बीदासर से दिल्ली हुआ ध्वज हस्तांतरण

वी. बी. जैन 9261640571 बीदासर। श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने बीदासरवासियों को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। वहीं कार्यक्रम में ध्वज हस्तांतरण के द्वारा व्यवस्था हस्तांतरण का भी कार्यक्रम रहा। आचार्यश्री ने बीदासरवासियों को कुशलतापूर्वक दायित्व निर्वहन करने और दिल्लीवासियों को कुशलतापूर्वक दायित्व का सार-संभाल के संदर्भ में मंगलपाठ सुनाया और पावन आशीर्वाद प्रदान किया। धर्मसभा में आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि जैन आगमों में एक आगम है उत्तराध्ययन। साधु-साध्वियां इस आगम को पूर्ण रूप में अथवा आंशिक रूप में कंठस्थ करने का प्रयास करते हैं। यह आगम पूर्णतया कंठस्थ हो जाए तो बहुत अच्छी बात हो सकती है। पूर्ण रूप से न भी हो पाए तो इसके 10वें, 29वें और 32वें अध्ययन को अवश्य कंठस्थ करने का प्रयास करना चाहिए। आध्यात्म-साधना के सूत्र 32वें अध्ययन से प्राप्त किए जा सकते हैं। चारित्रात्माओं को आध्यात्म-साधना के क्षेत्र में निरंतर गति करते हुए आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। जीवन में प्रवृत्ति के तीन साधना शरीर, वाणी और मन को बताया गया है। मन वाला प्राणी ज्यादा धर्म भी कर सकता है तो ज्यादा पाप भी कर सकता है। मनस्वी होना भी एक विकास का प्रतीक है। आदमी को मनन, चिंतन करना चाहिए। आदमी के चिंतन करने का तरीका भी प्रशस्त होना चाहिए। चिंतन आदमी को शांति के साथ करना चाहिए। मन में आवेश अथवा प्रसन्नता के विशेष भाव के साथ चिंतन नहीं करना चाहिए। करुणा और गुस्सा दोनों की परिस्थितियों में किया गया चिंतन गलत निर्णय वाला हो सकता है। इसलिए कहा गया कि चिंता नहीं, चिंतन करो। आदमी को अपने वर्तमान जीवन को अच्छा बनाने का प्रयास करना चाहिए। वर्तमान जीवन शांमिमय हो, जीवन में संतुष्टि का भाव हो। नकारात्मक सोच से बचते हुए आदमी को सकारात्मक सोच रखने का प्रयास करना चाहिए। प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री ने विशेष प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि बीदासर की धरती पर हम मर्यादा महोत्सव के संदर्भ में आए थे, वह कार्य सम्पन्न हो गया। यहां संतोषपूर्ण प्रवास हो गया। समाधिकेन्द्र परिसर में मर्यादा महोत्सव का आयोजन हो गया, यह अच्छा रहा। बीदासर की जनता में धर्म की भावना बनी रहे। कार्यक्रम में अपने आराध्य के चरणों में अपने कृतज्ञभावों को अभिव्यक्त करने वाले बीदासरवासियों में मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति के अध्यक्ष कन्हैयालाल गिड़िया, महामंत्री महावीर दूगड़, तेरापंथी सभा-बीदासर के अध्यक्ष अशोककुमार बोथरा, प्रेरणा जैन, लक्ष्मीपत बोथरा, अदिति सेखानी, नवनीत बांठिया, बच्छराज बैंगानी व रूपचंद दूगड़ ने अपने कृतज्ञभावों को अभिव्यक्त किया। तेरापंथ महिला मण्डल व कन्या मण्डल-बीदासर, सूरजमल बैंगानी, बीदासर परिषद, भावना व भाग्यश्री छाजेड़, तेरापंथी सभा, अनिशा बैद तथा मनोज नाहर ने पृथक्-पृथक् गीतों का संगान कर पूज्यचरणों में अपनी कृतज्ञता अर्पित की। मर्यादा महोत्सव में बीदासर के वरिष्ठ श्रावक अभयराज बैंगानी व बाबूलाल बैंगानी ने चतुर्विध संघ की उल्लेखनीय सेवा की। कार्यक्रम में उपस्थित जीटो के अध्यक्ष गणपत चौधरी ने भी भावाभिव्यक्ति दी। भाजपा की जिलाध्यक्ष प्रभा धन्नावत ने कहा कि महान संत आचार्यश्री महाश्रमणजी के दर्शन कर मेरा सौभाग्य जगमगा उठा है। आपश्री की यात्रा मंगलमय हो।

दिल्ली के कन्हैयालाल जैन पटावरी ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। दिल्लीवासियों ने अहिंसा यात्रा समापन समारोह से संबंधित बैनर को भी पूज्यचरणों में लोकार्पित किया। आचार्यश्री ने सभी को पावन पाथेय प्रदान करते हुए मंगल आशीष प्रदान किया।