पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम को शत-शत नमन, आज उनकी बातें देश के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है
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✍🏼तिलक माथुर
केकड़ी राजस्थान
सपने वो नहीं होते जो रात को सोते समय नींद में आते हैं..सपने वो होते हैं जो रातों को सोने नहीं देते..! डॉ. अब्दुल कलाम की यह सीख आज हजारों-लाखों युवाओं की प्रेरणा का स्त्रोत बनी है। भारत के सुदूर दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में रामेश्वरम् के प्रसिद्ध शिवमंदिर के निकट 15 अक्टूबर 1931 को अबुल पाकिर जैनुलबदीन अब्दुल कलाम का जन्म अत्यंत सामान्य परिवार में हुआ था। डॉ कलाम के पिता जैनुलबदीन मछली तथा अखबार बेचकर परिवार का भरण पोषण करते थे। प्राथमिक के पश्चात् आगे की पढ़ाई की व्यवस्था रामेश्वर में न होने के कारण उन्हें स्क्वार्टज मिशनरी हाई स्कूल, राम नाथपुरम् जाना पड़ा, जहां से उन्होंने हायर सेकेन्डरी की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की।
आगे की पढ़ाई के लिए उनके घर वालों के पास गंभीर आर्थिक संकट था फिर भी उनके पिताजी ने उपाय सोचा और घर में पड़े हुये लकड़ी के कुछ पटरों से एक छोटी नाव बनवा ली। उस नाव को किराये पर देकर प्राप्त पैसों से आगे की पढ़ाई की व्यवस्था की गयी और उन्होंने तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कालेज में आगे की पढ़ाई के लिए प्रवेश ले लिया। बीएससी प्रथम श्रेणी करने के बाद पुनः एक बार आर्थिक संकट की चुनौती उनके सम्मुख खड़ी हो गयी। इस बार उन्होंने इसकी पूर्ति के लिए ट्यूशन तथा अखबार में विज्ञान पर लेख लिखकर इसका सामना किया। उन्होंने मद्रास इंस्ट्रीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग में प्रवेश लेकर एयरोनाटिकल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा प्रथम श्रेणी में हासिल किया !
कलाम ने पीएचडी नहीं की किंतु उन्हें मानद् उपाधि के द्वारा डाक्टरेट से अलंकृत किया गया। पढ़ाई पूर्ण होने के बाद डॉ. कलाम ने अपनी आगे की यात्रा प्रारंभ की तो भारी दुविधा में पड़ गये क्योंकि उन दिनो वैमानिकी की छात्रों की यूरोप और अमेरिका में बहुत मांग थी और पैसा भी इतना मिलता था जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी। इसका उल्लेख करते हुए कलाम साहब ने अपनी आत्मकथा ‘माई जर्नी’ में लिखा है कि जीवन के वे दिन बहुत कसमसाहट के थे जहां एक ओर देशसेवा का आदर्श था, किन्तु दूसरी ओर पैसों के बल पर बचपन के सपनों को सच करने का सुनहरा अवसर। डॉ. कलाम ने उसी दिन अपनी राह तय कर ली कैरियर और पैसे की परवाह न करके देश सेवा करने का संकल्प लिया। जब किसी ने उनकी शादी के विषय में उनसे पूछा तो उन्होंने कहा कि मेरी शादी तो विज्ञान से साथ हो चुकी है। मात्र 27 वर्ष की आयु में सन् 1958 में कलाम डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन से जुड़ गये। उनकी पहली तैनाती हैदराबाद केंद्र में हुयी। पांच वर्षों तक उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण अनुसंधानों में अपना योगदान दिया। उन्हीं दिनों 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया, जिसमें भारत पराजित हो गया, युद्ध समाप्त होते ही देश की सामरिक शक्ति को बढ़ाने का संकल्प लिया गया। डा. कलाम ने इस निमित्त अनेक योजनायें बनायीं। सन् 1963 में उन्हें इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गनाइजेशन (इसरो) के सहयोगी संस्थान विक्रम साराभाई स्पेस रिसर्च सेंटर, त्रिवेन्द्रम भेजा गया। डॉ. कलाम ने 1980 तक इसमें अपना योगदान दिया जिससे देश ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारी सफलता अर्जित की और भारत कृत्रिम उपग्रहों के क्षेत्र में पहली पक्ति के देशों में सम्मिलित हो सका। 