

नई दिल्ली की सांस्कृतिक खासियत में रंग भरने वाला- श्रीराम भारतीय कला केंद्र का ‘श्री राम’ साल के इस मौसम में त्योहारों की चमक को और रोशन करने एक बार फिर आ रहा है। प्रोडक्शन के हर भव्य पहलु को दर्शाने वाला नृत्य और नाटक का यह कार्यक्रम दर्शकों को लुभाने के लिए 26 सितंबर से शुरू होकर 22 अक्टूबर,2022 तक चलेगा। श्री राम का यह 66वां संस्करण है और इसमें होने वाले कार्यक्रमों का आयोजन हर दिन शाम साढ़े छह बजे शहर के कॉपरनिक्स मार्ग स्थित केंद्र लॉन्स में किया जाएगा।
‘श्री राम’- भारत के इतिहास में पहली बार निर्मित यह भव्य प्रोडक्शन भगवान श्री राम के जन्म से लेकर राज्य अभिषेक तक की घटनाओं को ढाई घंटे में दर्शाता है। इसमें रंगमंच ओरिजनल साउंडट्रैक, कोरियोग्राफ़ी, खूबसूरत परिधानों से रंगारंग रहता है जिससे सब कुछ असल में होते हुए मालूम होता है।
इस सर्वोत्तम रचना को भारत के सभी राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों का समर्थन मिला है। नृत्य और नाटक की विशेष शैली में बना और डिजाइन की हुई केंद्र की यह रचना दिल्ली में दशहरा के अवसर पर एक ऐतिहासिक कार्यक्रम बन गई है। इसका प्रदर्शन देश भर में और विदेशों में हुआ है जो एक सदाबहार कहानी के साथ इसकी भव्यता और कलात्मक कौशल से सबको रूबरू कराता है। इस कार्यक्रम ने 1957 में शुरू होने के बाद से कई पीढ़ियों के 7 लाख से अधिक दर्शकों के साथ बहुत से कामयाब अंतरराष्ट्रीय शो के दर्शकों की संख्या को भी पार कर लिया है।
पद्मश्री शोभा दीपक सिंह की कल्पना पर तैयार और स्थापित, ‘श्री राम’ का उद्देश्य केवल उनकी मां की विरासत को आगे बढ़ाना नहीं है, बल्कि एक ऐसी विरासत के प्रसार को आसान बनाना है जो भारत के लिए अद्वितीय है और व्यापक तौर पर नैतिक रूप से समृद्ध है जिसके मूल्य जो आज भी प्रासंगिक हैं। इसका मकसद राष्ट्र की मूल भावना को मजबूत करना है जो मुख्य रूप से युवा पीढ़ी का राष्ट्र है।
बीते वर्षों से शोभा दीपक सिंह (निदेशक और उपाध्यक्ष, श्रीराम भारतीय कला केंद्र) ने खुद को इस शानदार कार्यक्रम के प्रति समर्पित कर दिया है और इसकी पहुंच को दूर-दूर तक पहुंचाने के लिए लगातार इसमें कई नये प्रयोग किए हैं। इस वर्ष की प्रस्तुति के बारे में वह उत्साहित होकर कहती हैं, “श्री राम केंद्रहम में से हर किसी के लिए विशेष हैं और अपने इस प्रिय कार्यक्रम के साथ न्याय करने के हमारे एकमात्र इरादे ने हमें पिछले साल भी अपने दर्शकों तक पहुंचने की अनुमति दी। हमने निश्चित रूप से कोविड मानदंडों का पालन करते हुए ऐसा किया। यह कहना गलत नहीं होगा कि श्री राम पूरी तरह एक आंतरिक प्रोडक्शन के रूप में हमारे जीवन को पूरी तरह समेटे हुए है, जो श्रीराम भारतीय कला केंद्र को शायद एकमात्र ऐसा संस्थान बनाता है जहां हम खुद ही अपनी ज़रूरतों को पूरा करते हैं।वर्षों से हमने अपने छात्रों को अपने शो के प्री-प्रोडक्शन कार्यों में शामिल