जनसेवा कार्य में वीआईपी का मतलब है वेरी इंपोर्टेंट पर्सन याने बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति इसका मतलब यह है कि इस व्यक्ति का समय बहुत कीमती है और इसकी हिफाजत बहुत जरूरी है। यह जो काम करें उसमे इनके असिस्टेंट लोगों ने पूरा सहयोग देना चाहिए। बात बिल्कुल ठीक है वीआईपी को वीआईपी ट्रीटमेंट मिलना चाहिए। पर अब प्रश्न उठता है कि जो वीआईपी कैटेगरी में जरूर आते हैं पर जनसेवा के बजाए स्वयं के ऐश आराम और सुविधा का लाभ ले रहे हैं। सरकार का करोड़ों रुपए का फंड इस मद में खर्च होता है जो कि जनता की गाढ़ी कमाई है। जहां विआईपी जाएंगे वहां सरकार साफ-सफाई, रोड बनाना अन्य कई इंतजाम पर कई खर्च करती है। चलिए माना कि यह होना चाहिए पर यह भी सरकार तय करे की वीआईपी कितने होना चाहिए यहां तो सरकार का हर बंदा वीआईपी है और हर बड़ा अफसर वीआईपी है। सरकार को अब सोचना चाहिए कि जितना हो सके वीआईपी पर फालतू खर्च पर बंदिश लगाएं। जनसेवक को जनता के बीच में रहने की आदत डलवाए। और किसी भी राजनीतिक पार्टी के चुनावी कार्य में सरकार ने सुविधा जुटाने के लिए खर्च नहीं करना चाहिए। कई जगह हमने देखा है कि जब कोई वीआईपी आएगा तो वह तमाम घोषणाएं कर जाते हैं, क्यों ? घोषणा जनता के बीच करने की क्या जरूरत है वह तो आपका काम है जो आप कर रहे हो। जनता आपको शाबाशी देगी आप अपने आप क्यों शाबाशी ले रहे हो।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)