जयपुर, (हरीश गुप्ता)।थानेदारों पर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में काफी फिल्में बनी हुई है, लेकिन 2021 की भर्ती को देखें तो ऐसी स्क्रिप्ट आज तक किसी फिल्म की नहीं बनी। अब देखना है इस पर फिल्म कब और कौन बनाता है। सबसे बड़ी बात है की फिल्म का मुख्य किरदार आरपीएससी का सर्वेसर्वा होगा।
थानेदार व प्लाटून कमांडर भर्ती 2021 का परिणाम आने के बाद हमने भर्ती में फर्जीवाड़े की दर्जन से ज्यादा खबरें चलाई, लेकिन न तो आरपीएससी और ना ही पुलिस महकमा या सरकार का दिल पसीजा। मेहनत करने वाले मायूस होकर भाग्य को पूछते रहे गए। वहीं फर्जीवाड़ा करने वाले आज कितने शानो-शौकत से ट्रेनिंग कर रहे हैं।
अब जब एसआईटी हरकत में आई तो भ्रष्ट थानेदारों की दर पकड़ शुरू हुई। अभी तक14 थानेदार गिरफ्तार हो चुके है और कुछ पाइप लाइन में हैं। अब क्या आरपीएससी अध्यक्ष व सदस्यों को कुछ शर्म नहीं आ रही। उन्हें शर्म के मारे खुद इस्तीफा देकर अपने घर बैठ जाना चाहिए और बेरोजगारों से माफी भी मांगनी चाहिए।
पेपर लीक माफियाओं को देखें तो करीब एक दर्जन माफिया ऐसे हैं जो इससे भी इससे कई वर्षों से जुड़े हुए हैं। उन्होंने अरबों की संपत्ति के जुटा ली। एक बेरोजगार से 2 लाख लेकर उसे पेपर बचा होगा तो अभी तक हजारों लोगों को शॉर्ट रास्ते से ‘सरकारी जमाई‘ बना चुके। वहीं कुछ विदेश भाग चुके तो कुछ यही अंडरग्राउंड हो रखे हैं।
आरपीएससी भी कमाल ‘पारस पत्थर‘ हो रखा है। अध्यक्ष-सदस्य 6 साल में इतना व्यवस्था कर बैठते हैं कि एक व्यक्ति एक नहीं दो पांच सितारा होटल शुरू कर ले।आखिर इतना सब कुछ कहां से आ रहा है? वास्तविकता यह है कि काबिल और योग्य बेरोजगारों के ‘भविष्य की हत्या‘ करके खुद का घर भर रहे हैं। एक बार उनकी संपत्ति की जांच हो तो सामने आएगी, किसने कितनी जमीन, कितना सोना, कितने भवन, कितने फार्म हाउस, कितने मॉल रिश्तेदारों व बच्चों के नाम से बना डाले।
सवाल खड़ा होता है जो फर्जीवाड़े से भर्ती हुए हुए आम जनता के साथ क्या न्याय करेंगे? पहला टारगेट तो इन्वेस्ट की हुई रकम वसूलना होगा जिससे गिरवी रखी जमीन के पेपर सूदखोर से वापस ले और ब्याज की घंटी बंद करें।
अभी तक थानेदारों की भर्ती में करीब 50 थानेदार तो एसआईटी-एसओजी की जांच में फर्जी सामने आ चुके हैं। कायदा यह कहता है एक भी फर्जी भर्ती सामने आते ही भर्ती रद्द हो जानी चाहिए। फिर सरकार किसका इंतज़ार कर रही है?फर्जियों को पकड़ने और कृष्ण जन्मस्थली पहुंचने से वोट खराब नहीं होंगे बल्कि 10 गुना बढ़ेंगे क्योंकि फर्जियों से 10 गुना हैं जो न्याय की आस कर रहे हैं। हकीकत यह है जांच अधिकारी भर्ती को रद्द मान चुके हैं और कह रहे हैं इंतजार करो शीघ्र ही कई और थानेदार यहीं रिमांड रूम में बैठे मिलेंगे।
अब सरकार को चाहिए कि इस पर इस भर्ती को रद्द कर ट्रेनिंग ले रहे फर्जी थानेदारों से ट्रेनिंग पर हुए खर्च की वसूली करे। उन्हें वह उनके आकाओं को जेल भिजवाए, वरना इस 2021 के बैच के थानेदारों को वैसे भी हीनदृष्टि से देखा जाएगा। चाहे वह मेहनत से ही पास हुआ होगा। यह न्याय के इंतजार में बैठे युवाओं के लिए यह होली का सबसे अच्छा तोहफा होगा।
ऐसे ही थानेदारों की भर्ती व आरएएस भर्ती पर भी रिसर्च जरूरी है। एक नेता के परिवार के चार जने आरएएस हो गए उनके चारों का आरपीएससी में इंटरव्यू का अध्यक्ष कौन था? अध्यक्ष को उसमें क्या नजर आया जो इंटरव्यू में लिखित परीक्षा की तुलना में बंपर नंबर आए? चर्चाएं हैं, ‘यहां ज्यादा बतंगड़ ना हो इसलिए हो जातिगत समीकरण भी पूरी तरह बिठाया गया।‘