“ राजस्थान हाईकोर्ट एसोसिएशन हड़ताल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जयपुर हाईकोर्ट बार पदाधिकारियो के शपथपत्र और रेजोल्यूशन को भी खारिज करते हुए माफीनामा अस्वीकार किया “
नई दिल्ली,(दिनेश शर्मा”अधिकारी”)। राजस्थान हाईकोर्ट एसोसिएशन हड़ताल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार के वकीलों की हरकतों से ही देश मे वो दिन लद गये जब वकिलों को “साहब” कहकर सलाम किया करते थे। हमें देश मे वकालत के स्तर को सुधारने की बहुत सख्त आवश्यकता हैं। ये केवल एक बार एसोसिएशन की स्थिति नही हैं। कमोबेश यही हाल देश की सम्पूर्ण न्यायिक व्यवस्था की हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जयपुर हाईकोर्ट बार पदाधिकारियो के शपथपत्र और रेजोल्यूशन को भी खारिज करते हुए माफीनामा अस्वीकार कर दिया है। जस्टिस संजीव खन्ना ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि ये गंभीर मुद्दा है इसमें संजीदगी दिखाते हुए बार पदाधिकारी और सदस्यों द्वारा इस घटना से सम्बंधित किए गये प्रत्येक घटनाक्रम के लिए हर स्तर पर हुई गलती के लिये अलग अलग माफी मांगते हुए शपथ पत्र देना होगा। केवल अध्यक्ष और सचिव के शपथपत्र से काम नही चलेगा। सभी पदाधिकारियों को अलग अलग शपथपत्र भी पेश करने के निर्देश दिये है,,,मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि परिवार का बड़ा सदस्य होने के नाते न्यायपालिका को इस मामले में दिल बड़ा रखते हुए वकीलों को माफ करना चाहिये,,जिस पर कोर्ट ने कहा कि परिवार का बड़ा सदस्य होने के नाते हमारा उत्तरदायित्व और बड़ा हो जाता हैं कि हम देश के किसी भी मुख्य न्यायाधीश और हाईकोर्ट के न्यायाधीशो को वकिलो के हाथों प्रताड़ित होने के।लिये नही छोड़ सकते,,,ये न्यायालय देश के सम्पूर्ण न्यायालयों का संरक्षक भी हैं ऐसे माफीनामा लेकर प्रकरण की गंभीरता को कम नही किया जा सकता,,,इस न्यायालय द्वारा समय समय पर विभिन्न आदेशो के द्वारा हड़ताल, बॉयकॉट जैसे कार्य को असंवैधानिक बताया है लेकिन देश मे अधिकांश बार एसोसिएशन हमारे आदेशो का मजाक उड़ा रही हैं राजस्थान इस मामले में सबसे ज्यादा आगे हैं। कोर्ट ने हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष महासचिव सहित सभी पदाधिकारियों को नए शपथपत्र और रिजोल्यूशन पेश करने के लिये 26 नवम्बर तक का समय दिया है,,कोर्ट ने सभी पदाधिकारियों को व्यक्तिगत पेशी से भी छूट देने से इनकार किया हैं।

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