– साहित्यिक, सांस्कृतिक पत्रिका लूर के होरी लोकगीत विशेषांक का लोकार्पण

जोधपुर।जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग स्थित स्मार्ट कक्ष में शुक्रवार को साहित्यिक एवं सांस्कृतिक पत्रिका लूर के होरी लोकगीत विशेषांक का लोकार्पण किया गया। इस दौरान आयोजित परिचर्चा में मुख्य अतिथि और लूर पत्रिका के संपादक डॉ. जयपाल सिंह राठौड़ ने कहा की लोक साहित्य ही अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है और जनसामान्य द्वारा गाए जाने वाले गीत ही लोकगीत हैं। उन्होंने वर्तमान परिपेक्ष्य में विभिन्न मुद्दों पर भी अपने विचार प्रकट करते हुए लोक साहित्य को पढ़ने एवं जीवन में उतारने की बात कही। प्रो. महिपाल सिंह राठौड़ ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि लोक साहित्य संपूर्ण शताब्दियों का साहित्य है। लूर पत्रिका ने पैनोरमा निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह पत्रिका जर्मनी के संग्रहालय में भी संग्रहित है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही कला, संस्कृति एवं समाज विज्ञान संकाय की अधिष्ठाता प्रो. कल्पना पुरोहित ने लोकगीत, लोकनृत्य और लोक संस्कृति को अपनी जड़ों से जुड़े रहने का सशक्त माध्यम बताया। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि प्रो. सरोज कौशल ने कहा कि लोकगीत और लोक नृत्य मानवीय अवसादों का निराकरण करते हैं। इसी क्रम में लूर पत्रिका भी लोक संस्कृति का निर्वहन कर रही है। प्रो. केएल रैगर ने लोकगीतों में मानवीय संवेदना के पक्ष पर अपनी बात रखी।

परिचर्चा के दौरान युवा साहित्यकार माधव राठौड़ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की शोधार्थी अंकेश भाटी और जेएनवीयू की शोधार्थी संजू रोहलानिया ने शोध पत्रों का वाचन किया। कार्यक्रम के अंत में परिचर्चा संयोजक डॉ. महेंद्र सिंह राजपुरोहित ने आभार व्यक्त किया। मंच संचालन डॉ. फताराम नायक ने किया। इस दौरान डॉ. कुलदीप सिंह मीणा, डॉ. प्रेमसिंह राजपुरोहित, डॉ. श्रवण कुमार, डॉ. कीर्ति महेश्वरी, डॉ. मीता सोलंकी, डॉ. विनीता चौहान, डॉ. प्रवीण चंद, डॉ. भरत कुमार सहित विभाग के शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।