दीपक कुमार त्यागी / हस्तक्षेप
स्वतंत्र पत्रकार, स्तंभकार व रचनाकार
जिस तरह से गाजियाबाद के चर्चित कंस्ट्रक्शन कारोबारी संजय त्यागी के भतीजे कंस्ट्रक्शन कारोबारी विक्रम त्यागी उर्फ विक्की को लापता हुए धीरे-धीरे पंद्रह दिन से अधिक का समय व्यतीत हो गया है, लेकिन बेहद हाईप्रोफाइल इस मामले में उत्तर प्रदेश की पुलिस अभी तक भी विक्रम त्यागी का कोई भी सुराग नहीं लगा सकी है। हर मसले के खुलासे पर अपनी पीठ थपथपाने वाली पुलिस ना जाने क्यों अभी तक भी विक्रम त्यागी के मामले में बिल्कुल खाली हाथ है। आज तक पुलिस के पास विक्रम त्यागी के परिजनों को आश्वासन देने के सिवाय कोई ठोस संतोषजनक जवाब नहीं है।
यहां आपको बता दे कि गाजियाबाद शहर की पॉश कॉलोनी राजनगर एक्सटेंशन से 26 जून की रात को कंस्ट्रक्शन कारोबारी विक्रम त्यागी अपने पटेल नगर कार्यालय से वापस घर आते समय घर के पास से ही अचानक अपनी इनोवा क्रिस्टा गाड़ी के साथ लापता हो गये थे। पुलिस सूत्रों के अनुसार विक्रम के मोबाइल की अंतिम लोकेशन भी घर के पास राजनगर एक्सटेंशन ही आ रही थी और उसका मोबाइल भी वहीं स्विच ऑफ हुआ था। जिसके बाद से ही विक्रम की तलाश लगातार जारी है, बाद में 27 जून को विक्रम त्यागी की इनोवा गाड़ी लावारिस हालात में मुजफ्फरनगर की तितावी शुगर मिल के पास से मिली थी। चिंताजनक बात यह थी कि गाड़ी सीटों पर काफी मात्रा में खून पाया गया था। जिसके चलते विक्रम के परिजनों व उसके परिवार के सभी हमदर्दों को उसकी सकुशल बरामदगी की तब से ही बहुत ज्यादा चिंता सता रही है। लेकिन लगभग पंद्रह-सोलह दिन बीत जाने के बाद भी जांच में लगी पुलिस की सभी टीम अभी तक विक्रम का कोई सुराग नहीं लगा सकी है और वो बिल्कुल खाली हाथ है। जबकि जब यह घटना घटित हुई थी तब प्रदेश में बेहद सख्त रात्रि कर्फ्यू चल रहा था जो अभी तक भी जारी है और घटनास्थल से जहां विक्रम की गाड़ी बरामद हुई थी वहां तक जगह-जगह पुलिस बैरियर लगाकर सख्त जांच का दावा करती है लेकिन उस दिन विक्रम की गाड़ी को केवल खतौली के पास पुलिस बैरियर पर रोकने का प्रयास किया गया, जहां से अपराधी गाड़ी को लेकर फरार हो गये उसके बाद गाड़ी तितावी में बरामद हुई थी।
देश में हॉटसिटी के नाम से मशहूर जनपद गाजियाबाद देश की राजधानी दिल्ली से लेकर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक अपनी हर क्षेत्र में एक अलग पहचान रखता है। वैसे भी गाजियाबाद जनपद आयेदिन किसी ना किसी बहाने से देश में चर्चा में छाया रहता है। चाहे मामला विकास का हो या फिर मामला अपराध का हो, हर मामले में गाजियाबाद जनपद अधिकतर में अव्वल बना रहता है। अगर हम गाजियाबाद जनपद में अपराध रोकने की बात करें तो वैसे तो धरातल पर आलम ये है कि उत्तर प्रदेश शासन की तरफ से गाजियाबाद की पुलिस को आधुनिक बनाने के लिए तमाम तरह के प्रयास किए गये हैं और जो समय-समय पर जरूरत की मुताबिक लगातार चलते भी रहते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से समय-समय पर गाजियाबाद पुलिस को बेहतरीन बनाने के लिए आधुनिक हथियार, आधुनिक तकनीक, बहुत बड़ी संख्या में पीआरवी, पीसीआर और लैपर्ड आदि मिली हुई है। लेकिन फिर भी गाजियाबाद पुलिस अपराधियों के गठजोड़ का पूर्ण रूप से सफाया करने में नाकाम है। हाल के दिनों की बात करें तो सरकार की तरफ से बहुत सारे तेजतर्रार पुलिस के अधिकारियों व अन्य कर्मियों की टीम व उसको कुशल नेतृत्व देने वाले तेजतर्रार कप्तान एसएसपी कलानिधि नैथानी व एसपी सिटी मनीष मिश्रा के रूप में गाजियाबाद पुलिस को मिले हुए है। लेकिन फिर भी ना जाने क्यों इस सब भारीभरकम तेजतर्रार अमले के बावजूद भी जनपद गाजियाबाद के लोग खुद को हमेशा का तरह आज भी सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे है। इस हालात के पीछे जिम्मेदार है जिले में तरह-तरह के आयेदिन घटित होने वाले अपराधिक मामलों का लगातार घटित होते रहना है और पुलिस का सभी मामले का खुलासा करने को लेकर फिसड्डी बने रहना है। वैसे सूत्रों के अनुसार विक्रम त्यागी के मामले में भी पुलिस की पूरी जांच हर एंगल पर चल रही है और सूत्रों की मानें तो पूरे गाजियाबाद जिले की पुलिस के साथ-साथ हापुड़, मेरठ और मुजफ्फरनगर की पुलिस भी विक्रम त्यागी के मामले में खोजबीन कर रही हैं एसएसपी कलानिधि नैथानी व एसपी सिटी मनीष मिश्रा लगातार स्वयं मामले को देख रहे हैं। लेकिन फिर भी आश्चर्यजनक बात यह है कि पुलिस अभी तक विक्रम त्यागी की सकुशल बरामदगी क्यों नहीं कर पा रही है और पुलिस तंत्र के हाथ अभी तक खाली क्यों!