बीकानेर। सच्चे अर्थों में गुरु जम्भेश्वर जी प्रकृति के प्रहरी थे। उन्होंने बिश्नोई पंथ की स्थापना करके बिश्नोई समाज को प्रकर्ति के रक्षक के रूप में विश्व के रूप में स्थापित किया है। यह बात कवि मक्खन सिंह तंवर ने जाम्भाणी साहित्य अकादमी बीकानेर की और से आयोजित पंच दिवसिय जाम्भाणी काव्योत्सव के तीसरे दिन के कार्यक्रम “अखिल भारतीय सर्वसमाज कवि सम्मेलन” में कही।

मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए संदेश त्यागी ने कहा कि प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा हेतु गुरु जम्भेश्वर जी ने जो नियम आज से 550 वर्ष पूर्व बनाये थे वे नियम ही आज विश्व के ढाल के रूप में मौजूद हैं और इन सब नियमो पर चलना बिश्नोई समाज ही नही अपितु सभी समाज के लिए आवश्यक है।

कार्यक्रम की शुरुआत अकादमी के सचिव डॉ सुरेंद्र खीचड़ ने आमंत्रित सभी कवियों की रचनाओं के माध्यम से गुरु महाराज की शिक्षाओं को प्रसारित करने में अपनी महती भूमिका निभाने हेतु सभी कवियों से आह्वान किया।

विशिष्ठ अतिथि के रूप में अपने व्याख्यान में बोलते हुए अरूण सहरिया ने बताया कि वर्तमान की सभी समस्याओं का हल जाम्भाणी साहित्य की रचनाओं में मिल जाएगा

कार्यक्रम में मीनाक्षी जी, कुमुदबाला जी, उषा गोस्वामी ,अम्बादान, भंवरदान, फानी जोधपुरी, बंशीलाल, रूपसिंह राजपुरी,प्रह्लाद जोरड़ा, शमिंद्र कौर, वाजिद जी,उगमसिंह जी,दशरथ कुमार,आकाश ,राजू गोस्वामी आदि कवियों ने पर्यावरण, प्रकृति, गुरु जम्भेश्वर जी से समन्धित अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।

अकादमी के प्रेस संयोजक पृथ्वी सिंह बैनीवाल ने बताया कि अकादमी के काव्योत्सव में पूरे भारत वर्ष से भारी संख्या में उम्दा कवि भाग ले रहे हैं। पूरे कार्यक्रम के संयोजक डॉ कृष्णलाल जी ने आमंत्रित कवियों का स्वागत किया तथा कार्यक्रम का संचालन डॉ इन्द्रदान चारण ने किया। वही सभी कवियों का आभार डॉ रामस्वरूप जंवर ने किया। तकनीकी संचालन डॉ लालचंद बिश्नोई और विकास बैनीवाल ने किया।