बिहार(सुपौल)-ओम एक्सप्रेस ब्यूरों- बिहार सरकार के नगर विकास एवं आवास विभाग के अंतर्गत कनीय अभियंता के 463 स्वीकृत रिक्त पदों पर संविदा के आधार पर नियोजन हेतु विज्ञापन निकाली गई थी। विभागीय आदेश संख्या 426, दिनांक 29 जनवरी 2020 द्वारा कनीय अभियंता असैनिक, यांत्रिक, विधुत के पद पर ऑनलाइन आवेदन का स्क्रूटनी करने के लिए कमिटी गठित की गई थी। जिसमें 377 असैनिक कनीय अभियंता 44 यांत्रिक कनीय अभियंता एवं 42 विधुत कनीय अभियंता के रिक्त पदों पर सामान्य प्रशासन विभाग के संकल्प ज्ञापांक 2401, दिनांक 18 जुलाई 2007 के आलोक में संविदा के आधार पर नियोजन हेतु कमिटी द्वारा अनुशंसित अभ्यर्थियों की शैक्षणिक योग्यता, जन्म तिथि, आरक्षण कोटी आदि का सत्यापन ऑनलाइन करने का निर्णय लिया गया था।

सॉर्टलिस्टिंग के पश्च्यात अभ्यर्थी को काउंसलिंग के लिए अनुशंसा की गई। जिसकी सूचि विभागीय वेवसाइट के नोटिस बोर्ड पर उपलब्ध है। अनुशंसित अभ्यर्थियों का आरक्षण कोटिवार ऑनलाइन काउंसलिंग की सूचना विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित की जा चूकी है। लेकिन हैरत कि बात यह है कि उक्त गठित कमिटी द्वारा स्क्रूटनी में सी.एम.जे. विश्वविद्यालय मेघालय से डिप्लोमा प्राप्त अभ्यर्थियों को सूचि से हटा दिया गया है। जिसके कारण दर्जनों योग्य अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है। हालांकि नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव को दर्जनों अभ्यर्थी पत्र लिखकर न्याय कि गुहार लगाए हैं। ज्ञात हो कि सी.एम.जी. विश्वविद्यालय मेघालय यू.जी.सी. से मान्यता प्राप्त निजी विश्वविद्यालय है। विश्वविद्यालय के कैंपस में अभियंत्रण पाठ्यक्रम चलाने के लिए सर्वोच्क न्यायालय के निर्णय के आलोक में अखिल भारतीय तकनीकि शिक्षा परिषद् से मान्यता लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसके वावजूद भी सूचि से छात्रों की छटनी के कारण कठिन मेहनत कर वर्षों से प्रतिक्षारत और अभियंता बनने का सपना संयोगने वाले अभ्यर्थियों को जोरदार झटका लगा है। फिर भी मुख्यमंत्री से न्याय मिलने कि आशा संयोगे विभागीय चक्कर लगा रहे हैं।