

मंत्रोच्चारण से होती है आनंदानुभूति. जब हम किसी भी मंत्र का जाप करते हैं तो उसकी सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं उदाहरण के लिये ॐ, गायत्री मंत्र, शांतिपाठ, महामृत्युंजय आदि मंत्रों को लिया जा सकता है !!
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✍🏼तिलक माथुर
केकडी
हमारे शरीर के नकारात्मक ऊर्जा स्रोत को पूरी तरह से दूर हटाकर हमारे शरीर की सकारात्मक ऊर्जा स्रोत को बढ़ाने में सरल वास्तु मदद करता है। जैसे की हम सभी जानते हैं कि हमारे आसपास की सृष्टि तथा पर्यावरण भरपूर ऊर्जा से भरा हुआ है। इस ऊर्जा को आगे जाकर सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा में वर्गीकृत किया जाता सकता है। सरल वास्तु नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव को पूरी तरह से कम करके या हटाने के कार्य का पक्ष लेता है और बदले में चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है। सरल वास्तु के अनुसार घर में सकारात्मक ऊर्जा को बहने के उद्देश्य से आसान, अपनाने के लिए सुलभ, पूर्ण रूप से उपयुक्त सुधार और परिवर्तन करने की सलाह दी जाती है। इस प्रकार से परिवर्तन किए हुए घर में जो अच्छे लाभ और अच्छा स्वास्थ्य, संपत्ति तथा शांतिपूर्ण जीवन के लिए मार्गदर्शन करते हुए उसके निवासियों के लिए अच्छे लाभ प्रदान करता हैं।


यह सच है कि हम अपने जीवन की वास्तविकताओं से बच नहीं सकते जैसा कि बिना कोई संरचनात्मक परिवर्तन तथा किसी भी प्रकार की बदली किए बिना हम मकान, फ्लैट या अपार्यमेंट में रहते हैं। लेकिन सरल वास्तु के सिध्दांत और अवधारणाओं के समुचित उपयोग के साथ हम घर या कार्यस्थल में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने और नकारात्मक ऊर्जा स्रोत को कम करने में सक्षम हो जाएंगे ताकि हम अपने और हमारे परिवार के सदस्यों को एक स्वस्थ, शांतिपूर्ण और संतुष्ट जीवन प्रदान कर सकें। सरल वास्तु के वास्तव में आसान, सहज और निर्दोष शास्रीय उपाय मानवता की भलाई के लिए प्रस्तावित हैं उसके बाद निराशा के लिए कोई कारण नहीं है। डॉ. श्री चंद्रशेखर गुरूजी की दृढ संकल्पित इच्छा थी कि किसी भी भेदभाव के बावजूद प्रत्येक मनुष्यप्राणी को सरल वास्तु से उसका / उसके जीवन में सभी सुख, समृध्दि, शांति तथा शांतचित्तता का फल मिले जो दुनिया में हर किसी को पाने की इच्छा होती है और उसे पाने की लिए उसका / उसके जीवन में महत्त्वाकांक्षी रहते हैं। गौरतलब है कि मेरे एक अति विशिष्ट मित्र ने मुझे सलाह दी कि हमें जीवन में सकारात्मक रहने की आदत डालनी चाहिए ! मुझे उसी समय लगा कि क्यों न इसके प्रयास किये जायें ताकि सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो और हम सकारात्मक बन सकें।


मैंने गम्भीरता से इन पहलुओं को छू कर देखा और सहज होने के प्रयास शुरू किए, इसी बीच कुछ आसान तरीकों को अपनाने के लिए जब मैंने गुगल पर सर्च किया तो कुछ बातें सामने आई और वही में साझा कर रहा हूं। हमें अपने आपको सकारात्मक होने के लिए क्या करना चाहिए आज इस पर चर्चा करते हैं। मंत्र सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं और नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करते हैं। मंत्रोच्चारण के बाद आप भी कई बार अपने अंदर एक आध्यात्मिक शांति महसूस करते होंगे। इसका कारण यही है कि जो नकारात्मक ऊर्जा हमें अशांत रखती है वह दूर हो जाती है और उसका स्थान सकारात्मक ऊर्जा ले लेती है। इन मंत्रों से न केवल साधक मात्र के मन को शांति मिलती है अपितु अपने आस पास के वातावरण में इसी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है। मंत्र की क्षमता और साधक की सच्चे मन से की गई साधना पर ही सकारात्मक ऊर्जा का यह संचार निर्भर होता है। क्या होता हैं मंत्र में ? किसी भी वैदिक मंत्र में ऋषि, छंद और देवता ये तीन पक्ष होते हैं, इनमें ऋषि का संबंध मस्तिष्क अथवा मन या कहें दिमाग से जुड़ा होता है। छंद मंत्र के जाप, उसकी बनावट अर्थात रचना और ताल अर्थात लय और गति से संबंधित होते हैं तो वहीं देवता लौकिक ऊर्जा का क्षेत्र है। यदि मंत्रों के गहरे अर्थ को समझा जाये तो इन मंत्रों से सही मायनों में किसी भी व्यक्ति को लाभ निश्चित रुप से पंहुच सकता है। मंत्रों की ध्वनियों से किसी न किसी अभिप्राय अर्थात अर्थ जुड़ा होना चाहिये। जब तक हम उसके अर्थ से अंजान हैं तब तक वह अपना काम नहीं करते। मात्र किसी किताब से मंत्र को पढ़कर उसका लाभ नहीं मिल सकता उसके लिये गुरु के मार्गदर्शन में विधि विधान के साथ उसका उच्चारण किया जाना आवश्यक होता है। मंत्रोच्चारण से होती है आनंदानुभूति !


जब हम किसी भी मंत्र का जाप करते हैं तो उसकी सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं उदाहरण के लिये ॐ, गायत्री मंत्र, शांतिपाठ, महामृत्युंजय आदि मंत्रों को लिया जा सकता है। एक मात्र ॐ का जाप करने से ही हमारा चित शांत होने लगता है और केंद्रित भी। धीरे धीरे हम अपने अंदर झांकना शुरु करते हैं। एक असीम आनंद की अनुभूति भी आप कर सकते हैं। कहा जाता है किसी व्यक्ति द्वारा मंत्रों की खोज नहीं हुई बल्कि सालों साल की गई तपस्या के फलस्वरुप ऋषि मुनियों ने ये मंत्र इजाद किये वैसे ही जैसे वर्तमान युग में वैज्ञानिक नए नए आविष्कार, नए नए सिद्धांत खोजतें हैं। एक एक आविष्कार पर कई-कई व्यक्तियों का जीवन लग जाता है। उस लिहाज से हमारे ऋषि मुनियों को हम आध्यात्मिक वैज्ञानिक कह सकते हैं जिन्होंने विश्व कल्याण हेतु सकारात्मक ऊर्जा के संचार में वाहक मंत्रों की खोज की। ॐ, गायत्री मंत्र, शांति पाठ और महामृत्युजय जैसे मंत्र तो मंत्रोच्चारण में भी आसान हैं और इनका अर्थ भी हर किसी की समझ में आ सकता है। इसलिये यह मंत्र काफी लोकप्रिय भी हैं। तो आइए इन मंत्रों के जाप से सकारात्मक परिवर्तन लाने के प्रयास शुरू करें। अगली बार हम इस विषय पर और विस्तृत चर्चा करेंगे !
*संकलन : तिलक माथुर 9251022331*
