बीकानेर/ बीकानेर के व्यंग्य लेखकों की पहचान आज पूरे देश में होना गर्व का विषय है। व्यंग्य विधा में यहां के लेखकों की विशिष्टता का ही परिणाम है कि हिंदी के हरेक महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संकलन में उनकी सहभागिता रहती है। अब वह समय है जब सभी लेखकों को अपने अपने शहरों में मिल बैठकर साहित्य की विविध विधाओं के रचनात्मक पक्ष पर चिंतन करना चाहिए।
उक्त उद्गार वरिष्ठ व्यंग्यकार और पंडित जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष बुलाकी शर्मा ने व्यंग्य-संग्रह ‘हमारे समय के धनुर्धारी व्यंग्यकार’ के लोकार्पण कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए।
पवनपुरी स्थित स्वरांगन में आयोजित इस समारोह के मुख्य अतिथि व्यंग्यकार डॉ. अजय जोशी ने कहा कि प्रो. राजेश कुमार और डॉ. लालित्य ललित ने इक्कीसवीं शताब्दी में सर्वाधिक संपादन कर व्यंग्य के क्षेत्र में एक बड़ा कीर्तिमान अर्जित किया है जिससे व्यंग्य विधा में सक्रियता देखी जा सकती है। इस संग्रह में 91 में बीकानेर के छह व्यंग्यकारों की सहभागिता हमारे शहर की सृजनात्मकतांका प्रमाण है।
संपादक-आलोचक डॉ. नीरज दइया ने कहा कि किसी भी विधा में लेखक की निरंतरता और प्रयोगधर्मिता आवश्यक है और धनुर्धारी व्यंग्यकारों के इस संकलन में हम हमारे समय के विविध विषयों को वहुआयामी रूपों में देखकर चिंतन करने को प्रेरित होते हैं यही इस संग्रह की सार्थकता है। कहानीकार और व्यंग्यकार मुकेश पोपली ने कहा कि इतने व्यंग्यकारों को एक संग्रह में विविध पक्षों को ध्यान में रखते हुए समाहित करना निसंदेह मुश्किल काम है जो संपादकों ने सहजता से कर दिखाया है।
व्यंग्यकार सुधीर केवलिया ने कहा कि यह व्यंग्य संग्रह एक प्रामाणिक संकलन है जिसमें पूरे देश के प्रतिनिधि व्यंग्यकारों की प्रतिनिधि रचनाओं को स्थान मिला है। व्यंग्यकार आत्माराम भाटी ने कहा कि आजादी के बाद की बदलती दुनिया और देश की एक झांकी इस संकलन में हम देख सकते हैं। इसमें हमें हमारे आस-पास की दुनिया से लेकर देश विदेश की प्रमुख घटनाओं की विसंगतियों पर चोट की गई है।
बालसाहित्यकर श्रीमती कविता मुकेश ने अंत में सभी का आभार व्यक्त किया।

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