

बीकानेर।अरिहंत भवन गंगाशहर में आचार्य प्रवर श्री ज्ञानचंद्र जी म. सा. ने कहा कि समय बदलता है तो कोई किसी का सगा नहीं होता।
जो कपड़े कल अंग्रेजों के गवर्नर पहनकर लोगों को डराते थे। आज वहीं कपड़े बैंड बाजे वाले पहनते हैं।
“समय बदल गया”।
पहले कपड़े फटे होते थे तो शर्म आती थी, आज फाड़कर पहनते हैं ।
पहले ओंछा (ऊंचा ऊंचा) कपड़ा पहनते तो लोग कहते, बड़े भाई का पहन लिया क्या ? जबकि आज ऊंचा ही पहन रहे हैं।
परिवर्तन की दुनिया में अपने अस्तित्व को सुरक्षित रखना जरूरी है। कितना ही बदलें पर धूरी पर टिके रहना चाहिए । पहिये घुमते हैं, धूरी नहीं घूमती । गट्टी का पाट घूमता है, बीच का किला नहीं घूमता। वैसे ही हमें भी अस्तित्व को स्थिर रखना है ।
चकडोलर कितना भी घूमें पर वो झूला जिस पायों पर खड़ा है वह नहीं घूमता।
हमारे भी 10 बल प्राण हैं- पांच इंद्रियां, छठा मनोबल, सातवां वचनबल, आठवां कायबल, नवमां श्वासोच्छवास बल और दसवां है आयुष्य बल प्राण।
यह 10 प्राण बल हैं- पर इन्हें चलाने वाली है आत्मा, आत्मा को स्थिर रहना जरूरी है । ताकि ये 10 चाहे कितने भी बदलें हमारी गाड़ी ना रुके ।
आज जो आपका मित्र है, वो एक समय पश्चात शत्रु हो सकता है और शत्रु मित्र। इसलिए किसी शत्रु पर इतना भी प्रहार मत करो कि समय पड़ने पर वो काम ही ना आए और किसी मित्र पर इतना भी भरोसा मत रखो कि मौके पर धोखा दे जायें तो आप की जिंदगी खतरे में पड़ जाए।
धर्म प्रभावना
आज प्रतिदिन की भांति स्थानी महासंघ की ओर से प्रवचन प्रभावना का लाभ लिया गया।
आज का तेला श्रीमती रेणु धारीवाल ने किया।
आगरा से धर्मवीर श्री दुष्यंत रुचिका जी लोढ़ा तथा धर्मवीर श्री भावेश बुर्ड सपरिवार, रतलाम से धर्मवीर श्री राजेंद्र गोलेचा आदि प्रवचन में उपस्थित हुए । रविवार से बच्चों का धार्मिक शिविर प्रारंभ किया गया।