बीकानेर,हेम शर्मा । श्रीकोलायत विधानसभा क्षेत्र में पिछले 35 वर्षों में जितने सार्वजनिक हित के काम नहीं हुए उतने पिछले दो साल में हुए है ! अशोक गहलोत सरकार की नीति से राज्य में स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, सड़कें बनाने की विधानसभावार सरकार ने कार्यकाल के आखिरी वर्ष में खजाना खोल दिया। पहले उच्च शिक्षा मंत्री और बाद में ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने इसका अपने प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्र में खूब लाभ उठाया। वे विकास कार्यों का चुनाव से पहले रोज उद्घाटन कर रहे हैं। अपने इलाके में भंवर सिंह भाटी ने आधारभूत संसाधन विकसित किए हैं जो पिछले 35 वर्षों में काम नहीं हुआ वो दो सालों में हुआ है _ यह सच है। इस सच से उनके आलोचक और विरोधी भी इंकार नहीं कर सकते। इसके बावजूद उनके इलाके में भंवर सिंह भाटी के लिए एक जुमला आम है “सुधि गिलारी सागला जीव खागी”। जुमला यह भी है कि देवी सिंह भाटी ने जो 35 साल में नहीं किया वो भंवर सिंह ने 5 साल में कर लिया। इसका आशय तो मुझे पता नहीं पर कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेता भी यही कहते सुन गए। पूछा तो हंसने लगे और कहा कि भंवर सिंह भाटी की देवी सिंह के खिलाफ जीत का तिलिस्म अब नहीं रहा। अब तो देखा यह जाने लगा कि लीडरशिप किसमें है? क्या भंवर सिंह भाटी विकास के सराहनीय काम करवाने के बावजूद जन नेता की साख बना पाए हैं। जनता के दिलों को जीता है? लोगों को अपना बनाए रख पाएं हैं? अब देवी सिंह भाटी और भंवर सिंह भाटी की तुलना होने लगी है। कोन किसको भला बताएगा यह तो जनता ही निर्णय कर सकती है। भंवर सिंह भाटी के काम जनता के मुंह बोलते हैं। वहीं देवी सिंह भाटी की राजनीतिक पैठ और एक नेता की साख भी जनता के मुंह बोलती है। अब घेराव से ही समझो चुनाव की व्यू रचना के संकेत मिलने लगे हैं। देवी सिंह भाटी ने श्रीकोलायत में 35 वर्षों तक प्रतिनिधित्व किया उसका आभामंडल राजस्थान की राजनीति में बरकरार है। देवी सिंह भाटी ने ऊर्जा मंत्री के कार्यकाल में बनी सड़कों को लेकर सार्वजनिक निर्माण विभाग के अफसरों का प्रतिकात्मक रूप से घेराव किया है। भले ही यह राजनीतक प्रतिक्रिया हो, परंतु जनता इस से अपने नेता को परखती है। देवी सिंह भाटी का कहना है कि *श्री कोलायत क्षेत्र में एक वर्ष पूर्व में निर्मित विभिन्न सड़कों का जी शिड्यूल अनुसार कार्य नहीं हुआ। निर्माण कार्य भी नियमानुसार नहीं हुए। बनने के बाद सड़क किनारे से मलबा नहीं हटाने के कारण वर्षा के पानी की निकासी नहीं होने से सड़के टूट रही है। घेराव भले ही घटिया सड़कों और निर्माण को लेकर हुआ हो परंतु पर्दे के पीछे इसमें अगले चुनावों की चौसर बिछाई गई है।