– कोविंद-19 महामारी में भी “आदमखोरों की तरह आपदाओं में अवसर ढूंढ कर कॉरपोरेट घरानों का चौकीदार बना मोदी ” उनके मुनाफे को बढाने में लगा है।
गुरुग्राम, हरियाणा। ( दिनेश शर्मा “अधिकारी”)। केन्द्र-सरकार के कोरोना संक्रमण की चुनौती से निबटने के गैर जिम्मेदाराना रवैये की आलोचना की गई। राज्यों की सरकारों से एकजुट होकर केन्द्र-सरकार के अधिनायकवाद का विरोध करने की अपील का प्रस्ताव भी लिया गया। मोर्चे पर “प्रतिरोध सप्ताह” के तहत कोरोना से बचाव के इंतजाम और टीकाकरण कार्यक्रम लगातार जारी रहा। किसानों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया कि कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए जारी है और रहेगा आंदोलन।
– वापस मोर्चो पर पहुँचने लगे हैं किसान।
शाहजहाँपुर-खेड़ा बॉर्डर पर समूह चर्चाओं का दौर भी जारी रहा।
शाहजहाँपुर-खेड़ा बॉर्डर पर रोजा इफ्तार के दौर में रविवार को बारह वे दिन गंगा जमुना तहजीब तहजीब के साथ हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सभी धर्मों के किसानों ने भाग लिया।
मोर्चा की ओर से प्रैस विज्ञप्ति में डॉ.संजय”माधव” ने बताया कि शाहजहाँपुर-खेड़ा बॉर्डर पर “प्रतिरोध सप्ताह” के तहत कोरोना से बचाव के पुख्ता इंतजाम के जागरूकता अभियान और टीकाकरण का अभियान लगातार जारी है। ये अभियान लगातार जारी रहेगा। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से इसमें पूरी तरह से सहयोग किया जा रहा है।कोरोना प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करते हुए किसान-आंदोलन लगातार जारी है और आगे भी किसानों की मांगें पूरी होने तक जारी रहेगा।
किसान विरोधी काले कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान संघर्ष के 150 दिन पूरे होने के बाद भी किसानों का आंदोलन एकता,अनुशासन के साथ शांतिपूर्ण तरीके से केन्द्र की भाजपा-आरएसएस सरकार की तमाम कुचालों का मुंहतोड़ जबाव देते हुए चल रहा है। संयुक्त किसान मोर्चो के किसानों से खेती-किसानीके काम निबटा कर अब वापस अपने मोर्चों पर पहुंचने के आह्वान पर किसानों ने मोर्चा-स्थल पर पहुंचना शुरू कर दिया है।
“फिर दिल्ली चलो” के आह्वान के साथ अपने-2 मोर्चो पर पहुँचने का सिलसिला शुरू हो गया है। इस आह्वान के तहत राजस्थान एवं आस-पास के राज्यों के किसानों का शाहजहाँपुर-खेड़ा बॉर्डर पर पहुंचना शुरू हो गया है। धीरे-धीरे किसानों का मोर्चा-स्थल पर पहुँचने का सिलसिला तेज हो रहा है और आने वाले दिनों में आंदोलन के अगले कदम यानि “संसद-मार्च” की तारीख का एलान होते ही इसमें भारी बढोतरी होना तय है।
मोर्चा-स्थल पर समूह-चर्चाओं का दौर आज भी जारी रहा। चर्चा में किसानों ने कोरोना संक्रमण की चुनौती से निबटने के भाजपा-आरएसएस की मोदी सरकार के आपराधिक और गैरजिम्मेदाराना रवैये की कड़ी आलोचना करते हुए यह दोहराया कि जिस तरह का असंवेदनशील, असंवैधानिक औऱ गैर जिम्मेदाराना व्यवहार केन्द्र की भाजपा-आरएसएस सरकार ने किसानों के आंदोलन के साथ किया।किसानों की जानमाल की कीमत पर भी सिर्फ और सिर्फ अपने आकाओं के मुनाफे बढाने के लिए कानून लागू करने का काम किया। बिलकुल उसी प्रकार से कोरोना-महामारी का मुकाबला करने में भी केन्द्र-सरकार ने बेहद घटिया और क्षुद्र राजनीतिक रवैया अपनाया हुआ है। एक तरफ लाखों लोगों की जान बीमारी से जा रही है वहीं ऐसे गंभीर हालात में भी आदमखोरों की तरह’आपदाओं में
