-अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक ने कहा हम शराब बंदी का नही करते हैं समर्थन । . रिपोर्ट:– प्रशांत कुमार त्रिवेणीगंज (सुपौल
बिहार में शराबबंदी है जिसको लेकर सूबे के मुखिया रोल मॉडल बने हुए हैं।सत्ताधारी नेता हो या सरकारी बाबू सभी इसकी बड़ाई करते नहीं थकते हैं ठीक इसके विपरीत आम लोग शराब को भगवान मानने को मजबूर होते जा रहे हैं।इसका एक हीं कारण है शराब बिहार में दिखता कहीं नहीं है मिलता सभी जगह है. जिसका जीता जागता उदाहरण आज सुपौल जिले त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल में देखने को मिला.जहाँ सड़क दुर्घटना में जख्मी नाबालिक 17 वर्षीय युवक विकास कुमार को घायलावस्था में त्रिवेणीगंज पुलिस द्वारा भर्ती कराया गया.जानकारी के मुताबिक विकास कुमार मधेपुरा जिला के कुमारखंड थाना क्षेत्र के लक्ष्मीनिया परसाही वार्ड नम्बर 10 निवासी अपनी मोटर साइकिल से जोगियाचाही जा रहे थे कि उसी क्रम में
त्रिवेणीगंज थाना के मयूरवा पुल के समीप विपरीत दिशा से आ रही एक अन्य मोटर साइकिल से टकरा गई जिसमें इसकी दायीं पैर फ़्रैक्चर हो गया जिसकी सूचना मिलने पर मौके पर पहुँची त्रिवेणीगंज पुलिस ने इसे त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती करा कर अपना पल्ला झाड़ वहाँ से चलते बने।
अनुमंडलीय अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात डॉ. विरेन्द्र दरवे द्वारा घायल का प्राथमिक उपचार भी किया गया जो फ़िलहाल खतरे से बाहर है अस्पताल में पर्याप्त सुविधा नहीं रहने के कारण इसे रेफर कर दिया गया. लेकिन ईलाज कर रहे चिकित्सक की दरियादिली का जबाब नहीं. मरीज पूर्णतः होशोहवास में यह बता रहे हैं कि उसने अंग्रेजी शराब एक पैक पी रखी है लेकिन डॉ वीरेन्द्र दरवे इसकी शराब पीने की पुष्टि नहीं कर पाए. इस बाबत जब डॉ वीरेंद्र दरवे से पूछा गया कि आप शराबबंदी का समर्थन करते हैं तो उन्होंने स्पष्ट बताया कि हम शराबबंदी का सपोर्ट नहीं करते हैं यह पुलिस का काम है पुलिस करे.फिलहाल रेफर होने के बाद मरीज का इलाज किसी निजी क्लिनिक में चल रहा है.लेकिन सरकारी डॉक्टर के इस तरह के बयान से साफ स्पष्ट है कि बिहार में शराबबंदी एक मजाक के सिवाय और कुछ भी नहीं है।