प्रतिदिन -राकेश दुबे

इसे क्या कहें ! भारतीय निवेशकों की नासमझी या दुर्भाग्य, नयी निवेश योजनाओं में कई निवेशकों के पैसे डूब गये | एक आंकड़े के मुताबिक, पांच लाख भारतीयों ने मल्टीलेवल मार्केटिंग योजनाओं में १५० करोड़ रुपये गंवा दिये| पावरबैंक और ऐजप्लान जैसे एप के जरिये ये धोखाधड़ी हुई| पिछले महीनों में गूगल प्ले स्टोर से ऐसे ४०० अनधिकृत डिजिटल ऋण देने वाले एप्स हटाये गये थे| अब पुख्ता खबर है लाखों निवेशकों ने चिटफंड धोखाधड़ी मामले में ६३०० करोड़ रुपये गंवा दिये|

खुदरा निवेशकों का का यह नुकसान पिछले तीन हफ्तों १५ लाख करोड़ रुपये आँका जा रहा है | इस नुकसान का कारण कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि, सुस्त अर्थव्यवस्था और यूक्रेन संकट है| दुर्भाग्य से कई निवेशकों ने पहली बार इस बाजार में अपनी बचत को लगाया था, उन्हें निराशा मिली |इससे समझ आया कि खुदरा निवेशकों को बाजार की अस्थिरता को लेकर समझ कम है| समझना होगा कि हमारे युवा निवेशक कैसे निवेश करते हैं|

कईलोग अपनी बचत को म्युचुअल फंड और इक्विटी में लगाते हैं, जबकि कई अन्य आकर्षक बचत योजनाओं का रुख करते हैं जिसमें धोखाधड़ी की आशंका रहती है, और हो भी जाती है | इक्विटी को ही लें, तो सूचीबद्ध शीर्ष कॉरपोरेट ने चमक गंवायी है| नयी फर्म आइपीओ के जरिये खुदरा निवेशकों को मोटी कमाई की पेशकश करती हैं, पर ऐसी फर्म अब सार्वजनिक निर्गम के अधिक मूल्य निर्धारण के लिए कुख्यात होती जा रही हैं| पेटीएम का मामला तो चर्चित है |

सही मायने में बाजार को लेकर दिखे उत्साह ने कॉरपोरेट गवर्नेंस की चुनौतियों को छिपाया है| एनएसई की अनियमितताओं से एक गहरी संस्थागत चूक उजागर हुई है| सबको मालूम है, एबीजे शिपयार्ड घोटाले में २८ बैंकों के २२,८४२ करोड़ रुपये के कर्ज का डूबना, यह बताता है कि बैंकिंग एनपीए का संकट गहराता जा रहा है| सूचीबद्ध फर्मों से इस्तीफा देने वाले स्वतंत्र निदेशकों की बढ़ी संख्या दिखाती है कि कई फर्म धोखाधड़ी में लिप्त हैं|

निवेशक संरक्षण के लिए विनियमन के दायरे और वास्तविक फंडिंग भी सीमित ही हैं| एनएसई के पास ५९४ करोड़ रुपये का निवेशक सुरक्षा कोष था |बीएसई के पास यह कोष ७८४ करोड़ रुपये था| ऐसे में निवेशक सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के साथ, सेबी को अपने कॉरपोरेट प्रशासन मानदंडों की समीक्षा की नितांत आवश्यकता है|

क्रिप्टो-मुद्रा, जो विशाल अनियमित क्षेत्र भी एक नयी चुनौती है| बिटकनेक्ट के संस्थापक सतीश कुंभाणी २.४ बिलियन डॉलर की वैश्विक पोंजी योजना को व्यवस्थित करने और न्यूयॉर्क में संयुक्त राज्य जूरी द्वारा आरोपी ठहराये जाने के बाद भारत से निकल गये| से नोएडा में १५००० करोड़ रुपये का बाइक बॉट घोटाला हुआ. इसमें संजय भाटी ने एक योजना के माध्यम से २००००० से अधिक निवेशकों को १५००० करोड़ का चूना लगा दिया|कहने को धोखाधड़ी से बचाने के लिए नियामकीय ढांचा है, पर यह निष्प्रभावी है| निवेशक जागरूकता और चिटफंड योजनाओं की समीक्षा के लिए एक संस्थागत प्रणाली विकसित करने की जरूरत है| इस तरह की प्रणाली योजना को पहले से सत्यापित करेगी और भुगतान एकत्र करने के लिए एक मध्यस्थ मंच के रूप में काम करेगी| आधार, यूपीआई और जीएसटी के बीच एकीकरण ऐसी प्रणाली को पुख्ता करने में मदद कर सकती है|

बैंक खातों में भी धोखाधड़ी के मामले बढ़े हैं|आरबीआई का आंकड़ा है कि ३६,३४२ करोड़ रुपये के ४,३७१ बैंकिंग धोखाधड़ी के मामले सामने आये हैं| इनमें इंटरनेट और कार्ड से जुड़े लेनदेन के मामले ३४.६ प्रतिशत ही थे| एक एप में सैकड़ों भारतीयों के नाम पर बेहिसाब ऋण भी मिले| घोटालेबाजों ने पैन और आधार कार्ड के विवरण का उपयोग किया|इस समस्या के समाधान के लिए पीएसयू बैंकों को महत्वपूर्ण स्वायत्ता प्रदान करने और आरबीआई के सख्त केवाईसी मानदंडों को अनिवार्य करने की जरूरत है| व्यावसायिक हितों वाले लोगों पर बैंकों के बोर्ड में शामिल होने पर सख्त प्रतिबंध लगाना चाहिए|

अब तो कर्मचारी भविष्य निधि संगठन खातों से अवैध धन निकासी के मामले बढ़ने लगे हैं. सीबीआई ने ऐसे ही मामलों में ईपीएफओ के १८ अधिकारियों को पकड़ा है| इस सारे कामकाज में ज्यादा पारदर्शिता, हित, और सुरक्षा के लिए इसे नये सिरे से फौरन कुछ करने की जरूरत है|आज खुदरा निवेशकों को सुरक्षा की आवश्यकता है और सरकार को इस पर प्राथमिकता के साथ काम करना चाहिए|