बिहार(सुपौल):-ओम एक्सप्रेस ब्यूरों- त्रिवेणीगंज बाजार का नामांकन मौजूदा वक्त के जमींदार के ऊपर हुआ। कालांतर में इसे विकसित कर इसके विकास की जो रूपरेखा खींची गई उस मुत्तालिक त्रिवेणीगंज का विकास अब भी अधूरा पड़ा है। जिसको लेकर प्रुबद्धजनों में मायूसी है। त्रिवेणीगंज बाजार की बात करें तो इसकी सभ्यता सौ वर्षो से पहले की है। जैसा कि तथ्यों से बातें उभर कर आती है। अंग्रेजों की गुलामी की दास्तां के समय ही लतौना में चर्च की स्थापना हुई। जिसकी समृद्धशाली इतिहास सवा सौ वर्ष से है। ऐसे कई कारण है जिनकी वजह से त्रिवेणीगंज काफी पुराना बाजार रहा। लेकिन बदलते वक्त के साथ आवोहवा बदली। लेकिन त्रिवेणीगंज बाजार के विकास की बात नहीं हो सकी।
मसलन आज भी विकास के इस क्रांतिकारी युग में त्रिवेणीगंज पिछली पायदान पर खड़ा है। विकास को लेकर जो रूप रेखा खींची गई न तो उस पर जनप्रतिनिधियों ने ध्यान दिया और न ही सरकारी मुलाजिमों ने। स्थिति यह है कि पूरा बाजार क्षेत्र एनएच 327 ई दुर्गा मंदिर चौक, मेलाग्राउंड रोड, उच्च विद्यालय रोड, पंचमुखी चौक के पास लगी भयंकर जाम के बीच आमलोग गुजरने को विवश है। कहने के लिए अनुमंडल मुख्यालय है इसके इतर सरकारी स्तर पर स्वच्छ पानी की व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। ऐसे कई स्थानीय लोग है जिन्होंने चापाकल लगवा कर कुछ काम जरूर पुण्य का किया। लेकिन जरूरत सिर्फ पानी तक नहीं सिमटी है। बेतरतीब ढंग से लगने वाले हाट बाजार को भी निश्चित प्रारूप नहीं दिया जा सका। फलत: आज भी सड़कों पर दुकानें लगती है। जिससे भारी दिक्कत स्थानीय लोगों के साथ-साथ अन्य लोगों को हो रही है। इसे लेकर कई दफे आंदोलन स्वरूप लोगों ने आवाज उठाई लेकिन स्थिति स्पष्ट नहीं होने से लोगों को आज भी परेशानी से दो चार होना पड़ रहा है।