थीगण भी उपस्थित रहे।