वर्चुअल मोड पर हुआ वेबिनार एवं विभिन्न ज्ञानवर्धक प्रतियोगिताओं का आयोजन
बीकानेर,( दिनेश शर्मा”अधिकारी”)। विश्व पशु चिकित्सा दिवस-2021 आज वेटरनरी विश्वविद्यालय द्वारा वर्चुअल मोड पर आयोजित किया गया। विश्व पशु चिकित्सा संघ और विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन ने इस वर्ष विश्व पशुचिकित्सा दिवस को “कोविड-19 विपदा की परिस्थितियों में पशु चिकित्सकों की भूमिका” की थीम पर मनाने का फैसला किया है। कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा ने शनिवार को विश्व पशुचिकित्सा दिवस पर पशु चिकित्सक समुदाय को बधाई संदेश दिया है। इस अवसर पर राजुवास एवं एलेम्बिक फार्मास्युटिकल के संयुक्त तत्वावधन में “कोविड-19 की विपदा परिस्थितियों में पशु एवं मानव स्वास्थ्य हेतु पशुचिकित्सकोें की भूमिका” विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा ने सम्बोधन करते हुए कहा की वेटरनरी पाठ्यक्रम में विविधताओ का समावेश है। वेटरनेरियन पूरे डिग्री के दौरान विभिन्न विषयों का अध्ययन एवं ज्ञान अर्जन करता हैं अतः पशुचिकित्सा के विभिन्न आयामों जैसे इथ्नोमेडिसिन, हर्बल मेडिसिन, खाद्य उत्पादों की वेल्यु चैन, खाद्य सुरक्षा, आर्गनिक पशु उत्पाद, संक्रामक बिमारियों की रोकथाम आदि क्षैत्रों में नवाचार करके समाज में योगदान दे सकते है। हमें बड़े उद्धेश्यो को ध्यान में रखकर एवं विभिन्न विभागों के संयुक्त प्रयासो से समाज को अमूल्य योगदान देना होगा जिसकी आज समाज को नितांन्त आवश्यकता है। राजुवास के पूर्व कुलपति प्रो. ए.के. गहलोत ने पशुपालन क्षैत्र में अपार अवसर एवं भविष्य की सभांवनाओं विषय पर अपना विस्तृत व्याख्यान दिया एवं बताया कि भारत सरकार ने एकल स्वास्थ्य मिशन पर बल दिया है हमें मनुष्य के साथ-साथ पर्यावरण एवं पशु स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होगा। हालांकि कोविड-19 के कारण पूरे विश्व को बहुत नुकसान हुआ है लेकिन दूसरी तरफ हमें अपने आप को साबित करने का अवसर मिला है। मनुष्य में होने वाली 75 प्रतिशत जुनोटिक बिमारियां पशुओं से उद्वभव होती है अतः ऐसी स्थिति में वेटरनेरियन की भूमिका अहम हो जाती है।
डॉ. उमेश शर्मा, अध्यक्ष भारतीय पशुचिकित्सा परिषद् ने मुख्य अतिथिः के रूप में कहा की आज कोविड-19 के कारण उत्पन्न विपरित परिस्थितियों पर हमें आत्ममंथन करना चाहिए और पर्यावरण स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने गरीब पशुपालकों एवं किसानों को गुणवŸाा युक्त पशुचिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करवानी के सुझाव दिया ताकि हम स्वस्थ पशु उत्पादन कर सकंे। उन्होंने अपने उद्बोधन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति की तरह राष्ट्रीय पशु स्वास्थ्य नीति बनाने का सुझाव दिया। प्रो. संजीता शर्मा, अधिष्ठाता, पी.जी.आई.वी.ई.आर. ने अपने सम्बोधन में कहा कि पशुचिकित्सक विभिन्न क्षैत्रों में अपना योगदान दे रहे है। लेकिन पशुचिकित्सा के अलावा हमें खाद्य सुरक्षा की तरफ भी ध्यान देने की आवश्यकता है। मानव खाद्य पदार्थाे में पशुउत्पादों का बहुत बड़ा हिस्सा होता है अतः हम पशु खाद्य सुरक्षा पर ध्यान देकर मनुष्य को स्वस्थ रख सकते है।
वेबिनार में डॉ. खुशाल सिंह सोलंकी ने आर.टी.-पी.सी.आर. के माध्यम से कोविड-19 को पता लगाने की विस्तृत जानकारी दी। डॉ. सुरेश कुमार झीरवाल ने श्वान पालको एवं पशुचिकित्सको को कोविड-19 से बचाव हेतु विभिन्न सुझाव दिये। छात्र-छात्राओ में रक्षीता शर्मा, भावना नारनोलिया, अखिल तिवारी, केशव गौर एवं निशा यादव ने अपने विचार व्यक्त किया। वेबिनार के आरम्भ में प्रो. आर.के. सिंह, अधिष्ठाता वेटरनरी कॉलेज, बीकानेर ने सभी का स्वागत किया। प्रो. आर.के. जोशी अधिष्ठाता, वेटरनरी कॉलेज, नवानियां (उदयपुर) ने सभी का धन्यवाद दिया। वेबिनार का आयोजन प्रो. धर्म सिंह मीणा ने किया एवं संचालन डॉ. बरखा गुप्ता ने किया। इस वेबिनार में विश्वविद्यालय के सभी डीन-डायेक्टरस, प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राएं सम्मिलित हुए। विश्वविद्यालय के विभिन्न जिलों में स्थित पशु विज्ञान केन्द्रों द्वारा ऑनलाइन माध्यम से भी विश्व पशुचिकित्सा दिवस का आयोजन किया गया तथा पशुपालकों को कोविड-19 के दिशा-निर्देशो की पालना एवं पशुओ से विभिन्न जुनोटिक बिमारियों के बारे में जानकारी दी। विश्व पशुचिकित्सा दिवस पर आयोजित ऑनलाइन प्रतियोगिताओं में विद्यार्थी ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। चित्रकला प्रतियोगिता में कनिका पूनिया प्रथम एवं शांति गुर्जर ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। वंशिका कुमारी एवं पलक गुप्ता ने संयुक्त रूप से तृतीय स्थान प्राप्त किया। एक्सटेम्पोर प्रतियोगिता में पूजा गोयत प्रथम एवं सौरभ दारिया एवं प्रियादर्शिका शेखावत क्रमशः द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर रहे। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में प्रियादर्शिका शेखावत ने प्रथम एवं पवन कुमार शर्मा द्वितीय व राधा रानी ने तृतीय स्थान प्राप्त किए। ऑनलाइन आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में डॉ. सुनीता पारिक, डॉ. अमित कुमार, डॉ. महेन्द्र तवंर, डॉ. प्रतिष्ठा शर्मा एवं आई.यू.एम.एस. प्रभारी डॉ. अशोक डांगी का सहयोग रहा।