अवसर ढूंढता देशी-विदेशी कॉरपोरेट घरानों का चौकीदार बना नरेंद्र मोदी उनकें लिए मुनाफे बढाने के काम में लगे हुए हैं।
ऐसे गंभीर हालात में भी केन्द्र-सरकार जिस ऑक्सीजन,वैक्सीन और आवश्यक दवाईयों के मामले में गंभीर भेदभाव और मोलभाव कर रही है वह पूरी तरह से अमानवीय और देश के संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध है। देश के तमाम आर्थिक संसाधनों पर पूरा कब्जा जमाकर राज्यों को उनकी जनता के लिए दवा, ऑक्सीजन और दूसरी आर्थिक-आवश्यकताओं के लिए गिड़गड़ाने के लिए मजबूर करने के प्रयास केन्द्र-सरकार कर रही है जो कि पूरी तरह से देश के संघीय ढांचे और संविधान के बुनियादी सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है। सभी राज्यों की सरकारों और जनता को इसका पुरजोर विरोध करते हुए इसका मुंहतोड़ जबाव देना चाहिए।
सभी किसानों ने केन्द्र-सरकार के काले मंसूबों और कारनामों को बेनकाब करने का फैसला और संकल्प लिया। अब जनता के पास आंदोलन के अलावा कोई दूसरा विकल्प नही है। अत: किसानों का यह संकल्प है कि हम जीवित हैं तब तक अडिग हैं और मैदान से हटेंगे नहीं,ना ही किसी को हटाने देंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा, शाहजहाँपुर-खेड़ा बोर्डर ने पुनः कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में लगातार भयावह होती जा रही स्थिति लगातार हो रही मौतों,ऑक्सीजन,दवाओं की आपूर्ति में अव्यवस्था,अराजकता और लूट खसोट के लिए भाजपा-आरएसएस की केन्द्र की मोदी सरकार और खुद प्रधानमंत्री मोदी की अकर्मण्यता,भ्रष्ट आचरण,अपने पूंजीपति आकाओं को फायदा पहुंचाने की नीयत,तुच्छ राजनीतिक मानसिकता और लापरवाही को ही जिम्मेदार ठहराया है। वास्तविकता यही है कि ये कैसी नाकारा सरकार है,जिसकी लापरवाही और भ्रष्ट पूंजीपरस्त आचरण की वजह से आज देश की जनता की बहुमूल्य जानें ऑक्सीजन,जीवनरक्षक औषधियों और पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में जा रही हैं परंतु उसे अपने सत्ता-मद में कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने राजस्थान और अन्य सभी राज्यों की सरकारों से जनता के जीवन की रक्षा के लिये अपने तमाम राजनीतिक मतभेदों को भुलाते हुए एकजुट होकर केन्द्र-सरकार के अधिनायकवादी , असंवेदनशील और संविधान की भावनाओं के प्रतिकूल रवैये का एकजुट होकर और जनता को साथ लेकर पुरज़ोर विरोध करते हुए केन्द्र-सरकार को जिम्मेदारीपूर्वक अपने राजधर्म का पालन करने के लिए मजबूर करना चाहिए।
शाहजहाँपुर-खेड़ा बॉर्डर पर रोजा इफ्तार का दौर बारहवें दिन भी जारी रहा। सभी धर्मों के किसानों ने गंगा जमुनी तहजीब तहजीब को आगे बढ़ाते हुए हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सभी धर्मों के किसानों ने मिल-जुलकर रोजा-इफ्तार किया।
समूह चर्चाओं और रोजा-इफ्तार में बाबा जैमल सिंह, बाबा सुखदेव सिंह, पृथ्वी सिंह, जापान सिंह,मौलाना दिलशाद, अमजद भाई, फजरु भाई, साजिद भाई, अब्दुल भाई, अमराराम, रामकिशन महलावत, राजाराम मील, बलवीर छिल्लर, तारा सिंह सिद्धु,पेमाराम, शोपतराम, भागीरथ नेतड, काला सिंह, ज्ञानी राजवीर सिंह, जोगेन्द्र यादव, पवन दुग्गल,अंकुश सोलंकी,रविन्द्र तरखान,बुढानिया, विश्वजीत सिंह, हृषिकेश कुलकर्णी,सतपाल यादव समेत कई साथी शामिल हुए।