-: हम जहां खड़े होते है लाइन वहा से शुरू होती है!
कोरोना आपदा एडवाइजरी की पालना में हमारे अफसरों ने उद्यमियों और दुकानदारों को चक्करघिन्नी कर रखा है,ऐसे में कौनसी दुकानेें-प्रतिष्ठान खोलनी है और कौनसी बंद रखनी है इसे लेकर अभी तक भी असमंजस की स्थिति कायम है। हालात यह हो गये कि प्रशासनिक मुखिया के फरमान पर दुकानदार अपनी दुकानें-प्रतिष्ठान खोलने पहुंचते,तो छोटी लॉबी के अफसर बंद करवाने पहुंच जाते,हाथा जोड़ी करने पर छोटे अफसर भी मान जाते तो पुलिस वाले आ धमकते। ऐसे में अपनी पीड़ा जाहिर करने के लिये अभी पिछले सप्ताह बीकानेर के उद्यमी संगठन की बहुचर्चित मंडली सरकार की ओर से दी गई छूट की एडवाइजरी लेकर प्रशासन की तेज तर्रार अफसर मैडम के पास पहुंच गई। मैडम ने इत्मीनान से उनकी पीड़ा सुनी…लेकिन दुकानें खोलने की अनुमति देने से इंकार कर दिया। मंडली में चापलूस किस्म के कुछ उद्यमी अफसर मैडम को एडवाइजरी के नियम समझाने लगे तो मैडम ने एक ही डॉयलोग में समझा दिया कि एडवाजइरी बस यही है कि ‘हम जहां खड़े हो जाते है,लाईन वहीं से शुरू होती हैÓ हालांकि मैडम का यह डॉयलोग कई उद्यमियों के समझ नहीं आया,लेकिन समझने वाले अच्छी तरह से समझ गये,इसलिये फिलहाल सब खैरियत है।
-:अविनाश कर रहा उच्च शिक्षामंत्री की छवि का सत्यानाश
बीकानेर में कोरोना आपदा के दौर में सक्रिय हुए एक अविनाश ने पहले प्रशासनिक अफसरों के नाम पर दुकानदारों और व्यापारियों से वसूली की,इनके बाद पुलिस वालों के नाम का सहारा लिया और अभी पिछले सप्ताह उच्च शिक्षामंत्री के नाम की धौंस दिखाकर फड़ बाजार के एक व्यापारी को चूना लगा गया। हांलाकि इस अविनाश का मंत्री केे कैम्प से कोई ताल्लुकात नहीं है,लेकिन जांच पड़ताल में पता चला है कि मंत्रीजी कैम्प का एक बंदा इस अविनाश का जानकार है,इसी जानकारी की आड़ में अविनाश अपना रूतबा दिखाकर चौथ वसूली करता घूम रहा है,यह भी पुख्ता तौर पर खुलासा हो चुका है कि अविनाश ने रूतबे के लिये अपनी कार पर राजस्थान सरकार लिखा रखा है,अब यह अविनाश कौन है.इसका तो अभी खुलासा नहीं हुआ है,लेकिन इसकी लगाम नहीं कसी तो शॉर्प माईण्ड अविनाश हमारे उच्च शिक्षामंत्री की छवि का सत्यानाश कर देगा,वैसे पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के अविनाश के कारनामों की भनक लग चुकी है लेकिन कार्यवाही के नाम पर सबने चुप्पी साध रखी है,ऐसे में आंशका है कि यह अविनाश कहीं उच्च शिक्षामंत्री की छवि बिगाडऩे के लिये उनके खिलाफ किसी सियासी साजिश का हिस्सा तो नहीं है,लेकिन फिलहाल सब खैरियत है।
-: फिर सुर्खियों में आया सन ऑफ सरदार
रैंज पुलिस के नामदार थानेदारों की फेहरिश्त में शामिल सन ऑफ सरदार एक बार फिर सुर्खियों में है,इस बार सरदार का नाम राजगढ में तैनाती के कारण सुर्खियों में आया है कि,क्योंकि सीआई विष्णुजी के चले जाने के बाद रैंज का कोई भी थानेदार राजगढ जाने के लिये राजी नहीं हो रहा था,दो थानेदारों ने तो अपना तबादला निरस्त करवा लिया। सुनने में यह भी आया है कि कई थानेदारों ने घबराहट के चलते इंकार कर दिया तो कुछ थानेदारों की तैनाती में जाति-बिरादरी का पेच अड़ गया,ऐसे में क्लीन चिट थानेदार के तौर पर सन ऑफ सरदार का नाम सामने आते ही उन्हे नया शहर से राजगढ के लिये रवानगी दे दी। सरदार की राजगढ में तैनाती भी अब सुर्खियों का हिस्सा बन गई,क्योंकि सरदार के काम करने का पैटर्न भी विष्णुजी सरीखा ही है,फर्क सिर्फ इतना है कि विष्णुजी थोड़े नरम मिजाजी थे और सरदार का मिजाज गरम है। एक खबर यह भी सुर्खियों में आई है कि सरदार का नया शहर से मन ऊब चुका था,वह खुद यहां से उड़ान भरना चाहता था, ऐसे में जैसे ही मौका मिला सरदार राजगढ की उड़ान भर गया। मजे कि बात तो यह है कि राजगढ की तरह नया शहर थाने में तैनाती के लिये कोई थानेदार राजी नहीं हो रहा है,लेकिन फिलहाल सब खैरियत है।
चौंकाने वाली खबर है कि कोरोना आपदा के लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद भी बीकानेर के नामी गुटखा कारोबारी अपनी दुकानें नहीं खोल नहीं है,हालांकि इनकी दुकानें भले ही बंद हो लेकिन धंधा चालू और कालाबाजारी पर अभी पुरा जोर है। इसकी पड़ताल करने पर पता चला कि गुटखा कारोबारियों को अब दुकानें खोल कर धंधा करना रास नहीं आ रहा,क्योंकि दुकानें बंद कर धंधा करने में मुनाफा और कमाई ज्यादा हो रही है। सही बात तो यह है कि लॉकडाउन के दौर में लगी कालाबाजारी की लत के बाद गुटखा कारोबारी अब रिवर्स मोड़ में नहीं आना चाहते है,इस लिये दुकानेें बंद कर घर और गोदामों पर ही ओवररेट में माल बेचकर मालामाल हो रहे है। वैसे कालाबाजारी की यह लत गुटखा कारोबारियों पर भारी पडऩे वाली है,क्योंकि राज्यकर और आयकर वाले इन पर पहले से ही निशाना साधे बैठे है, लेकिन फिलहाल सब खैरियत है।