-शिक्षा व्यवस्था सरकार की जिम्मेदारी है, शिक्षा और मां पर राजनीति कर बदनाम ना करे, नफरत ना फैलाएं रंधावा

जयपुर। प्रदेश में एक और जहां चुनाव नजदीक आते जा रहे है तो वही दूसरी तरफ राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू होती जा रही है। सोमवार को कांग्रेस राजस्थान प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कसे अपने तंज पर कहा था की ” मां अच्छी शिक्षा नही देती है तो बच्चा प्राइम मिनिस्टर जैसा बनता है “। जिस पर संयुक्त अभिभावक संघ ने आपत्ति जताई है और कांग्रेस प्रभारी रंधावा से माफी की मांग की है।

अभिभावक संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की राजनीतिक बयानबाजी अपनी जगह है किंतु उसमें बयानबाजी को लेकर एक मर्यादा होनी चाहिए। रंधावा को भी एक मां ने ही शिक्षा दी है, आज अगर वह किसी अन्य पर टिप्पणी कर उनकी मां पर टिप्पणी कर रहे है तो क्या उनकी मां ने उन्हें ऐसी अमर्यादित शिक्षा दी है की वह राजनीतिक स्वार्थ के चलते किसी भी मां और शिक्षा पर टिप्पणी कर दे। अगर किसी नेता को अन्य किसी नेता से आपत्ति है तो वह अपनी आपत्ति दर्ज करवाएं किंतु नेताओं को अपनी बयानबाजी में मर्यादित भाषाओं पर ध्यान देना चाहिए। क्योंकि जब कोई वरिष्ठ या बड़ा नेता बयान देता है उनके समर्थक उन्ही शब्दों का प्रयोग करते है और देश का माहौल खराब कर शिक्षा का अभाव दर्शाते है। राजनीति में अमर्यादित भाषा का कोई स्थान नहीं होना चाहिए और अमर्यादित भाषाओं का उपयोग करने वाले नेताओं के खिलाफ कानून बनना चाहिए, पूर्व न्यायाधीशों की अध्यक्षता में जांच कमेटियों का राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर गठन होना चाहिए साथ ही अमर्यादित भाषाओं का उपयोग साबित होने पर प्रत्येक नेताओं की सदस्यता पर पूरी तरह से रोक लगा देनी चाहिए।

अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की राजनीतिक भाषा ने देश और देश के युवाओं का पूरा माहौल खराब करके रख दिया है, बड़े स्तर के नेता हो या गली – महोल्ले के नेता सभी लोग राजनीतिक स्वार्थ के चलते अमर्यादित होते जा रहे है, कॉलेजों, स्कूलों, चौराहे सहित हर स्तर पर अमर्यादित भाषाओं ने देश के संस्कारों, संस्कृतियों पर गहरी ठेस पहुंचाई है। केंद्र और राज्यों की सरकारों की प्रमुख जिम्मेदारी बनती है की वह अमर्यादित भाषाओं से फैले नफरत के माहौल को खत्म कर भाईचारा स्थापित करे। सोमवार को रंधावा ने अपने बयान में प्रधानमंत्री पद, मां और शिक्षा की गरिमा का बिलकुल भी ध्यान नही रखा। जिससे उनमें गहरी शिक्षा का अभाव साफ नजर आता है। उन्हे अपने इस बयान पर माफी मांगनी चाहिए। क्योंकि उनके मां और शिक्षा पर दिए बयान से ना केवल देश का अपमान हुआ है बल्कि मां और शिक्षा का भी अपमान हुआ है। रंधावा को खुले मंच पर आकर ” मां और शिक्षा ” पर दिए अपने बयान पर माफी मांगनी चाहिए।