शासन प्रशासन का पहला लक्ष्य भारतीय संविधान के अंतर्गत भारतीय नागरिक को प्राप्त अधिकार दिलवाना होता है संविधान हर व्यक्ति नहीं पढ़ सकता लेकिन उसे उसके अधिकार दिलाने की जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होती है। शासन प्रशासन इमानदारी से काम करें तो जनता अमन चैन से जीवन जी सकती है। दिक्कत वहा पैदा होती है जहां शासन प्रशासन में भ्रष्टाचार और सत्तारूढ़ सिर्फ स्वयं का विकास करने में लग जाए। हमारे कानून सभी के लिए समान हैं परंतु अक्सर यह देखने में आता है कि जो सत्ता और आर्थिक रूप से सक्षम कानून के शिकंजे से बच जाता है और गरीब लाचार बेगुनाह कानून मे पिसा जाता है। देश में भ्रष्टाचार इस कदर बढ़ चुका है कि कई लोग उसे सेवा शुल्क के रूप में मान्यता दे चुके। वे दिमागी तौर पर इस बात के लिए तैयार रहते हैं कि यह पैसा तो लगना ही है। कई जगह सड़क पर ट्रैफिक वाला जवान, पुलिस, पटवारी, तहसीलदार, नगर निगम, पीडब्ल्यूडी आदि कई विभाग, और कई बार अखबार में न्यूज़ छपाने के लिए भी संवाददाता को लिफाफा लगता है। ऐसा नहीं है कि शासन-प्रशासन अच्छा काम नहीं करते हैं कई जगह शासन-प्रशासन बड़ी ईमानदारी से बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और जनता उनसे बहुत खुश है। यदि शासन-प्रशासन इमानदारी की ठान ले और गलत के खिलाफ सख्त हो तो माहौल सुधर सकता है। जो व्यवस्था हम दुबई में देखते हैं यहा भी दिखेगी।
अशोक मेहता, इंदौर ।(लेखक, पत्रकार, वस्तुविद्)

