आज गांव के लोग अपनी बोरियां ले कर घरों से जल्दी ही निकल गए।आज गरीब लोगों को मुफ्त में अनाज वितरण होना था।अनाज देने वाले ने सब को सूचित कर दिया था।राशन वितरक की दुकान पर गरीब लोग सुबह से ही लाइन में लग गए थे।जल्दी जाने के अनेक कारण थे।कही चूक गए तो फिर पता नहीं दुबारा राशन कब आए।गर्मी है जल्दी में ले आएं।जल्दी जाओ जल्दी पाओ का भी नियम है।
गांव के लगभग सभी लोग थे जिसमें बूढ़े,महिलाएं और बच्चे भी थे।
लाइन में से एक आदमी ने उसे टोक दिया च बोला भले आदमी तेरे को तो शर्म आनी चाहिए जो तू भी गरीबों का हक मारता है।
वह बूढ़ा पीछे मुड़ा जैसे किसी ने साप की पूंछ पर पैर रख दिया हो।वह गुर्राया और बोला तू कौनसा गरीब है।तेरे बेटे कलकत्ता में करोड़ों कमाते हैं।लाखो रुपए इंकमटेक्स भरते हैं।क्या कमी है तेरे।बेटे बहू हवाई जहाज से आते हैं तू भी तो हवाई जहाज से जाता है।चुप कर,मेरा मुंह मत खुलवा।
बिना लाइन बैठा एक गरीब सुन रहा था और मुस्कुरा रहा था।किसी ने उसके मुस्कुराने का कारण पूछ लिया जो गरीब बना लाइन में लगा था।
उस गरीब ने उत्तर दिया ये क्यों लड़ रहे हैं।फिर यह लाइन तो सभी अमीरों की है मगर इनके अंदर जो मुफ्त का लेने की होड़ लगी है वास्तव में सही है क्योंकि इन्होंने जीवन में भूख बहुत देखी है वह भूख इनके कलेजे से निकाल नहीं रही है।और मैं तो गरीब था,गरीब हूं क्योंकि आप लोगों के रहते मेरा नम्बर पिछली बार भी नहीं आया और आज भी मुश्किल है।दिन भर मजदूरी करता हूं।आज की मजदूरी भी गई और राशन मिलने की कोई गारंटी नहीं।
एक तरफ बैठा गांव का पटवारी हस्ते हुए बोला ऐसा न हो कि कभी कोई अचानक चेकिंग हो जाए।जांच हो जाए और खाया पिया सरकार एक साथ वसूल करले।
वह गरीब बोला रोना तो इसी का है कि यह सारा गड़बड़ झाला भी तो ये ही कराते हैं।सरकार को क्या पता कि कौन गरीब है,कौन अमीर है और कौन असली गरीब।
पटवारी बोला तू चुप कर।सरकार माई बाप है।मुफ्त में देती है तो लेने दे।
वह बोला आप ही तो कह रहे थे जब जांच होगी तब,,,
पटवारी बोला वह भी तो हम ही करेंगे कोई विदेश से थोड़े ही आएगा।
वह गरीब अपनी खाली बोरी ले कर खड़ा हो गया और बड़बड़ाता हुआ अपनी मजदूरी पर चला गया।