शब्द साधक का सम्मान शब्द की साधना है : रंगा
बीकानेर। प्रतिभाओं का सम्मान करना सामाजिक दायित्व का निर्वहन करना है और जब इसी संदर्भ में किसी शब्द साधक का सम्मान होता है तो वह असल में शब्द की साधना ही है। यह उद्गार प्रज्ञालय संस्थान एवं स्व. नरपत सिंह सांखला स्मृति संस्थान द्वारा आयोजित सोजत के वरिष्ठ साहित्यकार अब्दुल समद राही के प्रज्ञा सम्मान समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि-कथाकार कमल रंगा ने व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि शब्द की महिमा को एक शब्द साधक ही अपने सृजन के माध्यम से अलग-अलग विधाओं को रचते हुए समाज में मानवीय चेतना एवं जीवन के उच्च मूल्यों को स्थापित करने में अपनी भूमिका निभाते है। ऐसी ही प्रतिभा है सोजत पाली के अब्दुल समद राही, जो न केवल कवि शायर है बल्कि बाल साहित्यकार, कुशल पत्रकार, संपादक एवं आयोजक भी है। ऐसी प्रतिभा को प्रज्ञा सम्मान देना गर्व की बात है। राही को प्रज्ञा सम्मान आज शाम स्थानीय रानी बाजार स्थित नरपत सिंह सांखला साहित्य सदन में अर्पित किया गया।
अपने सम्मान के प्रति उत्तर में बोलते हुए सम्मानित प्रतिभा अब्दुल समद राही ने कहा कि सम्मान एक चुनौती देता है और मुझे चुनौती स्वीकार कर आगे अपने साहित्यिक अवदान की यात्रा में नव आयाम स्थापित करने होंगे।
प्रारंभ में सभी का स्वागत वरिष्ठ शिक्षाविद् संजय सांखला ने करते हुए राही को मौन साधक बताया तो वहीं राही के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए युवा शायर क़ासिम बीकानेरी ने उन्हें समर्पित बहुआयामी प्रतिभा बताया। सम्मान समारोह के तहत अब्दुल समद राही को समादृत करते हुए उन्हें अतिथियों द्वारा शॉल, माला, श्रीफल, सम्मान-पत्र, पुस्तक आदि अर्पित की गई। इस अवसर पर राही साहब की धर्मपत्नी रिहाना रानू का भी स्वागत सम्मान किया गया।
सम्मानित प्रतिभा राही के सम्मान में आयोजित काव्य गोष्ठी में काव्य की रस धारा ने सभी को आनंदित किया। काव्य धारा में उर्दू का मिठास, राजस्थानी की मठोठ और हिंदी के सौंदर्य ने काव्य गोष्ठी को परवान चढ़ा दिया। काव्य गोष्ठी में राही ने अपनी चुनिंदा रचनाओं का वाचन किया तो वहीं कमल रंगा, क़ासिम बीकानेरी, वली मोहम्मद ग़ौरी, डॉ. कृष्णा आचार्य, गिरिराज पारीक, मौलाना अब्दुल वाहीद अशरफ़ी, संजय सांखला, गंगा विशन बिश्नोई, मोहम्मद इशाक़ ग़ौरी ‘शफ़क’ इरशाद अज़ीज़, मोईनुद्दीन मूईन, इसरार हसन क़ादरी,जुगल किशोर पुरोहित आदि ने अपनी काव्य रचनाओं के माध्यम से वर्तमान हालातों के संदर्भ में एवं समकालीन विड़म्बनाओं को रेखांकित करते हुए मानवीय संवेदनाओं से भरपूर रचनाओं को प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम का सफल संचालन वरिष्ठ शायर एवं कथाकार क़ासिम बीकानेरी ने किया तो सभी का आभार ज्ञापित विक्रम स्वामी ने किया।