पिछले दो दशकों से राजस्थान में ऐसा कोई नेता के नाम का उल्लेख नहीं मिलेगा जो सार्वजनिक हित का कोई बड़ा मुद्दा उठाया हो और जिसकी गूंज राजस्थान ही नहीं पूरे देश में हुई हो और मांग मानने के लिए सरकार लंबलेट हो गई हो। देवी सिंह भाटी ने अपनी नेतृत्व दक्षता से जनहित के मुद्दे की गूंज दूर तक पहुंचाई है। इस से भाटी की जनता में इतनी वाह वाही हुई है कि उनके पूरे राजनीतिक जीवन की उपलब्धियां गोचर आंदोलन के सामने फीकी है। गोचर , ओरण और बहाव क्षेत्र को लेकर राजस्थान सरकार अपने ही नीति निर्देशों को ही दरकिनार नहीं किया, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के निर्देशों की अनदेखी की। देवी सिंह भाटी के नेतृत्व में 44 दिन चले धरने ने सरकार को झकझोर कर रख दिया। अंतत: आंदोलनरत भाटी की सभी बातों पर सरकार को सहमत होना ही पड़ा। 1 गोचर पर आवासीय पट्टे के संशोधित कानून सरकार वापस लेगी।2 किसी को गोचर में पट्टे नहीं दिए जाएंगे। 3 गोचर विकास की पंचायत एव ग्रामीण विकास विभाग की प्रस्तावित योजना में मनरेगा के तहत गोचर में चारागाह विकास, स्थानीय प्रजाति के पेड़ लगाने और अतिक्रमण हटाने के कार्य अमल में लाने की सहमति हुई है।4 राज्य सरकार अन्य उपयोग के लिए गोचर का अधिग्रहण नहीं करेगी।इसके लिए कानून में आवश्यक संशोधन करेगी। गोचर, ओरण और बहाव क्षेत्र की भूमि का दुरुस्तिकरण किया जाएगा । संभागीय आयुक्त और अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह के साथ अलग अलग वार्ताओं में सहमति और मांगों पर लिखित स्वीकृति के बाद भाटी के नेतृत्व में बेमियादी धरना 44 वे दिन हटा लिया गया। लिखित समझोते के बिंदु : यदि किसी राजकीय भूमि चारागाह गोचर व औरण के रूप में उपयोग को जा रही है और राजकीय रिकॉर्ड में उसका अंकन नहीं है तो सक्षम अधिकारी मौका का निरीक्षण कर राजस्व अभिलेख में अंकन की नियमानुसार कार्यवाही करेगा। गोचर , ओरण , चारगाह के संरक्षण , सुरक्षा एवं विकास के लिए तहसील एवं पंचायत स्तर पर कार्य योजना पर अमल होगा।
अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह तथा अन्य संबद्ध विभागों के सचिवों के साथ वर्चुवल बैठक में देवी सिंह भाटी ने राज्य सरकार को आगाह किया कि गोचर व चारागाह की जमीन पर जल संग्रहण संरचनाओं के अलावा अन्य कोई निर्माण कार्य नहीं हो। भविष्य में चारागाह की कुल भूमि नियत सीमा या अनुपात से अधिक का किस्म परिवर्तन , विशेष प्रयोजन के लिए पृथक नहीं की जावें । इसके लिए राजस्व अधिनियम राजस्थानी काश्तकारी नियमों में संशोधन हो। संभागीय आयुक्त ने वार्ता में शामिल प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि शरह नथानिया गोचर भूमि बीकानेर में पत्थर पेड़ा की भूमि को वापिस चारागाह में दर्ज किया जाएगा। वही पुलिस फायरिंग रेन्ज को वर्तमान स्थान से अन्यन्त्र स्थानानित करने पर सहमति बनी । भाटी के आंदोलन से सरकार ने अपनी गलती सुधारी। वही इससे बड़ी बात गोचर ओरण और बहाव क्षेत्र की सार्वजनिक भूमि के प्रति जन चेतना जगी है। इस पुण्य कार्य के लिए भाटी को आगे आने वाली पीढ़ियां याद करेगी। भाटी के इन प्रयासों से देश प्रदेश में गो संस्कृति की पुनर्स्थापना हो सकेगी।