इजरायली डेनी शोहम ने ये लेख भारत के प्रतिष्ठित डिफेंस थिंकटैंक, मनोहर पर्रीकर इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज़ एंड एनेलिसिस (आईडीएसए) के जर्नल में लिखे गये है | डेनी शोहम कैमिकल और बायोलॉजिकल वॉरफेयर के एक्सपर्ट माने जाते हैं और इन दिनों मनोहर पर्रीकर इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज़ एंड एनेलिसिस में विजिटिंग-फैलो है|अपने लेख में शोहम ने लिखा था कि एबोला और नेपाह वायरसों को किन्ही दूसरे वायरस से मिलाया गया तो एक बेहद ही खतरनाक जैविक हथियार तैयार किया जा सकता है|शोहम ने यहां तक लिखा है कि जिन तीन चीनी वैज्ञानिकों को कनाडा से निकाला गया था, उनमें से एक महिला साईंडिस्ट चीन की वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वीरोलॉजी से संपर्क में थीं|सब जानते हैं कि वुहान ही चीन का वो शहर है, जो बायोलॉजिकल वैपन यानी जैविक हथियार बनाने के लिए बदनाम है और जहां से ही कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैला है|
कोरोना वायरस संक्रमण के केंद्र रहे वुहान शहर के डॉक्टर्स ने एक नई चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि ठीक हुए मरीजों में से करीब १० प्रतिशत को फिर से संक्रमण हो गया है, ये कैसे हुए इसका पता नहीं लग पा रहा है| अब तो यह साफ है कि चीन की भारत से यह गुजारिश एकदम गलत है कि “कोरोना को चीन का वायरस ना कहें क्योंकि इससे उनके देश को कलंक लग सकता है और इसके साथ ही यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग में हानिकारक होगा।“
अभी भी कोरोनावायरस का कहर दुनियाभर में तेजी से अपना पांव पसार रहा है और ऐसे में संक्रमण को रोकने के लिए कई देश अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं| ज्यादातर देशों में प्रदेश और शहरों को लॉकडाउन करके कोरोना के संक्रमण को नियंत्रण कर रहे हैं, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल टेडरोस अधानोम गेब्रियेसस ने लॉकडाउन करने वाले देशों को चेताया है. उन्होंने बताया कि कोरोनावायरस का मुकाबला करने के लिए कई देशों द्वारा लागू किए जा रहे लॉकडाउन, दुनिया से वायरस को मिटाने के लिए पर्याप्त नहीं होंगे|गेब्रियेसस ने बताया, ”कोरोनावायरस के संक्रमण के फैलाव को धीमा करने के लिए कई देशों ने ‘लॉकडाउन’ का उपाय अपनाया है. लेकिन यह उनके हिसाब से है, ये उपाय महामारी को नहीं खत्म करेगी. हम सभी देशों से इस समय का उपयोग करके कोरोनोवायरस पर हमला करने की योजना बनाना चाहिये |