स्वर्णकार की रचनाऍं आधी आबादी के संघर्ष और जीवनानुभवों की समृद्ध रचनाएं है

बीकानेर/ शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान बीकानेर के तत्वावधान में वरिष्ठ साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार की दो पुस्तकों हिन्दी कहानी संग्रह बिंध गया सो मोती एवं राजस्थानी कविता संग्रह सबद रचै चितराम का लोकार्पण नागरी भंडार स्थित महाराजा नरेंद्र सिंह ऑडिटोरियम में किया गया। लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ समालोचक एवं शिक्षाविद उमाकांत गुप्ता थे तथा लोकार्पण समारोह के विशिष्ट अतिथि राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कोषाध्यक्ष राजेन्द्र जोशी रहे। समारोह की अध्यक्षता व्यंग्यकार-संपादक डॉ.अजय जोशी ने की।
लोकार्पण समारोह के प्रारंभ में स्वागताध्यक्ष कथाकार अशफाक कादरी ने स्वागत भाषण करते हुए राजाराम स्वर्णकार के व्यक्तित्व-कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला, उन्होंने बताया कि राजाराम स्वर्णकार की एक दर्जन से अधिक पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं।
विशिष्ट अतिथि कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि बिंध गया सो मोती की अधिकांश कहानियां आधी आबादी के संघर्ष और जीवनानुभवों की समृद्ध रचनाऍं हैं। उन्होंने कहा कि राजाराम स्वर्णकार की समय और परिवेश से संघर्ष करती कहानियों की भाषा सहज-सरल होने के कारण पाठकों को बांधे रखती है, जोशी ने भाषा एवं शिल्प की दृष्टि से अनुपम कहानियाँ बताते हुए कहा कि स्वर्णकार की राजस्थानी कविता का अपना मुहावरा होने के कारण लोक जीवन की बेजोड़ न्यारी निरवाळी ठसक की कविताएं अनुभव से उपजी हुई है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ समालोचक-शिक्षाविद डाॅ. उमाकांत गुप्ता ने कहा कि राजाराम स्वर्णकार जीवन के सच और समाज के सच के रचनाकार है। कवि के रूप में आम आदमी से जुड़े मुद्दों को रचना का विषय बनाते हैं। उन्होंने कहा कि कहानीकार के रूप में जीवन में मूल्यों के पक्षधर है। कथानक कोरोना काल की सीख से जुड़े है तो भाषा ऋजुता में तीख के साथ अच्छी कहानियां रचते है। डाॅ. गुप्ता ने कहा कि व्यंग्य उनकी रचनाओं को रंजक बनाता है। उन्होंने कहा कि दोनों रचनाएं आधे संसार के दर्द को बुनती है और गायब लय को पुन: कायम करने की सार्थक कोशिश करती है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में व्यंगकार-सम्पादक डाॅ.अजय जोशी ने कहा कि साहित्य सृजन साधना है ।साहित्यकार शब्द साधक होते हैं।वो शब्द ऋषि माने जाते है।राजाराम स्वर्णकार निरंतर साहित्य सृजन कर शब्द साधक के रूप में ऋषि परंपरा का निर्वाह कर रहे हैं।उनका सृजन हिंदी और राजस्थानी साहित्य को समृद्ध करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करेगा।
इस अवसर पर राजस्थानी कविता संग्रह सब्द रचै चितराम पर कवयित्री डॉ. कृष्णा आचार्य एवं हिन्दी कहानी संग्रह बिंध गया सो मोती पर स्वर कोकिला मनीषा आर्य सोनी ने जानदार पत्र वाचन किया। साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने अपनी रचना प्रक्रिया साझा करते हुए लोकार्पित दोनों पुस्तकों पर सारगर्भित बात कही।
समारोह के दौरान नवकिरण सृजन मंच, सखा संगम एवं स्वर्णकार समाज के तत्वावधान में राजाराम स्वर्णकार का सम्मान किया गया। अभिनंदन पत्र का वाचन कवियत्री-आलोचक डाॅ.रेणुका व्यास ‘नीलम’ ने किया।
प्रारंभ में गीतकार ज्योति वधवा रंजना ने सरस्वती वंदना एंव युवा गीतकार लोकेश चूरा, संगीताचार्य ज्ञानेश्वर सोनी, गौरीशंकर सोनी ने राजाराम स्वर्णकार के राजस्थानी गीतो की संगीतमय प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में डॉ.सीताराम गोठवाल, डॉ. एस एन हर्ष, चित्रकार सुलोचना गोठवाल, वरिष्ठ रंगकर्मी बी एल नवीन, महेश उपाध्याय, लोक गायक महेशसिंह बड़गुजर, ताराचंद सोनी, अनुराधा, सरिता तिवाड़ी, झंवरा, सौरभ, भावना, हर्षिता, मीनाक्षी स्वर्णकार, अरुणा, मोहन सोनी, विष्णुदत्त, श्रीगोपाल, गुलाबचंद, मदन, चंद्रशेखर आचार्य, हनुमान कच्छावा, प्रभुदत्त सोनी, प्रेमनारायण व्यास, संजय श्रीमाली, रवि पुरोहित, डॉ. नीरज दइया, बुलाकी शर्मा, डॉ. रवि माथुर, शिवम उपाध्याय, पवन प्यारे, भगवतीप्रसाद सोनी, शंकर सिंह राजपुरोहित, जुगलकिशोर पुरोहित, गिरिराज पारीक, परितोष झाँ, कमल रँगा, संजय आचार्य, हरीश बी.शर्मा, समीउलहसन कादरी, संजय पुरोहित, चंद्रशेखर जोशी,एन डी रँगा, नागेश्वर जोशी, एम एल जांगिड़, शिव दाधीच, सुभाष विश्नोई, मंजूरअली चंदवानी, डॉ. नासिर जैदी, पृथ्वीसिंह पंवार, डॉ. नमामीशंकर आचार्य, डॉ. गौरीशंकर प्रजापत, लक्ष्मणराम,डॉ. जगदीश बारहठ सहितअनेक महानुभाव उपस्थित हुए।