1980 में प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने मिसाइलों के विकास का नवीन तथा विस्तृत कार्यक्रम बनाया। ‘समेकित नियंत्रित प्रक्षेप्रास्त्र विकास कार्यक्रम’ के नाम से संचालित इस मिशन का प्रमुख प्रो. सतीश धवन को बनाया गया किन्तु उन्होंने इस महत्वपूर्ण कार्य की बागडोर डॉ. कलाम को सौंप दी। इसके बाद तो उनकी जिंदगी ही बदल गयी। उनके जीवन का एक बड़ा हिस्सा अंतरिक्ष अनुसंधान,परमाणु क्षेत्र और मिसाइल कार्यक्रम में ही गुजरा है। डॉ. कलाम दुनिया के दस सर्वश्रेष्ठ मिसाइल वैज्ञानिकों में से एक हैं। रोहिणी, पृथ्वी, आकाश, त्रिशूल तथा नाग के बाद 2500 किलोमीटर मारक क्षमता वाली अग्नि मिसाइल उन्हीं की प्रमुख देन है।
डॉ. कलाम का जीवन बहुत ही प्रेरणादायी तथा लक्ष्य के लिए समर्पित रहा है। उनके जीवन का एक ही ध्येय वाक्य था ’विजन, मिशन एंड गोल अर्थात दृष्टिकोण, ध्येय और लक्ष्य’। सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन के बाद डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम देश के दूसरे ऐसे राष्ट्रपति बने जो किसी राजनैतिक पार्टी से सम्बद्ध नहीं थे। आखिर एक दिन…चलते-चलते कलाम साहब 27 जुलाई 2015 को हमें छोड़कर चले गये, लेकिन उनके आदर्श उनकी यादों के रूप में देशवासियों के जहन में आज भी जिंदा हैं। डॉ कलाम देश को जो कुछ दे गये वही आज प्रकाश स्तंभ हैं…!! *अब्दुल कलाम की ये 10 प्रेरणादायी बातें* 1. ऊंचाई तक जाने के लिए शक्ति अर्थात योग्यता की आवश्यक्ता होती है, चाहे वो ऊंचाई एवरेस्ट की हो या आपके करियर की। 2. मुश्किलें जिंदगी का हिस्सा हैं। उसके कारण जिंदगी को समाप्त नहीं किया जा सकता, लेकिन स्वयं की मदद करें जिससे आप अपनी ताकत को जान सकें। मुश्किलों को भी पता चलने दो कि उसके लिए आप कितने मुश्किल हैं। 3. इंसान को जीवन में मुश्किलों की जरूरत है, क्योंकि यही मुश्किलें सफलता का सुख अनुभव कराती हैं। 4. हमें उम्मीद नहीं छोड़ना चाहिए और न ही खुद को हारने की अनुमति देनी चाहिए। 5. किसी सपने को पूरा करने के लिए सपने देखना जरूरी है। 6. अपने मिशन में सफल होने के लिए हमें अपने लक्ष्य की ओर एकाग्रचित होकर कार्य करना चाहिए।
सफलता जरूर मिलेगी। 7. अंग्रेजी बहुत आवश्यक है। वर्तमान समय में विज्ञान संबंधी मूल ज्ञान अंग्रेजी में ही मौजूद हैं। लेकिन मुझे विश्वास है कि कुछ दशक बाद हमारी भाषा में भी विज्ञान का मूल ज्ञान होगा और उस समय हम भी जापानियों जैसे परिवर्तन कर पाएंगे। 8. धर्म की स्थापना के लिए किसी को मारना, किसी धर्म में इसका उल्लेख नहीं है। 9. भगवान जो हमारे निर्माता हैं, उन्होंने हमारे मन, दिमाग और व्यक्तित्व को कई शक्तियां और योग्यता दी हैं। प्रार्थना हमें अपनी शक्तियों को बढ़ाने में हमारी मदद करती है, इसलिए प्रार्थना करें। 10. एक अच्छी किताब सौ दोस्तों के समान है, पर एक अच्छा दोस्त पूरे पुस्तकालय (लाइब्रेरी) के बराबर होता है। इसलिए बेहतर है कि एक अच्छा दोस्त बनाएं।
संकलन : तिलक माथुर 9251022331*