

जयपुर। कच्छावा वंश की मुख्य खाँप नाथावत वंश के पूर्वज वीर शिरोमणी नाथाजी जिनके नाम से नाथावत वंश अपना सरनेम लगाते है उनकी जयंती मैसूर महल सिरसी रोड़ जयपुर में श्रद्धापूर्वक मनाई गयी और नाथाजी की प्रतिमा को पुष्प अर्जित करके नाथावत वंशजों ने उनको याद किया गया।
इस अवसर पर नाथावत परिवार के सदस्यों ने 150 से अधिक यूनिट रक्तदान किया।
इस अवसर पर जयपुर सांसद रामचरण बोहरा ने मैसूर महल में रक्तदाताओं का उत्साहवर्धन किया।
संस्थान के मुख्य सदस्य आनंद सिंह चोखावाला ने बताया कि वीर शिरोमणी नाथा जी का जन्म सं. 1582 में करौली के ठाकुर की पुत्री सत्यभामा जी की कौख से
हुआ। आनंद सिंह ने बताया कि (आमेर के राज्य पृष्ठ 48) जिस समय मान सिंह ने गुजरात पर चढ़ाई की उस समय उन्होंने ऊंटों की सवारी से 1 महीने के सफर को 7 दिन में पूरा किया। सफर में भगवंत दास, भगवान दास, मान सिंह और नाथाजी जैसे 100 सवार गए थे ।
रास्ते में मिर्जा मुजफ्फर हुसैन 1000 सवार साथ लिए लड़ने को तैयार खड़ा था।
कुंवर मान सिंह ने महेंद्री नदी पार करके उस को परास्त करने के लिए फ़ौज भेजी, उस समय अकबर अकेले ही एक ऐसे छोटे रास्ते में फंस गए थे जिसमें दोनों ओर की दीवार पर नागफनी लगी हुई थी और आजू बाजू के खेतों में दुश्मन रुके हुए थे। अकबर को इस तरह गिरे हुए देखकर उसके दाहिनी तरफ भगवान दास बांयी तरफ मान सिंह और पीछे नाथाजी तलवार लेकर खड़े हो गए तथा सैकड़ों शत्रुओं को मार गिराया, ऐसे वीर पुरुष की संतान होने पर हमें गर्व है।


संस्थान के आयोजन कर्ता मोती सिंह सावली ने बताया कि हर वर्ष इस आयोजन में हम रक्तदान का कार्यक्रम जरूर रखते है पिछले वर्ष कोरोना काल में हमारे पास ब्लड के लिये कई फोन आये हमने हर बार सभी लोगों की सहायता की। रक्तदान सभी जातियों सभी धर्म के लिये है इसमें कभी कोई भेदभाव नहीं किया।
